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इंडिया न्यूज़: विदेश मंत्री एस.जयशंकर इन दिनों युगांडा के दौरे पर हैं। जहां उन्होंने युगांडा की राजधानी में एक संबोधन के दौरान एक किस्सा साझा किया, उन्होने बताया कि भारत और लैटिन अमेरिका के बीच सूरजमुखी के तेल का आयात कैसे शुरू हुआ। संबोधन के दौरान उन्होने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारत को सूरजमुखी के तेल के लिए अन्य विकल्प मिल गए हैं। जयशंकर का कहना है कि युद्ध के कारण भारत लैटिन अमेरिकी देशों तक पहुंचने के लिए प्रेरित हुआ है।
राजधानी कंपाला में मंगलवार को एस जयशंकर ने एक कारोबारी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे इस दौरान उन्होने कहा कि भारत सूरजमुखी के तेल का बड़ा आयातक है। हम सूरजमुखी के तेल के लिए पहले पूरी तरह से यूक्रेन पर निर्भर थे लेकिन पिछले वर्ष यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध शुरू हो गया। जिसकी वजह से तेल का आयात बाधित हुआ। भारत सालाना 25 लाख टन सूरजमुखी तेल आयात करता है। इसमें से 70 फीसदी तेल यूक्रेन से आता है। जबकि 20 फीसदी रूस से और 10 फीसदी तेल अर्जेंटीना से आता है।
लैटिन अमेरिका के साथ भारत के व्यापार में हुई बड़ी वृद्धि
युद्ध के वजह से सभी को तेल की कीमतों के कारण झटका लगा। लेकिन एक समस्या ऐसी थी, जो किसी को नहीं दिखी , लेकिन भारत के लिए समस्या भारी थी, भारत में खाद्य तेल की कमी थी। हम पर दबाव था और हम अब कोई विकल्प तलाश रहे थे। इस दौरान हम अपने या एशियन देशों के स्रोतों से काफी आगे चले गए। हमारी खोज लैटिन अमेरिका आकर पूरी हुई। लैटिन अमेरिका के साथ भारत के व्यापार में बड़ी वृद्धि भी हुई। उद्योग निकाय सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2021-22 के अंत में भारत का खाद्य तेलों का आयात पिछले साल के 131.3 लाख टन से बढ़कर 140.3 लाख टन हो गया है।
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