India News (इंडिया न्यूज), American Military Aid To Taiwan: ताइवान को चीन अपना वर्षों से एक प्रांत मानता रहा है, ताइवान पर किसी भी देश की दखलंदाजी को देखकर ड्रैगन बौखला जाता है। वहीं दूसरी तरफ ताइवान खुद को स्वतंत्र देश मानता है, जहां उनके अपने संविधान के तहत सरकार हैं और एक तय प्रक्रिया के अनुसार चुने हुए नेताओं की सरकार है।

अमेरिका के लिए भी ताइवान बहुत ही महत्वपूर्ण

बता दें कि अमेरिका और पश्चिमी मुल्कों के लिए भी ताइवान बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसके पीछे के दो कारण है। पहली कारण यह है कि भौगोलिक रूप में प्रशांत महासागर के इलाके में कई द्वीपों में एक ताइवान ‘फर्स्ट आइलैंड चेन’ कहलाता है। अगर चीन ताइवान पर पूर्ण रूप से कब्जा कर लेता है तो प्रशांत महासागर में उसका दबदबा बरकरार हो जाएगा। दूसरी सबसे बड़ी वजह अर्थव्यवस्था है।

दरअसल, ताइवान दुनिया भर को अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान देता है। इस देश में बनने वाली चिप दुनिया भर देशों की जरूरतों को पूरा करती है। ताइवान को विश्व के 13 देश एक अलग देश मानते हैं और उसकी संप्रभुता का भी सम्मान करते हैं।

अमेरिकी सैन्य मदद पर चीन का विरोध

हाल ही अमेरिका ने ताइवान एक बड़ी मदद की है। अमेरिका ने ताइवान को हथियार खरीदने के लिए 8 करोड़ डॉलर की मदद दी थी। अमेरिका के इस मदद के बाद चीन ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है और अमेरिका की इस नीति की कड़ी निंदा की है। हालांकि ताइवान को अमेरिकी द्वारा की गई मदद कोई बड़ी रकम तो नहीं लेकिन फिर भी चीन का रुख इस पर बदला-बदला सा नजर आ रहा है। चीन दुनिया भर का ध्यान इस मुद्दे पर खींचने की कोशिश में जुटा है। बता दें इससे पहले भी अमेरिका को ताइवान ने सैन्य हथियारों के लिए 14 अरब डॉलर का ऑर्डर दे चुका है।

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