India News (इंडिया न्यूज), Republican candidate Vivek Ramaswamy : कनाडा में हिंदू धर्म के आधार पर हुए हमलों के बाद अमेरिका में हिंदू धर्म के सिद्धांतों को लेकर एक अलग बहस शुरू हो गई है। इस मुद्दे पर रिपब्लिकन विवेक रामास्वामी का बयान काफी चर्चा में है। विवेक रामास्वामी अमेरिका के जॉर्जिया राज्य में सीनेट का चुनाव लड़ रहे हैं। हिंदू धर्म के मुद्दे पर विवेक रामास्वामी और एक अमेरिकी नागरिक के बीच हुई बहस चर्चा का विषय बनी हुई है। यहां अमेरिकी नागरिक हिंदू धर्म को एक बुरा और मूर्तिपूजक धर्म बता रहा है। इसके जवाब में विवेक रामास्वामी ने अपने धर्म का बचाव किया और इस मौके का इस्तेमाल दुनिया को संदेश देने के तौर पर किया, जो हिंदू दर्शन में निहित गहराई को दर्शाता है। इस बीच न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में विवेक रामास्वामी को लेकर कई दावे किए गए हैं।
हिंदू धर्म पर आधारित सवाल में कहा गया कि हर बार यही आजादी क्यों होती है? इस तरह की घटना अमेरिका में विभिन्न कलाकारों को धार्मिक असहिष्णुता से जोड़ती है, खासकर तब जब इसकी तुलना भारत से की जाती है। अमेरिका में लंबे समय से कुछ कट्टरपंथी समूह गैर-अब्राहमिक धर्मों, खासकर हिंदू धर्म को बढ़ावा देते रहे हैं, जिससे उन्हें मूर्तिपूजक या अमेरिकी आतंकवादियों का विरोध करने का अधिकार मिल जाता है। फिर भी, हिंदू धर्म, चाहे भारत में हो या विदेश में, कभी भी आदर्श विचारधारा का अनुयायी नहीं रहा है, जैसा कि इस्लाम या ईसाई धर्म के मामले में है।
नेवाडा में डेमोक्रेटिक पार्टी के विचारधारा अभियान के दौरान रामास्वामी से धर्म के बारे में सवाल पूछे गए थे। धर्म के बारे में सवालों में धार्मिक स्वतंत्रता का महत्व शामिल था। रामास्वामी से यहां ईसा मसीह के बारे में भी पूछा गया, जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में ईसा मसीह एक पुत्र हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म सभी को साथ लेकर चलने के बारे में है, लेकिन फिर भी दुनिया के कई देशों में हिंदू धर्म की वकालत की जा रही है। नास्तिक के धर्म पर रामास्वामी ने कहा, मैं एक हिंदू हूं और मुझे इस पर गर्व है। मैं बिना किसी माफी के इसके लिए खड़ा हूं। मुझे लगता है कि मैं धार्मिक स्वतंत्रता के रक्षक के रूप में बहुत आगे जाऊंगा।
विवेक रामास्वामी का नाम सबसे पहले 2020 में जॉर्जिया चुनाव के दौरान चर्चा में आया था। तब उन पर चुनाव में अवैध रूप से हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया गया था। इसके अलावा, रामास्वामी ने लुईस अभियान में अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में अधिक धन जुटाया है, जो 280 हजार डॉलर है। पहले वे साइबर सुरक्षा और पिक्चर बोर्ड एजेंसी में काम कर रहे थे, बाद में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी।
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