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India News (इंडिया न्यूज), Why Bangladesh Lift Ban From Jamat-E-Islami: शेख हसीना (Sheikh Hasina) बांग्लादेश में बेइज्जती का घूंट पीने के बाद भारत में गुजारा कर रही हैं। लेकिन उनका छोड़ा हुआ देश अभी भी जल रहा है। युनुस सरकार देश को संभालने के बजाए शेख हसीना के लिए गए फैसलों को पटलने में ज्यादा मग्न दिख रहे हैं। उन्होंने कुछ समय पहले ही वहां की विवादित हिंदू विरोधी कही जाने वाली पार्टी जमात-ए-इस्लामी से बैन हटा दिया है। ये फैसला हिंदुओं पर हिंसा के आरोपों के बीच लेकर युनुस ने भारत की नाराजगी मोल लेने का रिस्क लिया है। इस फैसले के पीछे का लालच सुनकर आप हैरान रह जाएंगे।
बांग्लादेश की युनुस सरकार जमात-ए-इस्लामी पार्टी से सालों पुराना बैन हटा दिया है। हैरानी की बात ये है कि युनुस ये भूल गए कि एक वक्त पर इस पार्टी के एक नेता अब्दुल कादिर मुल्ला के खिलाफ पूरा बांग्लादेश सड़कों पर उतर आया था। मुल्ला के खिलाफ 1971 के युद्ध में 344 नागरिकों की हत्या समेत कई संगीन अपराधों को अंजाम देने का आरोप था। दोषी पाए जाने पर उसे उम्रकैद की सजा भी हुई थी, लेकिन लोगों ने ये सजा बहुत कम लगी और मुल्ला को फांसी की सजा देने की मांग लेकर सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए। 2013 में 22 दिनों के प्रदर्शन के बाद कादिर मुल्ला को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई। कादिर मुल्ला जमात-ए-इस्लामी का सहायक महासचिव था। उसके तार पाकिस्तानी सरकार के साथ जुड़े पाए गए थे। कादिर को उस वक्त ‘युद्ध अपराधी’ और ‘मीरपुर का कसाई’ जैसे नाम दिए गए थे।
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कादिर मुल्ला की पार्टी जमात-ए-इस्लामी 2024 में फिर चर्चाओं में तब आई जब पर हिंदुओं पर हमले हुए। आरोप लगे इस पार्टी के ही सदस्यों ने ही कायरों की तरह हिंदुओं पर जानलेवा हमले किए। अब इस पार्टी पर बैन हटाकर युनुस सरकार ने सभी को हैरान कर दिया है और उन्होंने भारत के साथ दोस्ती को दरकिनार कर दिया है। युनुस का कहना है कि जमात-ए-इस्लामी के आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं। सुप्रीम कोर्ट के लगाए बैन को हटाने के पीछे युनुस सरकार का एक ही लालच है और वो है बांग्लादेश की बहुसंख्यक जनता के सुर में सुर मिलाकर उनके सामने उदारवादी इमेज बनाए रखा। युनुस जिस तरह से शेख हसीना के फैसलों को पलट रहे हैं उससे मालूम होता है कि वो हसीना के खिलाफ गुस्से को अपने फेवर में इस्तेमाल करना चाह रहे हैं।
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