संबंधित खबरें
जिस देश पर लार टपका रहा है चीन…वो भारतीय मजदूरों को दिल में देगा जगह, नई डील सुनकर छाती पीटेंगे Xi Jinping
कंपनी ने कर्मचारियों के लिए बिछा दिया नोटों का ढेर, कहा- जितना उठा पाओ उतना बोनस, Video देखकर अपने बॉस से ना कर देना ये डिमांड
बांग्लादेश में आई भारी कंगाली, ट्रेनों को पटरियों पर छोड़कर भागे ड्राइवर, शेख हसीना का ये फैसला बन गया यूनुस के लिए सिरदर्द
Syria New Interim President:सीरिया को मिला नया राष्ट्रपति, जिसने उखाड़ फेंकी असद की सत्ता वहीं संभालेगा अब गद्दी
निज्जर हत्या मामले में भारत का नहीं है कोई हाथ, जांच में हुआ बड़ा खुलासा, खुल गया Trudeau का काला चिट्ठा
Reagan Airport Plane Crash:अमेरिका के आसमान में आपस में भिड़े पैसेंजर प्लेन और हेलिकॉप्टर, घटना का Video देख दहल जाएगा कलेजा
India News (इंडिया न्यूज), German Currency Crisis: इस वक्त जर्मनी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब भारी मुद्रास्फीति के कारण जर्मनी की मुद्रा का मूल्य गिर गया था। यह 1930 के दशक की शुरुआत की बात है। उस समय जर्मन मुद्रा को मार्क कहा जाता था। मुद्रास्फीति के कारण एक डॉलर का मूल्य 4,210,500,000,000 मार्क तक पहुँच गया था। स्थिति ऐसी थी कि बच्चों ने इसे प्लेकार्ड के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था। इसके कारण जर्मनी में लाखों लोग दिवालिया हो गए। इस संकट ने देश में हिटलर की नाजी पार्टी के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी में कीमतें दोगुनी हो गई थीं लेकिन यह देश के आर्थिक संकट की शुरुआत थी वर्ष 1914 में जर्मन सरकार ने एक नई मुद्रा लॉन्च की. उसे लगा कि यह लंबे समय तक नहीं चलेगी. लेकिन यह युद्ध चार साल तक चला और इसमें जर्मनी की हार हुई। वर्साय की संधि के कारण जर्मनी को भारी कीमत चुकानी पड़ी. बढ़ती कीमतों और मार्क की बढ़ती आपूर्ति के कारण देश में महंगाई बढ़ने लगी। प्रथम विश्व युद्ध से पहले एक अमेरिकी डॉलर की कीमत चार मार्क के बराबर थी। लेकिन 1920 में मार्क की कीमत 16 गुना गिर गई।
कुछ दिनों तक एक डॉलर की कीमत 69 मार्क पर स्थिर रही लेकिन सरकार ने और पैसे छापने शुरू कर दिए। जुलाई 1922 तक कीमतों में 700 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई। हालात ऐसे हो गए कि सरकार को मिलियन और बिलियन मार्क के नोट छापने पड़े। नवंबर 1923 में एक डॉलर की कीमत एक ट्रिलियन मार्क तक पहुंच गई। हालात ऐसे हो गए कि लोगों को अखबार खरीदने के लिए नोटों से भरी बोरी देनी पड़ी। एक छात्र ने उस दौर को याद करते हुए बताया कि उसने 5,000 मार्क की एक कप कॉफी का ऑर्डर दिया था और अगले ही पल उसकी कीमत 7,000 मार्क तक पहुंच गई थी।
‘देवी ने मांगी थी बलि….’ पहले तलवार से गला रेतकर की हत्या फिर किया ये काम, मामला जान कांप जाएगी रूह
महंगाई ने हिटलर के जर्मनी की ] सत्ता में आने का रास्ता साफ कर दिया। अगस्त 1924 में एक नई मुद्रा रेनटेनमार्क लॉन्च की गई। उसके बाद हालात काबू में आए। आज जर्मनी अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। आज जर्मनी यूरोपीय संघ का हिस्सा है और इसकी मुद्रा यूरो है। फोर्ब्स के अनुसार जर्मनी की जीडीपी 4.71 ट्रिलियन डॉलर है और प्रति व्यक्ति जीडीपी 55.52 हजार डॉलर है। भारत 3.89 ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन इसकी प्रति व्यक्ति जीडीपी 2.7 हजार डॉलर है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.