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7 अक्टूबर क्यों है दुनिया का सबसे काला दिन? हमला-इजराइल से पहले इन दो पावरफुल देशों ने भी देखा तबाही का दर्दनाक मंजर, कांप जाएगी रूह

Divyanshi Singh • LAST UPDATED : October 7, 2024, 4:57 pm IST
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7 अक्टूबर क्यों है दुनिया का सबसे काला दिन? हमला-इजराइल से पहले इन दो पावरफुल देशों ने भी देखा तबाही का दर्दनाक मंजर, कांप जाएगी रूह

Israel–Hamas War

India News (इंडिया न्यूज),Israel–Hamas War:आज हमास और इजराइल के बीच युद्ध का एक साल पूरा हो गया है। पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास के लड़ाकों ने इजराइल की सीमा में घुसकर बड़ा हमला किया था। हमास के इस हमले में करीब 1200 लोग मारे गए थे और 251 लोगों का अपहरण कर लिया गया था। हमास के इस हमले के बाद भड़की आग आज पूरे मध्य पूर्व को जला रही है और दुनिया पर तीसरे विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है।

वैसे, 7 अक्टूबर का यह दिन पूरी दुनिया के लिए काफी अहम रहा है। इस दिन कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिसने दुनिया का इतिहास बदल दिया। राजनीतिक उथल-पुथल से लेकर आतंकी हमलों तक, 7 अक्टूबर को कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने दुनिया की तस्वीर बदल दी। तो आइए एक नजर डालते हैं

1. इजराइल पर हमास का हमला

7 अक्टूबर, 2023 को इजराइल के इतिहास का सबसे काला दिन कहना गलत नहीं होगा। इस दिन हमास के लड़ाकों ने इजराइल की सीमा में घुसकर कत्लेआम मचाया था। हमास ने इजराइल के अंदर कई जगहों पर एक साथ हमला किया, जिसमें करीब 1200 लोगों की मौत हो गई। इन हमलावरों ने 251 लोगों को अगवा कर गाजा ले गए, जिनमें से कई एक हमले के बाद भी हमास के चंगुल से बच नहीं पाए हैं।

वहीं, हमास के हमले से शुरू हुई यह लड़ाई अब विश्व युद्ध में तब्दील होती दिख रही है। गाजा के बाद इजरायल ने सीरिया, लेबनान और ईरान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। डर है कि अगर यह लड़ाई जल्द नहीं रुकी तो दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की आग में जल सकती है।

2. अफगानिस्तान पर अमेरिका का हमला 

11 सितंबर 2001 को अमेरिका में हुए आतंकी हमलों के बाद अमेरिका ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर आज ही के दिन 2001 में अफगानिस्तान पर हमला कर दिया था। इस हमले के बाद शुरू हुआ युद्ध दो दशक तक चला, जो अमेरिकी इतिहास का सबसे लंबा युद्ध बन गया। इस युद्ध का असर आज भी पूरी दुनिया में देखा जा सकता है। 3. पूर्वी

3.जर्मनी का जन्म

द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद 7 अक्टूबर 1949 को हिटलर का जर्मनी दो भागों में विभाजित हो गया। यहाँ सोवियत कब्जे वाले क्षेत्र में जर्मन लोकतांत्रिक गणराज्य का जन्म हुआ, जिसे आमतौर पर पूर्वी जर्मनी के नाम से जाना जाता है। इस नए देश में मेक्लेनबर्ग-वोरपोमरन, ब्रैंडेनबर्ग और सैक्सोनी जैसे क्षेत्र शामिल थे, जिसकी राजधानी पूर्वी बर्लिन थी। यह विभाजन दशकों तक शीत युद्ध का प्रतीक रहा, जिसने वैश्विक राजनीति को आकार दिया।

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