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India News (इंडिया न्यूज), Bangladesh: भारत का पड़ोसी देश बांग्लादेश आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता से जुझ रहा है। शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से अमेरिका पर यह आरोप लगता रहा है कि इसके पीछे उसका हाथ है। हालाकि अब दावा किया जा रहा है कि सिर्फ एक द्वीप को हासील करने के लिए अमेरिका ने ये साजिश रची। जिस द्वीप के लिए दुनिया के सबसे ताकतवर देश ने साजिश रची वो द्वीप कोई और नहीं बल्किसेंट मार्टिन है। जिस तरह रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाले इस द्वीप के कारण पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी, उसी तरह बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भी एक बंदरगाह को लेकर बड़े जाल में फंसती नजर आ रही है।
दरअसल, चीन पर आरोप है कि वह गरीब देशों को अपने कर्ज के जाल में इस तरह फंसाता है कि उससे बाहर निकलना नामुमकिन हो जाता है। इसके लिए श्रीलंका और जाम्बिया जैसे देशों का उदाहरण दिया जाता है, जो चीन के कर्ज के जाल में फंसकर डिफॉल्ट कर चुके हैं।चीन इन देशों को अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का लालच देकर कई विकास कार्यों और परियोजनाओं के लिए फंड देता है। यह फंड मुफ्त में नहीं मिलता, बल्कि इसके लिए भारी ब्याज देना पड़ता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब ये देश चीन का कर्ज नहीं चुका पाते, तो वह उनकी संपत्ति जब्त कर लेता है।
हालांकि चीन इन आरोपों से इनकार करता रहा है, लेकिन श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह उसके कर्ज के जाल का बड़ा उदाहरण है। श्रीलंका ने इस बंदरगाह की 70 प्रतिशत हिस्सेदारी चीन को 99 साल की लीज पर दे दी है, यह समझौता 2017 में इसलिए किया गया था क्योंकि चीन के कर्ज के बोझ तले दबा श्रीलंका अपना कर्ज नहीं चुका पाया और यह परियोजना समय पर पूरी नहीं हो सकी।
चटगांव बंदरगाह के बाद यह बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा समुद्री बंदरगाह है। जब बांग्लादेश का कपड़ा व्यापार अपनी ऊंचाइयों को छू रहा था, तब यह बंदरगाह उस प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था। यह बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में बागेरहाट जिले में स्थित है। खुलना शहर से 48 किलोमीटर दूर स्थित इस बंदरगाह की स्थापना 1 दिसंबर 1950 को हुई थी। यह दक्षिण एशिया का मुख्य संपर्क केंद्र है। मोंगला बंदरगाह पर हर साल 400 से अधिक मालवाहक जहाज आते हैं जिनमें औसतन 30 लाख मीट्रिक टन माल आयात-निर्यात होता है।
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