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यह संस्था बनाती है राष्ट्रीय ध्वज, जानिए इसका इतिहास

PUBLISHED BY: Neha Goyal • LAST UPDATED : August 6, 2022, 4:52 pm IST
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यह संस्था बनाती है राष्ट्रीय ध्वज, जानिए इसका इतिहास

since when was the tricolor made

इंडिया न्यूज़, 75th Independence Day : इस साल 15 अगस्त के दिन देश अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। आजादी के 75 साल पूरे होने के अवसर पर देश भर में खास कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें बहुत से लोग बढ़-चढ़कर कर भाग लेते है और बच्चों के स्कूलों में भी स्वतंत्रता दिवस बड़े धूम-धाम और खुशी से मनाया जाता है।

आज हम आपको बताएंगे कि देश के लाल किले, राष्‍ट्रपति भवन, संसद भवन, हर सरकारी बिल्डिंग पर, हमारी सेना द्वारा फ्लैग होस्टिंग के समय यहां तक कि बाहर विदेशों में मौजूद इंडियन एंबेसीज में फहराए जाने वाले झंडे कहां बनते हैं और इन्हें कोन बनाता है।

इंडियन एंबेसीज में फहराए जाने वाले झंडे कहां बनते हैं

यह झंडे कर्नाटक के हुबली शहर के बेंगेरी इलाके में स्थित कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्‍त संघ (फेडरेशन) यानी KKGSS राष्ट्रध्वज ‘तिरंगा’ बनाती है. KKGSS खादी व विलेज इंडस्‍ट्रीज कमीशन द्वारा सर्टिफाइड देश की अकेली ऑथराइज्‍ड नेशनल फ्लैग मैन्‍युफैक्‍चरिंग यूनिट है और इसके अलावा राष्ट्रीय ध्वज कोई और नहीं बनाता है।

कब से बना रहा तिरंगा

 

KKGSS की स्‍थापना नवंबर 1957 में हुई थी। इसने 1982 से खादी बनाना शुरू किया था 2005-06 में इसे ब्‍यूरो ऑफ इंडियन स्‍टैंडर्ड्स (BIS) से सर्टिफिकेशन मिला और इसने राष्‍ट्रीय ध्‍वज बनाना शुरू कर दिया और देश में जहा भी यह राष्‍ट्रीय ध्‍वज झंडे का इस्तेमाल होता है वह यही से बने झंडे की सप्‍लाई की जाती है। इंडियन एंबेसीज यानी भारतीय बाहर विदेशों के लिए भी यहीं से तिरंगे बनकर जाते हैं।

धागा व कपड़ा बनाने की यूनिट अलग

KKGSS की बागलकोट यूनिट भी है। इस धागे को हाई क्‍वालिटी के कच्‍चे कॉटन से धागा बनाया जाता है। यह धागा हाथ से मशीनों ओर चरखा चलाकर बनाया जाता है। कपड़ा तीन तरह का होता है, जैसे- गाडनकेरी, बेलॉरू, तुलसीगिरी यूनिट में कपड़ा तैयार होता है फिर से हुबली यूनिट में कपड़े की डाइंग व दोबारा से प्रॉसेस की जाती है और यह बहुत कम लोग जानते है तिरंगे कपड़ा जीन्स से भी ज्यादा मजबूत होता है। KKGSS में बनने वाले झंडे केवल कॉटन और खादी के होते हैं।

टेबल और राष्‍ट्रपति भवन तक के लिए अलग-अलग साइज के झंडे

  • सबसे छोटा 6:4 इंच- मीटिंग व कॉन्‍फ्रेंस आदि में टेबल पर रखा जाने वाला झंडा
  • 9:6 इंच- VVIP कारों के लिए
  • 18:12 इंच- राष्‍ट्रपति के VVIP एयरक्राफ्ट और ट्रेन के लिए
  • 3:2 फुट- कमरों में क्रॉस बार पर दिखने वाले झंडे
  • 5:3 फुट- बहुत छोटी पब्लिक बिल्डिंग्‍स पर लगने वाले झंडे
  • 6:4 फुट- मृत सैनिकों के शवों और छोटी सरकारी बिल्डिंग्‍स के लिए
  • 9:6 फुट- संसद भवन और मीडियम साइज सरकारी बिल्डिंग्‍स के लिए
  • 12:8 फुट- गन कैरिएज, लाल किले, राष्‍ट्रपति भवन के लिए
  • सबसे बड़ा 21:14 फुट- बहुत बड़ी बिल्डिंग्‍स के लिए

देश का राष्‍ट्रीय ध्‍वज बनाना आसान नहीं होता

KKGSS में बनने वाले राष्ट्रीय ध्वज की क्वालिटी को BIS ब्‍यूरो ऑफ इंडियन स्‍टैंडर्ड्स चेक करता है और इसमें थोड़ा सा भी डिफेक्ट होने पर रिजेक्ट कर देता है, बनने वाले तिरंगों में से 10 प्रतिशत रिजेक्‍ट हो जाते हैं। हर सेक्‍शन पर कुल 18 बार राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे की क्‍वालिटी चेक की जाती है। राष्ट्रीय ध्वज को BIS द्वारा निर्धारित रंग के शेड से तिरंगे का शेड अलग नहीं होना चाहिए,जैसे-केसरिया, सफेद और हरे कपड़े की लंबाई-चौड़ाई में नहीं जरा सा भी अंतर नहीं होना चाहिए; अगले-पिछले भाग पर अशोक चक्र की छपाई समान होनी चाहिए इस तरीके से राष्ट्रीय ध्वज को बनाया जाता है।

कितने लोगों की मेहनत लगती है तिरंगे में

KKGSS के तहत तिरंगे के लिए धागा बनाने से लेकर झंडे की पैंकिंग तक में 250 लोग काम करते हैं और इनमें लगभग 80-90 प्रतिशत महिलाएं हैं। तिरंगे को इस प्रक्रिया में बनाया जाता है, जैसे-धागा बनाना, कपड़े की बुनाई, ब्‍लीचिंग व डाइंग, चक्र की छपाई, तीनों पटिृयों की सिलाई, आयरन करना और टॉगलिंग।

कई उत्‍पाद भी बनाता है KKGSS

कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्‍त संघ (फेडरेशन) KKGSS का प्रमुख उत्‍पाद राष्‍ट्रीय ध्‍वज है। KKGSS, जैसे-खादी के कपड़े, खादी कारपेट, खादी बैग्‍स, खादी कैप्‍स, खादी बेडशीट्स, साबुन, हाथ से बना कागज और प्रोसेस्‍ड शहद भी बनाता है।

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