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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Follow This Trick: देश-दुनिया में कोरोना केस लगातार दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्र सरकार की ओर मिली मंजूरी के बाद 15 से 18 साल तक के बच्चों को भी वैक्सीन लगने लगी है। लेकिन अब हर माता-पिता का सवाल यह है कि क्या 15 साल से कम उम्र के बच्चों को भी वैक्सीन लगेगी?। इन बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू हो, उसके पहले हर घर में यह सवाल उठता है कि बच्चे को वैक्सीन की डोज के लिए मानसिक तौर पर तैयार कैसे किया जाए।
fear of injection in kids: आपको बता दें कि बच्चों के सामने इस बात का जिक्र करना कि तुम्हें आज इंजेक्शन लगना है, उनके अंदर डर भर देता है। माता-पिता जब भी बच्चों को किसी बात के लिए कंट्रोल करना चाहते हैं, उन्हें कह देते हैं कि अगर तुमने शरारत की, तो डॉक्टर के पास ले जाकर तुम्हें सूई लगवा देंगे। इस बात से बच्चे उस समय तो बदमाशी कम कर देते हैं, लेकिन जब आगे कभी उन्हें इंजेक्शन लगवाना होता है, तब वे हैरान और परेशान रहते हैं।
दरअसल, हर माता-पिता को समझना चाहिए कि उनकी छोटी सी गलती बच्चों के लिए बड़े होने तक डर की वजह बन सकता है। हमारे समाज में कई बार माता-पिता ये कहते नजर आते हैं कि शैतानी करने वाले बच्चों के पास बूढ़े बाबा आते हैं और रात के समय इंजेक्शन लगा देते हैं। यह माता-पिता की बड़ी कमी है। बच्चे को किसी भी बात के लिए लिए प्यार से समझाना चाहिए, जिससे वो बात समझें और किसी तरह का वहम अपने मन में नहीं पालें।
माता-पिता की एक कमी यह भी होती है कि वो बच्चों से झूठे वादे कर देते हैं, जिनमें डॉक्टर के पास जाने पर इंजेक्शन न लगवाने जैसे वादे भी शामिल हैं, जब बच्चे को पता चलता है कि उसे झूठ बोला गया है, तब उसके दिल और दिमाग पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
वहीं बच्चों को अपनी बात मनवाने के लिए कुछ भी कहकर डराने से बचें। हो सके, तो उन्हें बहादुर बनने के लिए प्रोत्साहित कीजिए और शाबाशी देने से मत चूकिए।
जब भी बच्चे को इंजेक्शन लगवाने ले जाएं, उनका ध्यान इधर-उधर भटकाने की कोशिश करें। जब तक डॉक्टर इंजेक्शन तैयार करे, बच्चे को बातों में उलझा कर रखें। जब सूई लगने की बारी आए, तब बच्चे को कुछ ऐसा याद दिलाने की कोशिश करें, जिसे याद करते हुए बच्चा खुश होकर खिलखिला उठे। ऐसा होते हुए अगर बच्चे को इंजेक्शन लग जाए, तो दर्द से उसका ध्यान भटकाना आसान हो जाएगा। सुई लगने के बाद भी बच्चे को समझाएं कि देखो, जितना तुम डर रहे थे, इतना दर्द नहीं होता है।
कई मामलों में बच्चों के लिए उम्र के हिसाब से तय रहता है कि उन्हें कब इंजेक्शन लगना है। इसलिए उन्हें डॉक्टर के पास जाने वाले दिन ही बताएं कि आज उन्हें सूई लगने वाली है। अगर बच्चे को दो-चार दिन पहले ही इस बारे में बता दिया जाएगा, तो हो सकता है टेंशन की वजह से उनका खाना-पीना प्रभावित हो। उन्हें इंजेक्शन के बारे में ज्यादा सोचने का मौका मत दीजिए।
जब बच्चे को इंजेक्शन लगने की बात आती है, तो कई बार माता-पिता, खास तौर पर मां इस बात से परेशान हो जाती है कि बच्चे को दर्द होगा। इसकी वजह से से वो रो भी पड़ती है। बच्चा जब मां को ऐसा करते देखता है, तो समझता है कि कोई ऐसी बात है, जो उसे परेशान कर सकती है। इसलिए माता-पिता परेशान हो रहे हैं। यह बात बच्चे को और भी डरा देती है कि उससे मजबूत उसके माता-पिता भी सूई लगने को लेकर विचलित हो रहे हैं। इस कारण से बच्चे कई बार सूई देखते ही बदहवास होकर रोने लगते हैं।
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