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India News (इंडिया न्यूज़), Lightning Strike: मानसून ज्यादातर राज्यों में दस्तक दे दिया है। इससे लोगों को भीषण गर्मी से काफी राहत मिलेगी। मानसून के दौरान बारिश गिरने के कई वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आ रहे हैं। बिजली गिरने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ लोग बारिश से बचने के लिए पेड़ के नीचे खड़े दिखाई दे रहे हैं तभी अचानक से बिजली गिरती है। वीडियो को शेयर करते हुए लोग कह रहे हैं कि बारिश के मौसम में फोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और पेड़ के नीचे भी नहीं खड़ा होना चाहिए। ऐसे में सवाल यह है कि क्या वाकई बिजली फोन और पेड़ की तरफ ज्यादा आकर्षित होती है? आइए इसका जवाब जानते हैं
सांइस के अनुसार बिजली की हर गड़गड़ाहट का मतलब ये नहीं होता कि कहीं बिजली गिरी है। अब अगर बिजली आसमान में है तो ये सिर्फ बिजली की गड़गड़ाहट है और अगर ये धरती पर किसी वस्तु के संपर्क में आती है तो इसे बिजली गिरना कहते हैं। हर एटम में पॉजिटिव और नेगिटिव चार्ज होते हैं और घर्षण के साथ ये किसी भी पदार्थ में कम हो जाते हैं। वैसे अगर परमाणु में धनात्मक और ऋणात्मक आवेश बराबर हैं तो कोई समस्या नहीं है। आसमान में जब बादल बनते हैं, जब बर्फ, पानी, हवा एक दूसरे से रगड़ खाते हैं, तो कुछ बादलों के निचले हिस्से में नेगेटिव चार्ज ज्यादा जमा हो जाता है।
कुछ बादलों में इससे पॉजिटिव चार्ज जमा हो जाता है। जब दोनों तरह के चार्ज वाले बादल एक दूसरे से रगड़ खाते हैं, तो उनके मिलने से लाखों वोल्ट की बिजली पैदा होती है। अगर यह नेगेटिव चार्ज ज़मीन की तरफ आती है, तो इसे बिजली गिरना कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब बिजली बादल से जमीन की तरफ आती है, तो उसके वोल्ट करोड़ों में होते हैं। जब भी बिजली जमीन की तरफ आती है, तो इस रास्ते को स्टेप लीडर कहते हैं। ऐसा ही एक स्टेप लीडर जमीन से भी आता है और जब दोनों एक दूसरे से टकराते हैं, तो बिजली डिस्चार्ज होती है। फिर दोनों स्टेप लीडर जमीन और आसमान की तरफ चले जाते हैं।
कई लोगों का ऐसा मानना है कि अगर फ़ोन का इस्तेमाल ख़राब मौसम में किया जाए, तो बिजली गिरने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन, आपको बता दें कि स्मार्टफ़ोन का बिजली गिरने की घटना से कोई लेना-देना नहीं है। कई बार फ़ोन में नेटवर्क ऑप्टिकल फाइबर के ज़रिए आता है, इसलिए उससे कोई कनेक्शन नहीं होता। बिजली गिरने के समय वायर्ड फ़ोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, इसलिए पहले के जमाने में ये बातें काफ़ी आम थी।
कहाँ बिजली ज्यादा गिरती है, इस बारे में कई तथ्य हैं। ऐसा कहा जाता है कि जहाँ खाली जगह और पेड़ होते हैं, वहाँ बिजली ज्यादा गिरती है। वहीं, बिजली के खंभों, पानी वाली जगहों, बड़ी धातु की संरचनाओं के पास बिजली गिरने की संभावना ज्यादा होती है। बिजली और तारों से जुड़ी चीज़ों पर बिजली गिरने की घटनाएँ ज़्यादा होती हैं। आपको बता दें कि ऊँचाई, नुकीला आकार बिजली गिरने के मुख्य कारक हैं। साथ ही, बिजली किस पर ज्यादा गिरती है, कब ज़्यादा गिरती है जैसे सवालों पर अभी भी शोध चल ही रहा है। माना जाता है कि इस बारे में अभी भी कई सवाल हैं, जिनके जवाब अबतक सामने नहीं आए हैं।
पेड़ों पर बिजली गिरने की घटनाएँ ज्यादा होती हैं क्योंकि ये पेड़ ऊँचे होते हैं। इसमें नारियल जैसे पेड़ों पर ऐसी घटनाएँ ज्यादा होती हैं। ऊँचे और नुकीले होने की वजह से पेड़ पर ज्यादा बिजली गिरती है। साथ ही, नमी और पानी की मात्रा भी इसका कारण हो सकती है, जिससे ज़्यादा बिजली प्रवाहित होती है। साथ ही, ये प्राकृतिक बिजली की छड़ों का काम करते हैं और यहाँ बिजली गिरने की घटनाएँ ज़्यादा होती हैं।
जब भी तेज बिजली चमके तो आपको खुले में जाने से बचना चाहिए और किसी छत के नीचे रहना चाहिए। साथ ही पानी वाली जगहों पर जाने से भी बचना चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक सामान से दूर रहने को कहा जाता है क्योंकि बिजली तारों के माध्यम से प्रवाहित होती है। इसके अलावा पेड़ के नीचे या तालाब में जाने से भी बचना चाहिए।
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