याद कीजिए वह जमाना जब मोबाईल फोन होना बड़ी बात होती थी। जब यह एक समाज में स्टेटस सिंबल होता था। आज की तरह बच्चों के पास उस वक्त मोबाइल फोन नहीं हुआ करता था। बच्चें उस वक्त अपने माँ, बाप से छुपकर, बचकर या कभी-कभी पुछकर बाहर मैदान में खेलने जाते थे। मैदान में बच्चें चाहे कोई भी खेल खेले, खेलने से बच्चों का शरीर मजबूत होता है यह हम सब जानते है। लेकिन जब से फोन ने मैदान की जगह ले ली है, तब से बाहर बच्चों का मैदान में खेलना कम हो गया है।
एक नए स्टडी के मुताबिक मिट्टी में खेलने वाले बच्चों को शारीरिक और भावनात्मक दोनों तरह के फायदे हो सकते हैं। जो बच्चें मिट्टी में नहीं खेलते, जो माइक्रोबियल चुनौतियों के संपर्क में नहीं आते हैं उनमें रोगप्रतिरोधक क्षमता नहीं बढ़ता।
कई विशेषज्ञों का सुझाव है कि बच्चों को जल्द से जल्द मिट्टी के संपर्क में लाना चाहिए। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि बच्चे भी मिट्टी से खेल सकते हैं। हालाँकि, उन्हें अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता हो सकती है और उन पर नज़र रखनी होगी ताकि वे अपने मुँह या आँखों में मिट्टी न डालें। मिट्टी में खेलने को कुछ गंदा नहीं कहना चाहिए क्योंकि यह आपके बच्चे के लिए प्रकृति से जुड़ने का एक अच्छा तरीका है। बेशक, प्रकृति की गतिविधियों में हाथ धोने जैसी स्वच्छ प्रथाओं का पालन किया जा सकता है, लेकिन मिट्टी के संपर्क में आने से न केवल आपके बच्चे की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ावा मिल सकता है बल्कि उनकी स्पर्श इंद्रियों, कल्पना और रचनात्मकता को भी बढ़ाया जा सकता है।
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