India News(इंडिया न्यूज़), Kanakadasa Jayanthi 2023, दिल्ली: कनकदास जिन्हें दासश्रेष्ठ कनकदास के नाम से जाना जाता है। वह एक लोकप्रिय हरिदास संत, दार्शनिक और संगीतकार थे। उन्होंने कर्नाटक में भक्ति आंदोलन के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई थी। वहीं कन्नड़ में उनकी भक्ति रचनाएँ, जिन्हें कीर्तन के नाम से जाना जाता है। वह समाज को प्रेरित कपने में हमेशा मददगार होते है। जबकि उनके जीवन को प्रतिबद्धता, सामाजिक सुधार और साहित्यिक प्रतिभा के अवतार के रूप में भी देखा जाता रहा है। बता दें कि हर साल कार्तिक माह के 18वें दिन कनकदास जयंती उनके जीवन और विरासत का जश्न मनाने के लिए मनाई जाती है। इस वर्ष यह 30 नवंबर को पड़ रहा है।
कुरुबा समुदाय के लोग मुख्य रूप से कनकदास जयंती मनाते हैं। वहीं इस वर्ष लोग कवि की 529वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। एक उत्सव जो कर्नाटक की आत्मा से गूंजता है, कनकदास जयंती श्रद्धेय संत, कवि और दार्शनिक कनकदास का सम्मान करने के लिए जीवन के सभी क्षेत्रों से लोगों को एक साथ लाती है। इस दिन, पूरे कर्नाटक में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें कनकदास के जीवन और कार्यों पर भजन और संगीत समारोह होता है। इस दिन लोग उनके चित्र पर पुष्पांजलि भी अर्पित करते हैं।
वहीं उन्हें एक समाज सुधारक के रूप में अपने योगदान के लिए जाने जाता है, जिन्होंने सक्रिय रूप से समानता के संदेश को फैलाया और सामाजिक समुदाय के उत्थान में योगदान दिया, कनकदास भगवान कृष्ण के भक्त और भक्ति आंदोलन के प्रस्तावक थे। उनकी रचनाओं में भक्ति और सामाजिक चेतना की गहरी झलकती थी। उन्होंने अपने सभी गीतों के लिए उपनाम – ‘कागिनेले आदिकेशव’ – का उपयोग किया। उनकी कुछ प्रसिद्ध कृतियों में नलचरित्रे, हरिभक्तिसार, नृसिंहस्तव, रामधन्यचरित्रे और मोहनतरंगिनी शामिल हैं।
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