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जानिए किन वजह से होती है वॉइस डिसऑर्डर की समस्या, लक्षण व बचाव?

BY: Suman Tiwari • LAST UPDATED : September 7, 2022, 12:29 pm IST
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जानिए किन वजह से होती है वॉइस डिसऑर्डर की समस्या, लक्षण व बचाव?

Voice Disorder Problem

इंडिया न्यूज (Voice Disorder Problem)
अगर आपको बोलते समय गले में दर्द, बोलने में तनाव महसूस होना। आवाज का साफ न आना, बोलते समय गले में चुभन महसूस होना आदि लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो वॉइस डिसऑर्डर (यानी बोलने में दिक्कत होना) हो सकता है। यह समस्याएं तब होती हैं जब आपके वॉकल कॉर्ड्स ठीक ढंग से कंपित नहीं हो पाते हैं। तो चलिए जानते हैं वॉइस डिसऑर्डर क्या और इसकी वजह क्या है। इसकी अन्य जानकारियां।

वॉइस डिसऑर्डर के लक्षण

आवाज मोटी या भारी होना। कर्कश या फटी हुई आवाज। खाटा खाने पर गला खराब होना। गाते समय कुछ ऊंचे स्वरों को न पकड़ पाना। महीने में कई बार गला खराब होना। अक्सर गले में दर्द या अकड़न होना। जिन बच्चों का तालू चिपका हो। अधिक धूम्रपान का सेवन। एंडोस्कोपी या थायराइड वालों को हो सकता है।

वॉइस डिसऑर्डर होने के कारण क्या?

वॉइस डिसऑर्डर किसी भी वजह से हो सकते हैं। इनमें आवाज बैठ जाती है, पिच कम होती है और आवाज में बदलाव भी होता है। वॉइस डिसऑर्डर के कई कारण हो सकते हैं। आप ऐसे प्रोफेशन में हैं जहां ज्यादा बोलना पड़ता है, जैसे सिंगर, एंकर, टीचर तो आपको वॉइस डिसआॅर्डर हो सकता है। ज्यादा बोलने की वजह से गले में सूजन आ जाती है, जिससे बोलते समय गले में दर्द होता है।

स्मोकिंग: स्मोकिंग किसी के लिए फैशन या कूल डूड बनने का स्टेटस सिंबल हो सकता है, लेकिन यह दिल से लेकर दिमाग तक के लिए नुकसानदायक है। जब कोई व्यक्ति स्मोक करता है तो उसके वोकल कॉर्ड्स में कंजेशन होने लगता है जिसकी वजह से यह परेशानी होती है।

कम पानी पीना: कम पानी पीते हैं, तो आवाज के लिए भारी पड़ सकता है। यकीन करना मुश्किल होगा कि वोकल कॉर्ड कितनी तेजी से वाइब्रेट करता है, तब जाकर आवाज निकलती है। ऐसे में अगर उसे ठीक से लुब्रिकेशन नहीं मिलेगा, तो आवाज भरभराहट भरी निकलेगी। इसीलिए मंच पर बोलने से पहले समय या परफॉर्मर पानी पीते हैं। आपको हर दिन कम से कम 8 से 12 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए। आवाज को मधुर बनाए रखने के लिए मीठे फलों और पानी वाली सब्जियों का सेवन करना चाहिए।

गलत आवाजें निकालना: कुछ लोगों की आदत होती है कि वो मस्ती या मजाक में गलत आवाजें निकालते हैं। चिल्लाने, बहुत तेज चिंघाड़ने और ऊंटपटांग आवाजें निकालने से वोकल कॉर्ड पर बुरा असर पड़ता है। वोकल कॉर्ड को इन आवाजों के लिए इतना ज्यादा कंपन करना पड़ता है कि इनमें विकृति आ सकती है। इसलिए हमेशा कम और मीठा बोलने से आवाज की क्वालिटी अच्छी बनी रहती है।

ज्यादा कैफीन लेना: शराब की लत बीमारियां पैदा करती है। शराब का असर वोकल कॉर्ड पर भी पड़ता है। आवाज के लिहाज से शराब पीना अच्छी आदत नहीं है। इसके अलावा कैफीन वाले ड्रिंक्स जैसे- चाय कॉफी के सेवन का भी आवाज और वोकल कॉर्ड पर बुरा असर पड़ता है। खुद को हाइड्रेट रखने के लिए पानी से बेहतर कोई दूसरा ड्रिंक नहीं है।

खराश की समस्या: गले में खराश एक आम समस्या है, जो थोड़ी देर चुप रहने के बाद हो जाती है। लेकिन हर समय गले को साफ करते रहते हैं तो ये आदत वोकल कॉर्ड को नुकसान पहुंचाती है। गले में खराश महसूस होती है, तो इसका मतलब वोकल कॉर्ड को थोड़ा नमी की जरूरत है। ऐसे में खराश निकालने के बजाय थोड़ा पानी पी लेना ज्यादा बेहतर है।

वॉइस डिसऑर्डर से किन बीमारियों का रहता है खतरा

  • ज्यादा बोलने या गले में खराश से आवाज में रूखापन आ जाता है। इसका कारण कैंसर भी हो सकता है। इसलिए लापरवाही न करें ये खतरनाक हो सकता है। आवाज एक यंत्र से निकलती है जिसे स्वर नलिका कहते हैं। स्वर नलिका कम-ज्यादा होने से स्वरों में उतार-चढ़ाव आते हैं।
  • स्वर नलिका में हल्की सूजन की वजह से आवाज में बदलाव आता है। इसका कारण खराश है जो स्वर यंत्र के ज्यादा इस्तेमाल की वजह से पैदा होती है। जैसे- चिल्लाना, भाषण देना, जोर-जोर से भजन-कीर्तन करने से स्वरयंत्र पर प्रभाव पड़ता है।
  • आवाज बैठने की शिकायत लंबे समय तक रहने से गंभीर हो सकती है। गले पर चोट लगने, सर्दी-जुकाम की वजह से भी आवाज में भारीपन आ जाता है। स्वर नलिका को कंट्रोल करने वाली मसल्स जख्मी हो जाए तो, स्वर नलिका ठीक ढंग से हिलने-डुलने के काबिल ही नहीं रहती। इसका असर आवाज पर पड़ता है। इन मसल्स में सूजन होने से आवाज के रास्ते में बाधा आती है।

ऐसे करें बचाव

अधिक चीखे-चिल्लाएं नहीं। अधिक से अधिक पानी का सेवन करें। गले की एक्सरसाइज करें। धूम्रपान का सेवन न करें। लगातार बोलते न रहें, बीच-बीच में ब्रेक लें। लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। बोलते समय आवाज को धीमा निकालना चाहिए। गरम पानी में एक चुटकी नमक डालकर गरारे करते रहने से भारीपन दूर होता है। रोगी को ठंडे पानी, कोल्ड ड्रिंक, आइसक्रीम से परहेज करना चाहिए । गले पर गर्म कपड़ा या मफलर लपेटना लाभदायक होता है।

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