संबंधित खबरें
अगर आपके भी आधार कार्ड में है गड़बड़ी, तो इस तारीख तक करा लें अपडेट, वरना फिर उठाना पड़ेगा नुकसान!
वो पेंटिंग जिसे खरीदते ही डर से थर-थर कांपने लगते हैं लोग, खरीददार को भी बेचने पर कर देती है मजबूर
टोपियों के ऊपर बटन क्यों होता है और इसे क्या कहते हैं? 90 फीसदी लोग नहीं दे पाएंगे इसका जवाब
1 दिसंबर से नियमों में बड़े बदलाव, जानिए कैसे घरों और फाइनेंस पर होगा इसका बड़ा असर?
केवल 45 रुपये बचाकर बन जाएंगे लखपति, LIC की गैम चेजिंग पॉलिसी से बदल जाएगी आपकी जिंदगी
क्या होगा अगर धरती का कचरा अंतरिक्ष में फेंक दिया जाए? वैज्ञानिकों की इस रिपोर्ट को पढ़कर फटी की फटी रह जाएंगी आंखें
इंडिया न्यूज:
गुस्सा एक तरह की बीमारी है या कहें एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है जो हमें बताती है कि कुछ सही नहीं है। लेकिन जब आप क्रोध का अधिक अनुभव करते हैं, तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक साबित हो सकता है। बता दें गर्मी और गुस्सा इन दोनों का आपस में गहरा नाता है।
जैसे-जैसे टेम्परेचर बढ़ता है वैसे-वैसे आपका गुस्सा भी बढ़ता है। अब सवाल ये उठता है कि गर्मियों में आखिर इतना गुस्सा क्यों आता है। आयुर्वेद और पारंपरिक चाइनीज चिकित्सा अनुसार न्यूट्रिशन और खाने की चीजों से आपके मूड पर इफेक्ट पड़ता है। तो आइए जानते हैं कि कौन से फूड प्रोडक्ट आपके गुस्से को बढ़ा सकते हैं और आपके गुस्से का कारण बन सकते हैं।
अमेरिका में एरिजोना रिसर्च सेंटर की एक स्टडी में पाया गया कि हाई टेम्परेचर की वजह से लोग गुस्सा हो जाते हैं और रोड पर ज्यादा हॉर्न बजाने लगते हैं और एक दूसरे से झगड़ा करने लगते हैं। अमेरिका की दूसरी रिसर्च कहती है कि टेम्परेचर बढ़ने से हिंसा 4 फीसदी और सामूहिक हिंसा में 14 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है। वहीं स्पेन में सड़क दुर्घटनाओं का खतरा 7.7 फीसदी तक बढ़ गया है।
गर्मी में इंसानों के शरीर का स्ट्रेस हॉर्मोन बढ़ने लगता है। स्ट्रेस हॉर्मोन को कॉर्टिसोल भी कहते हैं। ठंड में कॉर्टिसोल का लेवल कम रहता है, लेकिन जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है। वैसे-वैसे कॉर्टिसोल का लेवल भी शरीर में बढ़ने लगता है। इससे शरीर को नुकसान पहुंचता है। सरल भाषा में कहें तो गर्मी का असर मस्तिष्क पर पड़ता है। दिमाग को जब पर्याप्त ऑक्सीजन और हाइड्रेशन नहीं मिलता तो वो रिएक्ट करता है और नतीजन डिप्रेशन, तनाव, गुस्से का अहसास होता है।
इस मामले में एम्स में मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डाक्टर राजेश सागर का कहना है कि एक्सट्रीम वेदर (मौसम) इंसान के स्वाभाव में असर डालता है। ड्राइविंग के दौरान उमस और गर्मी की वजह से चिड़चिड़ाहट आने लगती है। इसकी वजह से गलती से कोई आपकी कार या बाइक से टकरा जाए या ट्रैफिक में ज्यादा देर तक रूकना पड़े तो व्यक्ति को गुस्सा आने लगता है। कई बार वह अपना आपा खो देता है और रोड पर झगड़े होते हैं।
रिश्ते बिगड़ सकते हैं। किसी परेशानी में फंस सकते हैं। प्रोडक्टिव काम नहीं कर सकते हैं। पूरा दिन दिमाग ठीक नहीं रहता है। जरूरी काम करना भूल सकते हैं। खाना खाने का मन नहीं करता है। शरीर में एनर्जी नहीं रहती है।
तबीयत खराब हो जाती है। दूसरों से बात करने का मन नहीं करता है। अधिक क्रोध के चलते अवसाद, चिंता, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग के साथ ही कई और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए इसे कंट्रोल किया जाना बहुत जरूरी है।
रात को अच्छी नींद लें, इससे गुस्सा कम आता है। उल्टी गिनती गिनें, इससे गुस्सा कंट्रोल करने में मदद मिलती है। सुबह और शाम टहलने की कोशिश करें, अच्छा लगेगा। दिन में कम से कम एक बार मेडिटेशन करें, इससे मन शांत रहता है। धीमी और गहरी सांस लें, ऐसा मेडिटेशन के वक्त भी कर सकते हैं। धीमी आवाज में अपना फेवरेट गाना सुनें, पॉजिटिव फील होगा। जगह बदल दें, यानी किसी ऐसी जगह घूमने जाएं, जहां आपको फ्रेश फील हो।
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे !
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.