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Mobile Addiction in Children: बच्चों में बढ़ रही मोबाइल की लत, जानें कैसे करें फोन से दूर

India News (इंडिया न्यूज), Mobile Addiction in Children: टेक्नोलॉजी और इंटरनेट इन दिनों हर किसी के हाथ में मौजूद है। हर घर के बच्चों के पास आसानी से इंटरनेट उपलब्ध है। शुरुआती समय में मां-बाप भी बच्चों को फोन देकर काम करना पसंद करते हैं। जिसके बाद बच्चों में फोन की लत लग जाती है। जिससे छुड़ा पाना काफी मुश्किल हो जाता है। फोन के लत की वजह से बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर असर होता है। आज हम इस लत और इससे निजात पाने के उपाय के बारे में जानेंगे।

  1. बैंगलोर के रहने वाले एक व्यक्ति बतातें हैं कि उनका पोता समय पर काफी समय बीताता है। वह उनके नरम स्वभाव का फायदा उठाता है और जब चाहे मुझसे मोबाइल छीन लेता है। व्यक्ति अपने पोते के साथ कठोर नहीं हो पाते हैं। वो खुद को मोबाइल की लत में मदद करने के लिए दोषी महसूस करते हैं। ऐसे में उन्हें इस लत को छुड़ाने के लिए क्या करना चाहिए?
  • इस लत को लेकर एक्सपर्टस कहते हैं कि मोबाइल की लत एक बढ़ती चिंता का विषय है। छोटे बच्चे हानिरहित और हानिकारक गतिविधियों के बीच अंतर करने में सक्षम नहीं होते हैं। वे आनंद सिद्धांत पर चलते हैं। दूसरे शब्दों में, वे हमेशा वह करने के लिए प्रलोभित रहेंगे जो उन्हें पसंद है और वयस्कों के रूप में हमें उनका मार्गदर्शन करना होगा।  हम वयस्कों का कर्तव्य है। इसे इस तरह से देखें कि क्या अगर बच्चा मादक पेय पीने की जिद करता है, तो क्या आप उसे ऐसा करने देंगे क्योंकि आप कठोर नहीं दिखना चाहते? इसी प्रकार, मोबाइल और इंटरनेट का उपयोग, सोशल मीडिया आदि छोटे बच्चों के लिए उपयोगी गतिविधियाँ नहीं हैं और अत्यधिक शामिल होने पर नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा बच्चे वयस्कों के व्यवहार से सीखते हैं। इसलिए अपने मोबाइल फोन के उपयोग को सीमित करें और किताबें पढ़ना, बोर्ड गेम, कला, शिल्प, खेल आदि जैसे अधिक उपयोगी अभ्यासों में शामिल हों।

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2. एक 8 वीं कक्षा के विद्यार्थी का कहना कि वो पनी अंतिम परीक्षाओं को लेकर हर समय काफी तनाव में रहता है। यूट्यूब पर कई मोटिवेशनल वीडियो देखता है लेकिन जब मैं पढ़ाई करने बैठता है तो हर समय अपने लंबित असाइनमेंट और अपने सपनों के कमरे के बारे में सोचने लग जाता है। इस पर काबू कैसे किया जाए?

  • उस बात पर विशेषज्ञ कहते हैं कि हमें बहुत सारी भावनाओं और व्याकुलताओं का भी सामना करना पड़ता है। जिससे तनाव और चिंता बढ़ सकती है। तनाव से निपटने के लिए हम कभी-कभी दिवास्वप्न देखने लगते हैं जो भागने का काम करता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप किसी ऐसे वयस्क, शिक्षक या परामर्शदाता से मार्गदर्शन लें। जिसके साथ आप सहज हों। सोशल मीडिया के माध्यम से स्वयं को शिक्षित करने का प्रयास सहायक नहीं हो सकता है क्योंकि आपकी व्यक्तिगत ज़रूरतें सामान्य सलाह से पूरी होने की संभावना नहीं है।

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Shanu kumari

दिल से पटना और दिमाग से दिल्ली में रह रहीं शानू अब एन. आर. बी (नॉन रेजिडेंट बिहारी) बन चुकी हैं । पत्रकारिता में पिछले तीन सालों से एक्टिव हैं। अभी इंडिया न्यूज दिल्ली में नेशनल डेस्क पर कार्यरत है। इसे पहले Awni TV में काम कर चुकी है। साथ ही ऑल इंडिया रेडियो पर कई टॉक का हिस्सा रहीं हैं। इंडियन पालिटिक्स के अलावा इंटरनेशनल पालिटिक्स में विशेष रुचि है। पत्रकारिता के माध्यम से सरकार और जनता को जोड़े रखने की सतत इच्छा है।

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