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Pegasus क्या है ? जिसने दुनियाभर में मचाया हड़कंप, आपके फोन में कोई जासूसी कर रहा है कैसे पता चलेगा

Rizwana • LAST UPDATED : March 3, 2023, 4:19 pm IST

Pegasus… एक ऐसा घोड़ा जो उड़ सकता है. ग्रीस की कहानियों में ऐसे एक घोड़े का जिक्र मिलता है, जो हवा में उड़ सकता है। मगर यहां चर्चा जासूसी के लिए इस्तेमाल हुए एक सॉफ्टवेयर की है, जिसने दुनियाभर में हड़कंप मचा दिया। मीडिया, संसद और कोर्ट हर जगह इस सॉफ्टवेयर की चर्चा हुई।

दुनियाभर में कई स्पाईवेयर का इस्तेमाल होता है लेकिन Pegasus की चर्चा सबसे ज्यादा हुई। इस स्पाईवेयर को इजरायल के NSO ग्रुप ने डेवलप किया था, जो किसी के फोन में चुपके से इंस्टॉल किया जा सकता था। यहां तक कि इसे किसी के फोन में इंस्टॉल करने के लिए यूजर को इस पर क्लिक करने की भी जरूरत नहीं थी और यही इसकी सबसे बड़ी खासियत भी है। ये स्पाईवेयर जीरो-क्लिक एक्सप्लॉयट है। इस स्पाईवेयर की जद में एंड्रॉयड और iOS दोनों ही ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करने वाले फोन्स थे। स्पाईवेयर iOS 14.7 वर्जन में आसानी से सेंधमारी कर सकता था। किसी यूजर के फोन में हर तरह की जासूसी का काम Pegasus कर सकता था।

कहानी पेगासस की…
इस स्पाईवेयर के नाम के पीछे भी एक कहानी है। पेगासस ग्रीक की पौराणिक कथा में एक घोड़े का नाम होता है जिसके पंख होते हैं। ये एक टॉर्जन हॉर्स कम्प्यूटर वायरस है, जो किसी भी डिवाइस में यूजर की जानकारी के बिना सेंधमारी कर सकता था। दरअसल, ये सॉफ्टवेयर डिवाइस में मौजूद खामी को खोजता और फिर यूजर के डिवाइस को इन्फेक्ट करता है। इसकी मदद से किसी के टेक्स्ट मैसेज रीड किए जा सकते हैं। ये कॉल्स ट्रैक कर सकता था, पासवर्ड कलेक्ट करने, लोकेशन ट्रैक करने के साथ-साथ माइक्रोफोन और कैमरा तक का एक्सेस हासिल कर सकता था। पेगासस को साल 2016 में डिस्कवर किया गया था, जब एक फोन में इसका इंस्टॉलेशन फेल हो गया था।

कैसे पकड़ा गया था पेगासस?
ये सवाल तो जरूर मन में आता है कि जब कोई सॉफ्टवेयर इतना हाईटेक था, तो इसके पकड़ा कैसे गया? एक गलती की वजह से ये सॉफ्टवेयर दुनिया की नजर में आया। दरअसल, अगस्त 2016 में अरब में मानवाधिकार की लड़ाई लड़ने वाले अहमद मंसूर को एक टेक्स्ट मैसेज आया।

उन्हें एक सीक्रेट मैसेज मिला, जिसमें UAE के जेल में बंद कैदियों पर अत्याचार के बारे में बताया गया था। मंसूर ने इस लिंक को यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो की सिटीजन लैब को भेजा, जिन्होंने जांच में पाया कि टेक्स्ट मैसेज के साथ आए लिंक में एक स्पाईवेयर छिपा हुआ है। किसी फोन में मायवेयर इम्प्लांट करने के इस तरीके को सोशल इंजीनियरिंग कहते हैं।

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