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India News(इंडिया न्यूज),Cauvery Dispute: कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद आज से नहीं चल रहा है। लेकिन सोचने की बात ये है कि, आज भी ये विवाद कम होने का नाम नहीं ले रही है। आज भी दोनों राज्यों में कावेरी जल विवाद की बातें करने पर खींचतान होने लगती है। जिसके बाद एक बार फिर ये खबर प्रकाश में आया जब कर्नाटके उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने तमिलनाडु को पानी देने से इंकार करते हुए कहा कि, वह पड़ोसी राज्य तमिलनाडु को कावेरी नदी का पानी देने में असमर्थ है। इसके साथ हीं शिवकुमार ने बताया कि, बेसिन क्षेत्र में पर्याप्त बारिश की कमी के कारण कर्नाटक के पास पर्याप्त जल भंडारण नहीं है।
https://x.com/ANI/status/1701619110575280465?s=20
जानकारी के लिए बता दें कि, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने इस विवाद को लेकर मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जहां उन्होंने कहा कि, मैं स्पष्ट कर रहा हूं कि हमारे पास पानी नहीं है। मामला अब उच्च समिति के समक्ष पेश किया जाएगा। मैंने आज सुबह ही मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से इस पर चर्चा की है और अपने अधिकारियों से कहा है कि हम पानी नहीं छोड़ सकते। इसके साथ हीं
शिवकुमार ने कहा कि, तमिलनाडु ने 12,500 क्यूसेक पानी की मांग की है। जबकि, सीडब्ल्यूआरसी ने 5000 क्यूसेक पानी की मांग की है। लेकिन हमारे पास पानी ही नहीं है। हम इस मसले पर दिल्ली के अपने कानूनी विशेषज्ञों के साथ चर्चा करेंगे। हमें खुद के पीने के लिए भी पानी बचाना है। अभी किसानों को तो जोड़ा ही नहीं है, हमारी पहली प्राथमिकता पीने का पानी है। तमिलनाडु को पानी देना हमारे लिए असंभव है।
ये पानी विवाज कांग्रेस और कांग्रेस बीच की थी। तो जाहीर सी बात है कि इस मामले में राजनीति तो होंगी ही। जहां अब कर्नाटक भाजपा भी जल विवाद पर कांग्रेस सरकार के साथ खड़ी है। जिसके लिए भाजपा अध्यक्ष का कहना है कि, तमिलनाडु को किसी भी कीमत पर पानी न छोड़ा जाए। वहीं भाजपा अध्यक्ष नलिन कुमार कतील ने कहा कि हैं कि, हमारे यहां किसानों के लिए पानी ही नहीं है। सूखा है। पीने के पानी की भी कमी है। इसलिए किसी भी कीमत पर तमिलनाडु को पानी नहीं छोड़ा जाना चाहिए। राज्य के हितों की रक्षा करना सरकार का फर्ज है।
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