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जिन महिलाओं से मुगलों ने कराया गलत काम, उनमें से 6 ने किए ऐसे कारनामे, आज भी सिर झुकाकर नाम लेते हैं लोग!

Preeti Pandey • LAST UPDATED : October 9, 2024, 1:18 pm IST
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जिन महिलाओं से मुगलों ने कराया गलत काम, उनमें से 6 ने किए ऐसे कारनामे, आज भी सिर झुकाकर नाम लेते हैं लोग!

famous courtesans of india: जिन महिलाओं से मुगलों ने कराया गलत काम

India News (इंडिया न्यूज़), famous courtesans of india: आज के समय में तवायफों को बहुत इज्जत की नजरों से नही देखा जाता है। लेकिन हिंदी फिल्मों में ऐसा दिखाया गया है की वह इज्जत कुरबान करने वाली वेश्या हैं। और इसके विपरीत, पुराने भारतीय समाज में तवायफ को एक कलाकार माना जाता था जो कविता, संगीत, नृत्य और गायन जैसी कलाओं को बढ़ावा देती थी। आपको ये जान कर आश्चर्य हो सकता है, लेकिन वास्तव में, प्राचीन समय में वेश्याएं शिक्षिकाएं हुआ करती थीं जो कुलीन परिवारों के युवाओं को शिष्टाचार सिखाती थीं।

मुगल साम्राज्य के आने के बाद तवायफों का काम नाच-गाकर राजाओं और प्रजा का मनोरंजन करना रह गया। नवाबों के आने से पहले तवायफों को सिर्फ तवायफों के तौर पर ही देखा जाता था। मुगल काल में कई तवायफें ऐसी थीं जो बेहद खूबसूरत थीं और जब लोग इन तवायफों के दीवाने हो गए तो असली राजनीति या झगड़े शुरू हुए। कई चालाक तवायफों ने इसका फायदा उठाया और अपना रुतबा बढ़ाने में सफल रहीं और कई ने अपनी जिंदगी बर्बाद कर ली।

तवायफ़ें देती थीं सबसे ज़्यादा टैक्स

उस समय तवायफ़ों को सम्मान की नज़र से देखा जाता था। वे बहुत अमीर थीं। ऐसे दस्तावेज़ मौजूद हैं जिनसे पता चलता है कि लखनऊ की तवायफ़ें सबसे ज़्यादा टैक्स देती थीं। हम आपको ऐसी ही 6 तवायफों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने इस पेशे को गरिमा दी और उनका नाम आज भी बड़े सम्मान से लिया जाता है।

बेगम हजरत महल

‘अवध की बेगम’ मुहम्मदी खानम यानी बेगम हजरत महल पेशे से तवायफ थीं, लेकिन उनकी शादी अवध के नवाब वाजिद अली शाह से हुई थी। जब 1856 में अंग्रेजों ने अवध पर कब्जा कर लिया तो वाजिद अली शाह कलकत्ता भाग गए, बेगम हजरत महल ने ही क्रांति की शुरुआत की थी।

गौहर जान

2 नवंबर 1902 को डिस्क पर पहला भारतीय गाना रिकॉर्ड करने वाली बनारस-कलकत्ता की मशहूर तवायफ गौहर जान को आधुनिक फिल्म संगीत की ‘गॉडमदर’ कहा जाता है। आर्मेनियाई के कपल की संतान गौहर का असल नाम एंजेलिना योवार्ड था। वह 19वीं सदी की सबसे महंगी गायिका थीं, जो एक महफिल के लिए 101 सोने के सिक्के लेती थीं। महारानियों से भी महंगी पोषाक पहनने वालीं गौहर ने महात्मा गांधी के स्वतंत्रता आंदोलन में मदद के लिए भारी दान दिया था।

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ज़ोहरा बाई

ज़ोहरा बाई का पालन-पोषण एक तवायफ़ के कोठे में हुआ था, लेकिन उस्ताद शेर ख़ान की इस शिष्या को फ़ैयाज़ ख़ान और बड़े ग़ुलाम अली ख़ान जैसे मशहूर गायकों का भी सम्मान प्राप्त था।

जद्दनबाई

आज लोग जद्दनबाई को फिल्म स्टार संजय दत्त की दादी और नरगिस की मां के तौर पर जानते हैं, लेकिन उन्हें एक वेश्यालय से उठकर समाज में नाम कमाने के लिए भी जाना जाता है। बॉलीवुड की पहली महिला संगीत निर्देशक रहीं जद्दनबाई का सम्मान इसलिए भी किया जाता है क्योंकि वह क्रांतिकारियों को शरण देती थीं।

रसूलन बाई

महान शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने भी बनारस घराने की गायिका रसूलन बाई को आदरपूर्वक ‘ईश्वर की आवाज’ कहा था।

अजीजनबाई

अजीजनबाई को 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की योद्धा के रूप में जाना जाता है, न कि एक ऐसी तवायफ के रूप में जिसकी तवायफों की फौज ने अंग्रेजों को भी डरा दिया था।

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