संबंधित खबरें
दुश्मनी के बावजूद भी क्यों पांडवों ने कर्ण के बेटे को सौंप दिया था इन्द्रप्रस्थ का राजपाठ? कौन था कर्ण का वो एक बेटा जो रह गया था जीवित?
कार में था परिवार और सड़क पर गुस्साई भीड़ से मार खा रहा था पुलिसकर्मी… जाने क्या है मामला, वीडियो देख हो जाएंगे हैरान
जीत के बाद भी झारखंड में हारी कांग्रेस! हेमंत सोरेन ने दिया ऐसा तगड़ा झटका, अब राहुल गांधी हो गए चारों खाने चित?
चुनाव में मिली जीत का मन रहा था जश्न तभी हुआ कुछ ऐसा…मच गई चीख पुकार, वीडियो देख नहीं होगा आखों पर विश्वास
कलियुग की स्त्रियों को लेकर श्रीकृष्ण की अर्जुन से कही ये 3 बातें आज हो रही है पत्थर की लकीर की तरह सच, जानें सबकुछ
चुनाव जीतने के बाद भी क्यों फूट-फूट कर रोए सपा विधायक, सीएम योगी को लेकर भी कह दी ऐसी बात…देखें वीडियो
India News (इंडिया न्यूज), Honeymoon Before Marriage: भारत में शादी से जुड़ी कई अजीबोगरीब प्रथाएं हैं, जिनके बारे में सुनकर ही सिर घूम जाएगा। आज हम आपको छत्तीसगढ़ की एक ऐसी प्रथा के बारे में बता रहे हैं, जो सदियों से चली आ रही है। इस प्रथा के तहत न केवल लड़के-लड़कियों को अपना जीवनसाथी चुनने की आजादी होती है, बल्कि वे शादी से पहले परिवार की सहमति से शारीरिक संबंध भी बनाते हैं। इसे छत्तीसगढ़ में घोटुल प्रथा कहते हैं। हालांकि, जैसे-जैसे समय और उम्र बदल रही है, यह प्रथा कम होती जा रही है। आइए जानते हैं इस प्रथा के बारे में-
बता दें कि, देश के कई आदिवासी समुदायों जैसे माड़िया, गोंड और मुरिया में घोटुल प्रचलित है। यह प्रथा खास तौर पर छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले और दक्षिण के कुछ खास इलाकों में मनाई जाती है। वहीं घोटुल को एक तरह का कुंवारा शयनगृह कहा जा सकता है, यानी एक खास आकार की झोपड़ी या घर जिसे आदिवासी जोड़ा मिलकर बनाता है और उसमें रात गुजारता है। वहीं अलग-अलग इलाकों की घोटुल परंपराओं में अंतर होता है। कुछ जगहों पर युवा लड़के-लड़कियां घोटुल में ही सोते हैं, जबकि कुछ जगहों पर वे पूरा दिन वहीं रहते हैं और रात को अपने-अपने घर सोने चले जाते हैं। इस परंपरा से दोनों पक्षों के परिवारों को कोई आपत्ति नहीं है। घोटुल में लड़कों को चेलिक और लड़कियों को मोटियारी कहा जाता है।
दरअसल, जब कोई लड़का शारीरिक रूप से परिपक्व हो जाता है। उस समय वह घोटुल का रास्ता चुनता है। उसे बांस से कंघी बनानी होती है। क्योंकि इसी बांस की कंघी के जरिए वह अपने भावी जीवनसाथ की तलाश करता है। जब किसी लड़की को वह कंघी पसंद आ जाती है, तो वह उसे चुराकर बालों में लगाकर घूमती है, जो इस बात का संकेत है कि उसे लड़का पसंद आ गया है। फिर वे सब मिलकर अपना घोटुल सजाते हैं और उस झोपड़ीनुमा घोटुल में रहने लगते हैं।
बता दें कि, घोटुल की परंपरा का एक मुख्य उद्देश्य आदिवासी समाज में वैवाहिक जीवन को सुखद और सामंजस्यपूर्ण बनाना है। इस प्रथा के माध्यम से युवक-युवतियां न केवल एक-दूसरे की भावनाओं और इच्छाओं को समझते हैं, बल्कि वैवाहिक जीवन की आवश्यकताओं को भी सीखते हैं।आदिवासी समाज में महिलाओं का बहुत ऊंचा दर्जा है और उन्हें समाज में समानता और सम्मान दिया जाता है।
गौरतलब है कि, आदिवासी समुदाय द्वारा वर्षों से संरक्षित और सम्मानित की जाने वाली घोटुल जैसी परंपराएँ अब बाहरी हस्तक्षेप और सामाजिक परिवर्तनों के कारण खतरे में हैं। इन पारंपरिक रीति-रिवाजों पर बाहरी दुनिया के प्रभाव ने घोटुल के वास्तविक स्वरूप को बदलना शुरू कर दिया है। जब बाहरी लोग इन परंपराओं से जुड़े स्थलों पर जाते हैं और तस्वीरें लेते हैं या वीडियो बनाते हैं, तो इसे आदिवासियों की सांस्कृतिक गोपनीयता और गरिमा पर आक्रमण माना जाता है। हालांकि घोटुल पूरी तरह से बंद नहीं हुआ है, लेकिन इसका चलन कम हो गया है। बस्तर जैसे आदिवासी इलाकों में, जहाँ कभी यह परंपरा फल-फूल रही थी, अब धीरे-धीरे कम होती जा रही है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.