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महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र बने 3 साल के बाल योगी संत, भगवा पहन तुतलाती भाषा में पढ़ते हैं श्लोक

BY: Yogita Tyagi • LAST UPDATED : January 17, 2025, 4:03 pm IST
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महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र बने 3 साल के बाल योगी संत, भगवा पहन तुतलाती भाषा में पढ़ते हैं श्लोक

Mahakumbh 2025

India News (इंडिया न्यूज),  Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ मेला दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन में से एक है, जहां लाखों श्रद्धालु और संत इकट्ठा हो रहे हैं। इस वर्ष के महाकुंभ में एक विशेष संत चर्चा का विषय बने हुए हैं, जिनकी उम्र केवल तीन साल ही है। उनका नाम है श्रवण पुरी है। जूना अखाड़े के संतों ने इस छोटे से बच्चे को संत का दर्जा दिया है और उस छोटे से बच्चे की साधु-संन्यासी जैसी जीवनशैली देखकर लोग हैरान हैं।

जूना अखाड़े के अनुष्ठानों में लेते हैं भाग

श्रवण पुरी के बारे में जानकर यह भी पता चलता है कि उनका जीवन साधुओं जैसा है। वह जूना अखाड़े के सभी कार्यों में भाग लेते हैं और आरती करते हैं। उनका आहार भी साधु-संतों जैसा है, उन्हें सभी साधुओं की तरह खाने के लिए फल दिए जाते हैं उन्हें खाने में चॉकलेट जैसी चीजें बिल्कुल भी पसंद नहीं हैं। साधु श्रवण पुरी गुरु भाइयों के साथ खेलते हैं और संतों की तरह तुतलाती भाषा में श्लोक और मंत्र भी बोलते हैं।

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आश्रम में दिए गए थे दान

श्रवण पुरी के जीवन की शुरुआत भी अनोखी रही है। उन्हें फरवरी 2021 में एक दंपती ने आश्रम में दान में दे दिया था, जब उनकी उम्र केवल तीन महीने थी। उस दंपती की कोई मन्नत पूरी हुई थी, जिसके प्रतिफल स्वरूप उन्होंने श्रवण पुरी को डेरा बाबा श्याम पुरी के आश्रम में समर्पित कर दिया था। इसके बाद से श्रवण पुरी का पालन-पोषण और देखभाल जूना अखाड़े के संतों द्वारा ही किया जा रहा है।

सुबह चार बजे उठ जाते हैं बाल संत

श्रवण पुरी का रहन-सहन भी संतों जैसा है। उनका सोने और जागने का समय बिल्कुल संतों जैसा है। सर्दी के मौसम में वे सुबह पांच बजे जागते हैं, जबकि गर्मी में उनकी नींद चार बजे के पहले ही खुल जाती है। जूना अखाड़े के महंत कुंदन पुरी का कहना है कि बच्चों के अंदर स्वयं भगवान बसते हैं और जब कोई बच्चा साधु के रूप में प्रकट होता है तो यह समाज और दुनिया के लिए बहुत कल्याणकारी होता है।महाकुंभ में श्रवण पुरी का होना इस बात का प्रतीक है कि इस छोटी उम्र में भी वे संतों जैसी जीवनशैली अपनाकर लोगों के बीच एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। महाकुंभ मेला 13 जनवरी से शुरू हुआ है और इस वर्ष अनुमानित 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन की संभावना है।

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