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अजीत मैंदोला, नई दिल्ली :
Assembly Election Result Analysis 2022 : पांच राज्यों के चुनाव परिणामों ने कांग्रेस के अस्तित्व पर संकट ला दिया है। कांग्रेस ने अगर देश की बदलती राजनीति को नही समझा तो बीजेपी का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना अपने आप ही पूरा हो जाएगा।केरल, असम के बाद पंजाब, उत्तराखण्ड, गोवा की हार और यूपी में हुई दुर्गति से साफ हो गया है कि राहुल और प्रियंका गांधी को जनता स्वीकार नही कर रही है।
कांग्रेस को अब अपने अध्य्क्ष के चुनाव से पहले तय करना होगा कि क्या गांधी परिवार को वाकई कमान संभालनी चाहिये या गैर गांधी को अध्य्क्ष बनाना चाहिये। वैसे भी पार्टी के अंदर नेतृत्व बदलने की बात जिस तरह उठ रही उसमे गांधी परिवार का अध्य्क्ष बनना मुश्किल होगा। राहुल चुनाव लड़े तो चुनोती मिलेगी।अंसन्तुष्ठ नेताओं के रुख से इसके संकेत मिल रहे हैं।
जानकार मान रहे हैं कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की शानदार जीत से कांग्रेस का भविष्य खतरे में पड़ गया है। बीजेपी ने अगर कांग्रेस मुक्त भारत की रणनीति पर काम जारी रखा तो लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों में आप पार्टी पूरी ताकत से चुनाव लड़ेगी। जिसका सीधा नुकसान कांग्रेस को होगा। इन आधा दर्जन राज्यों में से गुजरात और हिमाचल प्रदेश का चुनाव इसी साल अक्टूबर में होना है। यूपी और उत्तराखंड की जीत के बाद बीजेपी इन दोनों राज्यों को जीतने के लिये कोई कोर कसर नही छोड़ेगी। ऐसे भी संकेत हैं इन राज्यों में बचे कुचे कांग्रेसी भी पार्टी छोड़ सकते हैं। (Assembly election 2022 punjab)
इसके बाद अगले साल कर्नाटक, राजस्थान, मध्य्प्रदेश, तेलंगाना, त्रिपुरा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की बारी है। इन राज्यों में दो राज्यों को छोड़ अभी तक बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी फाइट होती रही है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अभी कांग्रेस की सरकारें हैं। जो अंदुरुनी गुटबाजी से जूझ रही हैं। जिसका लाभ बीजेपी आने वाले दिनों में उठाएगी। उधर यह तय है कि पंजाब जीत के बाद आम आदमी पार्टी इन सभी राज्यों में मजबूती से चुनाव लड़ेगी। जिसका सीधा नुकसान कांग्रेस को ही होगा। आम आदमी पार्टी की रणनीति बहुत साफ है। पंजाब जीतने के बाद आप के मुखिया दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपने पहले भाषण में देश की मौजूदा व्यवस्था को बदलने की बात कर संकेत दे दिये कि उनकी नजर अब राष्ट्रीय राजनीति पर है। (Punjab election 2022 Result by Seats)
जानकार भी मान रहे हैं कि आप ही कांग्रेस का विकल्प बनने जा रही है।आप बहुत तरीके से राजनीति कर रही है। पिछली बार पंजाब में हाथ आजमाया और इस बार जीत हांसिल की। इस बार उत्तराखंड में पूरी मजबूती से चुनाव लड़ा और अपनी जमीन तैयार कर ली। आप के रणनीतिकार जानते थे अगर वह मजबूती से लड़ेंगे तो कांग्रेस को नुकसान होगा और वह सत्ता से चूकेगी। उत्तराखण्ड में वही हुआ कांग्रेस की करारी हार हो गई। हालांकि इस हार में कांग्रेस के कमजोर नेतृत्व ने भी एक भूमिका निभाई। वह नेताओं के आपसी झगड़े नही निपटा पाया।जिस तरह कांग्रेस हारी अब उत्तराखण्ड में उभरना मुश्किल होगा। आप उस जगह को लेने की पूरी कोशिश करेगी।
2027 के उत्तराखण्ड चुनाव में अब आप और बीजेपी में ही असली मुकाबला होगा। यही रणनीति आप राजस्थान, मध्य्प्रदेश कर्नाटक और छत्तीसगढ़ में जरूर आजमाएगी। गुजरात मे आप पहले ही संघर्ष कर रही। पंजाब जैसे राज्य की जीत बाकी राज्यों में उम्मीदे जगाने के लिये काफी है। जनता के साथ जानकार भी आप को गंभीरता से लेंगे। इन हालात में कांग्रेस के सामने अपना अस्तित्व बचाना बहुत आसान नही होगा। हालांकि पांच राज्यों की हार के बाद चापलूसों ने राहुल को अभी से समझाना शुरू कर दिया होगा चिंता की बात नही है। बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनावों में 2019 नही दोहरा पाएगी। राज्य हारेंगे, लेकिन लोकसभा हम जीतेंगे।
इसी तरह का गणित 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी राहुल को समझाया गया था। राहुल भी मान बैठे थे कि हम ही जीतेंगे।200 सीट का गणित राहुल को समझा रखा था। परिणाम सबको पता हैं। राहुल और प्रियंका ने अगर इसी तरह अपने चाटुकारों पर भरोसा किया और खुद नेतृत्व की जिद्द नही छोड़ी तो बीजेपी का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना जल्द पूरा हो जाएगा। अभी तक तो बीजेपी ही मुकाबले मे थी लेकिन अब आम आदमी पार्टी भी राष्ट्रीय पार्टी बनने की तैयारी में जुट गई है। आप पर क्षेत्रीय पार्टी का टैग भी नही लगा है।राहुल गांधी ने ही 2103 में आप को दिल्ली मे 50 दिन की ऑक्सीजन दे राजनीतिक जीवन दान दिया था। (Assembly Election Result Analysis 2022)
मोदी को कोसने से नही चलेगा- कांग्रेस को समझना होगा कि केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोसने से काम नही चलेगा। क्योंकि राहुल ओर प्रियंका की टीम सुबह शाम एक ही काम पर लगी रहती है मोदी को ट्वीट के माध्य्म से कोसो। हालांकि दोनों नेताओं को ट्वीट के बारे में पता भी होगा कहा नही जा सकता। क्योंकि प्रियंका गांधी ने अभी जयपुर दौरे पर कहा उन्हें नही पता कि राजस्थान का बजट कैसा है, उन्होंने नही पढ़ा।
जबकि मजेदार बात यह है कि बजट के दूसरे दिन उनके नाम से किये गए ट्वीट में राजस्थान के बजट की सराहना कर टिप्पणी की गई थी। इससे साफ है कांग्रेस में बड़े स्तर पर ही गंभीरता नही है। अब तो यूपी और उत्तराखंड के परिणामों ने तो साबित कर दिया कि काम के बल पर चुनाव जीता जा सकता। बीजेपी ने इन चुनाव में न तो हिंदुत्व का कार्ड खेला और ना ही बांटने की राजनीति की। (Punjab Election 2022 result all Seats)
कांग्रेस अब बीजेपी पर साम्प्रदायिक और धर्म के नाम पर बांटने की राजनीति का आरोप भी नहीं लगा सकती है। यूपी और उत्तराखंड में मोदी और योगी की छवि के साथ साथ कानून व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा जैसे मुद्दों के साथ सड़कों के विकास ने जीत में अहम भूमिका निभाई। महिलाओं ने सुरक्षा के नाम पर बीजेपी को जमकर वोट किया। बाकी उनके ताकतवर संगठन ने सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाया।
जबकि कांग्रेस में मजबूत संगठन की कमी है। कमजोर केंद्रीय नेतृत्व ने सन्गठन को और कमजोर किया है। ऐसे में कांग्रेस को केंद्रीय नेतृत्व के बारे में तय करना होगा। वहीं राजस्थान और छत्तीसगढ़ मे अभी से सरकार रिपीट करने की रणनीति बनानी होगी। राजस्थान की गहलोत सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना और शहर के लिये इंदिरा गांधी रोजगार गारंटी जैसी योजना लाकर कांग्रेस को उपलब्धि बताने के लिये बड़े मुद्दे दिये हैं।
इसी के साथ छत्तीसगढ़ में भी उन्हें लागू किया। कांग्रेस इन दोनों राज्यों के साथ मध्य्प्रदेश के लिये आज से चुनाव जीतने के लिये अभी से रणनीति बना जतन शुरू करदे तो लोकसभा चुनाव से पहले मान रह जायेगा।लेकिन यह तभी होगा जब मजबूत केंद्रीय नेतृत्व होगा। समय पर फैसले करने होंगे। जिसे जो जिम्मेदारी देनी है आज ही देनी होगी।चेहरे भी आज ही घोषित करने होंगे। आपसी खींचतान का निपटारा भी अभी करना होगा। वर्ना उत्तराखण्ड और पंजाब जैसी स्थिति बनने में देरी नही लगेगी।उत्तराखण्ड और पंजाब की हार के लिये असल जिम्मेदार केंद्रीय नेतृत्व ही है। पंजाब को राहुल और प्रियंका की जिद्द ले डूबी।
गलत समय पर सारे फैसले किये। उत्तराखण्ड में आपसी झगडे निपटा नही पाये। दोनो राज्यों में हरीश चौधरी और देवेंद्र यादव जैसे अनुभवहीन नेताओं को प्रभारी बना दिया। दोनो नेताओं की भूमिका पर सवाल भी उठे हैं। पैसे लेने तक के आरोप हैं। ऐसे कांग्रेसी नेताओ को अपना घमंड छोड़ सच को समझना होगा। इसके साथ राहुल की मौजूदा पूरी टीम को हटाए बिना कांग्रेस की बात भी नही बनेगी। पांच राज्यों की हार के बाद अंसन्तुष्ट नेता सक्रिय हो गये हैं। जो कांग्रेस नेतृत्व को चुनोती देते रहे हैं। अब उनकी सक्रियता कुछ बड़ा कर सकती है।
Assembly Election Result Analysis 2022
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