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India News (इंडिया न्यूज), Afgani Girls: अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के बाद, महिलाओं और लड़कियों के लिए जिंदगी और कठिन हो गई है। शरिया कानून के कठोर पालन के चलते महिलाओं के मूल अधिकार उनसे छीन लिए गए हैं, और अब उन्हें कई सख्त प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। इन सभी में सबसे चिंताजनक स्थिति छोटी बच्चियों की है, जिन्हें बहुत कम उम्र में ही शादी के बंधन में बांध दिया जाता है।
यूनिसेफ के आंकड़ों के अनुसार, अफगानिस्तान में करीब 28 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 वर्ष की आयु से पहले हो जाती है। बाल विवाह न केवल उनके शिक्षा और करियर के अवसरों को सीमित कर देता है, बल्कि उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है। 18 वर्ष की उम्र तक पहुंचने से पहले 26 प्रतिशत महिलाओं को मातृत्व का बोझ उठाना पड़ता है। इससे उनके स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है, और वे अक्सर कम उम्र में ही गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करने लगती हैं।
अफगानिस्तान में हर दिन करीब 100 नवजात शिशुओं की मौत होती है, जिनकी उम्र एक महीने से भी कम होती है। यह आंकड़ा दिखाता है कि वहां की स्वास्थ्य सेवाएं कितनी कमजोर हैं और गर्भवती महिलाओं को उचित चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पा रहीं। नतीजतन, न केवल माताओं के स्वास्थ्य पर खतरा मंडराता है, बल्कि नवजात बच्चों का भी जीवन खतरे में रहता है।
इन समस्याओं की जड़ में गरीबी और समाज का दबाव भी शामिल है। कम उम्र में विवाह और मातृत्व की जिम्मेदारी ने अफगान महिलाओं के भविष्य को अनिश्चितता में डाल दिया है। शिक्षा और विकास के अवसर छिन जाने से उनका जीवन संघर्ष और अभाव से भर जाता है।
यह स्थिति हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि अफगानिस्तान में महिलाओं और बच्चियों के अधिकारों की बहाली और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की कितनी सख्त जरूरत है, ताकि वे भी सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकें।
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