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India News (इंडिया न्यूज), Body Preservation In Ice: सेना के एक जवान का शव 56 साल बाद बर्फ में दबा मिला है। 1968 में हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे पर भारतीय वायुसेना का AN-12 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस घटना के बाद से ही जवान लापता था। अब उसका शव घर लाया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इंसान का शरीर कितने साल तक बर्फ में सुरक्षित रह सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर कोई जिंदा इंसान बर्फ में रहता है तो उसे सुरक्षित रहने के लिए शरीर का तापमान बनाए रखना होगा।
वह -50 डिग्री तक की ठंड को झेल सकता है, लेकिन अगर वह लंबे समय तक खुली बर्फ में रहे तो -5 डिग्री के बाद शरीर खराब होने लगता है। इससे हाथ, पैर, बांह की रक्त वाहिकाएं सख्त हो जाती हैं। इससे शरीर में मौजूद खून त्वचा को गर्मी देना बंद कर स
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जब कोई व्यक्ति बर्फ में दब जाता है, तो उसका शरीर ठंड के कारण धीरे-धीरे जमने लगता है। इस प्रक्रिया में अंगों की कोशिकाएं जमने लगती हैं, जिससे शरीर सुरक्षित रहता है। बर्फ में शरीर की स्थिति तापमान, आर्द्रता और हवा की गति जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। इनके आधार पर बर्फ में शरीर की स्थिति बदलती रहती है, लेकिन आम तौर पर शरीर 100 से 200 साल तक बर्फ में सुरक्षित रह सकता है।
अगर किसी व्यक्ति के शव को सामान्य रूप से बर्फ में रखा जाए तो उसे दो से तीन दिन तक ही सुरक्षित रखा जा सकता है, क्योंकि इसके बाद शव से बदबू आने लगती है। फिर उसे आसपास रखना मुश्किल हो जाता है।
शरीर का तापमान 36.5 डिग्री सेल्सियस के आसपास होता है। अगर यह 30 डिग्री से नीचे या 42 डिग्री से ऊपर चला जाए तो व्यक्ति की मौत हो सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि अगर अधिकतम तापमान 45 डिग्री तक पहुंच जाता है तो बेहोशी, चक्कर आना या घबराहट जैसी शिकायतों के कारण रक्तचाप कम हो सकता है। वहीं अगर आप लंबे समय तक 48 से 50 डिग्री या इससे ज्यादा तापमान में रहते हैं तो मांसपेशियां पूरी तरह से काम करना बंद कर सकती हैं और मौत भी हो सकती है।
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