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India News (इंडिया न्यूज), Childhood Impact on Brain: अक्सर कहा जाता है कि बचपन में लोगों के साथ जो घटनाएं घटती हैं, उनका असर बुढ़ापे तक उनका पीछा नहीं छोड़ता। कई लोग मानते हैं कि यह सिर्फ लोगों की गलतफहमी है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि हाल ही में हुए एक अध्ययन ने इस बात की पुष्टि की है। वैज्ञानिकों के मुताबिक बचपन में बच्चों के साथ जो कुछ भी होता है, उसका असर उनके दिमाग पर हमेशा के लिए रहता है।
बचपन के अनुभवों का हमारे जीवन पर गहरा असर पड़ता है। अगर इस दौरान सकारात्मक माहौल मिले तो बच्चे का जीवन बेहतर हो सकता है, जबकि नकारात्मक चीजें उसे हमेशा के लिए कमजोर कर सकती हैं।
इस शोध में यह समझने की कोशिश की गई कि बचपन में होने वाली घटनाएं हमारे जीन और दिमाग की सेहत को कैसे बदल सकती हैं और इसका असर जीवन भर कैसे रहता है। कनाडा के मैकगिल विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ. माइकल मीनी ने इस विषय पर कई शोध किए हैं।
“जीनोमिक साइकियाट्री” नामक पत्रिका में एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने बताया कि हमारे जीन और पर्यावरण दोनों का दिमाग की सेहत पर असर पड़ता है। बचपन के अनुभव हमारे जीन को बदले बिना उनके काम करने के तरीके को काफी हद तक प्रभावित कर सकते हैं, जिससे पूरे जीवन भर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
अपने अध्ययन में डॉ. माइकल मीनी ने यह समझने की कोशिश की कि लोग एक-दूसरे से इतने अलग क्यों हैं। इस जिज्ञासा ने उन्हें एपिजेनेटिक्स के क्षेत्र में पहुँचाया, जो इस बात का अध्ययन करता है कि बाहरी पर्यावरणीय कारक डीएनए में बदलाव किए बिना हमारे जीन के कामकाज को कैसे प्रभावित कर सकते हैं। जब हम मस्तिष्क के विकास और कार्य के बारे में सोचते हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि हम व्यक्ति के अनुभवों और उन अनुभवों के प्रभाव को समझें। शोध से पता चला है कि बचपन के अनुभव मस्तिष्क के स्वास्थ्य और जैविक स्तर पर इसके कामकाज को प्रभावित कर सकते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, बचपन के शुरुआती अनुभव बच्चों की मानसिक सहनशीलता और जीवन में विभिन्न चुनौतियों का सामना करने की उनकी क्षमता पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं। बच्चों के विकास के दौरान सकारात्मक और अच्छे अनुभव उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रख सकते हैं। यही कारण है कि बच्चों को बचपन में सही माहौल और अच्छे अनुभव प्रदान करना बहुत महत्वपूर्ण है।
इससे उनके मस्तिष्क का सही विकास होता है और वे मानसिक रूप से मजबूत बन सकते हैं। जो बच्चे आघात या नकारात्मक अनुभवों के साथ बड़े होते हैं, उन्हें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
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