Holi 2023: होली का त्योहार आने में कुछ ही दिन शेष बचे हैं। होली को लेकर लोगों में काफी उत्साह है। इस पर्व को बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। होली को देखते हुए बाजारों में भी रंग, गुलाल और पिचकारी की दुकानें सज चुकी हैं। होली के रंगो से बाजार रंगभरा हो गया है। बाजार में केमिकल युक्त रंग और गुलाल मिल रहा है। लेकिन रासायनिक रंगों से हमारी त्वचा खराब हो जाती है। इसीलिए हमें प्राकृतिक रंगों के साथ होली खेलनी चाहिए। तो इसलिए इस होली हर्बल रंगों के साथ ही जश्न मनाएं।
विशेषज्ञों के मुताबिक, हरे रंग में कापर सल्फेट होता है। जिससे स्किन पर एलर्जी होने के साथ आंखें भी खराब होती हैं। वहीं काले रंग से गुर्दों को नुकसान पहंचता है। लाल रंग से त्वचा का कैंसर होने का खतरा रहता है। क्योंकि इसमें मरक्यूरिक आक्साइड होता है। इसके अलावा सिल्वर रंग से भी स्किन कैंसर का खतरा रहता है। इस रंग में एल्यूमिनियम ब्रोमाइड होता है। बैंगनी रंग में कोरियन आथोडाइड होने की वजह से स्किन एलर्जी और अस्थमा का खतरा रहता है। पीले रंग से भी एलर्जी हो सकती है। इसमें ओरमिन होता है। इसके अलावा चमकीले रंगों में शीशा होता है। जिससे स्किन डैमेज होती है।
बता दें कि आंखों में अगर केमिकल युक्त रंग चला जाए तो रोशनी जाने का भी खतरा रहता है। वहीं मुंह में रंग जाने से छाले हो जाते हैं। केमिकल वाले रंग चेहरे और आंखों के लिए बेहद नुकसानदायक होते हैं। केमिकल युक्त रंगों की बजाय हर्बल रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए। इसीलिए सभी को केवल हर्बल रंगों से ही होली खेली चाहिए। हर्बल रंगों को घर पर भी आसानी से तैयार कर सकते हैं।
होली में रंगों का काफी महत्व होता है। रंगो के बिना होली पूरी तरह अधूरी होती है। रंगों में कैमिकल का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे कई लोग हर साल परेशान भी होते हैं। हमारे पास इन रंगों का विकल्प हर्बल रंग भी है। हम हर्बल रंगों से भी होली का आनंद ले सकते हैं। इन रंगों को चंदन और फूलों से तैयार किया जा सकता है।
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