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फोन की तरह इंसान के शरीर में भी होता है 'फ्लाइट मोड', जानें कैसे होता है ऑन-ऑफ

Prachi Jain • LAST UPDATED : August 26, 2024, 2:50 pm IST
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फोन की तरह इंसान के शरीर में भी होता है 'फ्लाइट मोड', जानें कैसे होता है ऑन-ऑफ

India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Flight Mode: इंटरनेट के इस युग में स्मार्टफोन हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। लगभग हर व्यक्ति के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट की सुविधा है। लेकिन ऐसे भी समय आते हैं जब हमें अपने फोन का नेटवर्क बंद करना पड़ता है, जैसे फ्लाइट में सफर के दौरान, जब हमें फोन को फ्लाइट मोड में करना होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इंसान के शरीर में भी एक तरह का ‘फ्लाइट मोड’ होता है? आइए, जानते हैं कि यह ‘फ्लाइट मोड’ कैसे काम करता है और इसका हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है।

फ्लाइट मोड क्या है?

जब किसी स्मार्टफोन को फ्लाइट मोड में रखा जाता है, तो वह सभी प्रकार के नेटवर्क से डिस्कनेक्ट हो जाता है, जिसमें इंटरनेट, कॉलिंग नेटवर्क, और ब्लूटूथ जैसी सुविधाएं शामिल होती हैं। इसी तरह, इंसान का शरीर भी कभी-कभी एक विशेष स्थिति में चला जाता है, जिसे हम शरीर का ‘फ्लाइट मोड’ कह सकते हैं। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब हमें किसी प्रकार का खतरा महसूस होता है। इस समय शरीर में कुछ प्राकृतिक रासायनिक क्रियाएं होती हैं, जो हमारी कार्यक्षमता को असाधारण रूप से बढ़ा देती हैं, लेकिन यह स्थिति जल्द ही थकान और तनाव का कारण भी बनती है।

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शरीर का फ्लाइट मोड: एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया

इंसान का शरीर तब फ्लाइट मोड में जाता है, जब वह अपने मूल स्वभाव से भटकने लगता है या फिर किसी ऐसी स्थिति का सामना करता है जो उसके लिए असहज होती है। यह स्थिति आमतौर पर मानसिक और शारीरिक तनाव को जन्म देती है। जब हम अपनी प्रकृति के विपरीत जाकर कुछ करने का प्रयास करते हैं, तो हमारा शरीर इसे एक खतरे के रूप में देखता है और ‘फ्लाइट मोड’ को सक्रिय कर देता है।

फ्लाइट मोड कब सक्रिय होता है?

हमारा शरीर तब फ्लाइट मोड में जाता है, जब उसे किसी तरह का खतरा महसूस होता है। इस समय मस्तिष्क कुछ प्राकृतिक संकेत भेजता है, जिससे शरीर को चेतावनी मिलती है। उदाहरण के लिए, जब हम किसी खतरनाक स्थिति में होते हैं, तो हमें तत्काल निर्णय लेने की आवश्यकता होती है—क्या हमें उस खतरे का सामना करना चाहिए या वहां से भाग जाना चाहिए। कुछ लोग समस्या का सामना करते हैं, जबकि कुछ डरकर भाग जाते हैं। यह सब शरीर में फ्लाइट मोड के सक्रिय होने के कारण होता है। मस्तिष्क इस मोड में सबसे पहले सभी संभावित खतरों का आकलन करता है और शरीर को उसी के अनुसार प्रतिक्रिया करने के लिए संकेत देता है।

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फ्लाइट मोड का प्रभाव

फ्लाइट मोड के सक्रिय होने से हमारी कार्यक्षमता अस्थायी रूप से बढ़ जाती है, जिससे हम किसी भी कठिन स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हो जाते हैं। हालांकि, यह मोड लंबे समय तक सक्रिय रहने पर हमारे शरीर और मन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जिससे तनाव, थकान और अन्य शारीरिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

फ्लाइट मोड केवल हमारे स्मार्टफोन में ही नहीं, बल्कि हमारे शरीर में भी मौजूद होता है। यह शरीर का एक प्राकृतिक रक्षा तंत्र है, जो हमें खतरों से निपटने में मदद करता है। लेकिन यह जरूरी है कि हम अपने शरीर के इस मोड को समझें और इसे नियंत्रित करने की कोशिश करें, ताकि हम हर परिस्थिति को एक खतरे के रूप में न देखें और जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखें।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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