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पीले सोने से भी दुगनी खूबसूरती लेकिन फिर सफेद सोना का दाम इतना…इसका एक टुकड़ा मिल जाने से ही मालामाल हो जाएं कोई भी इंसान!

Ankita Pandey • LAST UPDATED : October 1, 2024, 1:46 pm IST
पीले सोने से भी दुगनी खूबसूरती लेकिन फिर सफेद सोना का दाम इतना…इसका एक टुकड़ा मिल जाने से ही मालामाल हो जाएं कोई भी इंसान!

Why Is Lithium Called White Gold: लिथियम को सफेद सोना क्यों कहा जाता है

India News ( इंडिया न्यूज),  Why Is Lithium Called White Gold: पूरी दुनिया में क्रिटिकल मिनरल्स की बहुत ज्यादा मांग है। जिन धातुओं की उपलब्धता बहुत सीमित है लेकिन मांग अधिक है उन्हें क्रिटिकल मिनरल्स कहते हैं। कोबाल्ट, कॉपर, गैलियम एंटीमनी, बेरिलियम, बिस्मथ समेत 30 ऐसी धातुएं हैं जिन्हें क्रिटिकल मिनरल्स की श्रेणी में रखा गया है। ‘लिथियम’ भी ऐसी ही एक धातु है, जिसे ‘सफेद सोना’ कहा जाता है। यह हल्की और चांदी जैसी धातु के रूप में दिखाई देता है। इसके कई महत्वपूर्ण गुणों और बढ़ती मांग के कारण इसको सफेद सोना कहा जाता है। आइए जानते हैं कि लिथियम को सफेद सोना क्यों कहा जाता है।

लिथियम के खास गुण क्या हैं?

लिथियम सभी धातुओं में सबसे हल्का है। इसका घनत्व पानी से थोड़ा ज़्यादा है। इसीलिए इसे बैटरी में इस्तेमाल करके बैटरी का वजन कम किया जा सकता है। इसके अलावा, लिथियम का ऊर्जा घनत्व बहुत ज़्यादा होता है। इसका मतलब है कि यह कम मात्रा में भी बहुत ज़्यादा ऊर्जा स्टोर कर सकता है। साथ ही, लिथियम दूसरी धातुओं की तुलना में कम प्रतिक्रियाशील होता है, जिससे इसे संभालना आसान हो जाता है।

लिथियम की मांग यहां बढ़ रही है

आपको बता दें कि लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों में किया जाता है। इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग के साथ ही लिथियम की मांग भी बढ़ रही है। साथ ही स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट आदि में लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है। इन उपकरणों की बिक्री लगातार बढ़ रही है, जिससे लिथियम की मांग बढ़ रही है। लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों को स्टोर करने के लिए किया जाता है। अक्षय ऊर्जा के बढ़ते इस्तेमाल के साथ ही लिथियम की मांग भी बढ़ रही है।

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इसे सफेद सोना क्यों कहा जाता है?

लिथियम को सफेद सोना इसलिए कहा जाता है क्योंकि लिथियम की बढ़ती मांग के कारण इसकी कीमत लगातार बढ़ रही है। यह सोने जितना कीमती नहीं है, लेकिन इसकी तुलना सोने से की जाती है। लिथियम एक दुर्लभ धातु है और इसकी उपलब्धता सीमित है। इसके अलावा लिथियम का इस्तेमाल सिर्फ बैटरी में ही नहीं बल्कि कई अन्य उद्योगों में भी किया जाता है। जैसे कांच, सिरेमिक और दवा।

लिथियम की कीमत क्या है?

वैश्विक बाजार में एक टन लिथियम की कीमत करीब 57.36 लाख रुपये है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक लिथियम की वैश्विक मांग 500 प्रतिशत बढ़ जाएगी।

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