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India News (इंडिया न्यूज), Tomb of Parrot Myna: उत्तर प्रदेश का संभल एक ऐसा स्थान है, जो अपने ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के साथ-साथ अनगिनत रहस्यमयी कहानियों से भी जुड़ा हुआ है। स्कंद पुराण में इसका उल्लेख मिलता है, जो इस क्षेत्र की प्राचीनता को प्रमाणित करता है। संभल में आज भी कई पुरातन अवशेष और इमारतें मौजूद हैं, जो इस शहर के गौरवशाली अतीत की झलक देती हैं। परंतु, सबसे अधिक ध्यान आकर्षित करने वाला इस शहर के पास स्थित एक रहस्यमयी कुआं है, जिसे लेकर लोगों में अनेक किस्से और धारणाएं प्रचलित हैं।
संभल शहर से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर बीहड़ जंगल में स्थित यह विशाल कुआं लगभग 12 सौ साल पुराना है। इस कुएं को लेकर स्थानीय लोगों का मानना है कि इसके अंदर पाताल लोक में एक बहुमंजिला इमारत है, जिसे डाकुओं और लुटेरों ने बनवाया था। यह इमारत उन दिनों लूटे गए खजाने को छिपाने और ठिकाने के रूप में प्रयोग की जाती थी। लोगों का कहना है कि इस इमारत में आज भी खजाना छिपा हुआ है, जो इस कुएं के गहरे पाताल तक फैला हुआ है। इस कुएं के चारों ओर सुंदर ढंग से बने हुए कई कमरे हैं, जिनकी कारीगरी आज भी लोगों को अचंभित करती है।
कुएं से लगभग 100 मीटर की दूरी पर एक अनोखी कब्र है, जिसे तोता-मैना की कब्र कहा जाता है। इस कब्र पर उर्दू, फारसी, और अरबी जैसी भाषाओं से मिलती-जुलती कुछ आयतें लिखी हुई हैं, जिन्हें आज तक कोई भी पढ़ने में सफल नहीं हो पाया है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इन आयतों में ही कुएं के अंदर छिपे खजाने का रहस्य छिपा हुआ है। हालांकि कई भाषाविद इन आयतों को समझने का प्रयास कर चुके हैं, परंतु कोई भी उन्हें पूरी तरह पढ़ने में सक्षम नहीं हो पाया।
लोगों का कहना है कि जब भी कोई व्यक्ति आयतों को पढ़ने की कोशिश करता है, तो वह कुछ समय बाद पिछले भाग को भूल जाता है। यह रहस्य आज भी अनसुलझा है, और यही वजह है कि इस कब्र और कुएं को लेकर लोगों के मन में अनेक धारणाएं और डर बसे हुए हैं।
इस रहस्यमयी कुएं से जुड़ी सबसे प्रचलित कथा यह है कि प्राचीन समय में डाकुओं और दस्युओं ने इस कुएं को अपने खजानों को छिपाने के लिए इस्तेमाल किया था। उस समय लूटपाट से जमा किए गए बहुमूल्य आभूषण और संपत्ति को इस कुएं के अंदर सुरक्षित रखा जाता था। आज भी लोग मानते हैं कि इस कुएं में छिपा हुआ खजाना अब भी सुरक्षित है, लेकिन उसे पाने का कोई रास्ता नहीं है।
आज भी इस कुएं को स्थानीय लोग “चोरों का कुआं” के नाम से जानते हैं, क्योंकि बीते समय में यह जगह अराजक तत्वों का ठिकाना बन चुकी थी। कुएं और इसके आसपास के क्षेत्र को लेकर ग्रामीणों में रहस्य और डर बना रहता है, और कई बार अराजक तत्वों ने यहां से खजाने की खोज करने का प्रयास किया, लेकिन वे कभी सफल नहीं हो पाए।
यह विशाल कुआं और पाताल लोक में बनी बहुमंजिला इमारत सैकड़ों वर्षों के बाद भी एक अबूझ पहेली बनी हुई है। तोता-मैना की कब्र पर लिखी आयतें, जिनका अर्थ आज तक किसी को समझ नहीं आया, और उस कुएं के भीतर छिपा खजाना—यह सब मिलकर इस स्थान को और भी रहस्यमयी बना देते हैं। इस अद्भुत स्थल की कहानियां और रहस्य जनमानस में सदियों से जीवित हैं, और शायद आगे भी यही रहस्य इसे चर्चा का विषय बनाए रखेगा।
इस प्रकार, संभल का यह कुआं और उससे जुड़ी कहानियां भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और रहस्यों का अनमोल हिस्सा हैं।
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