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India News (इंडिया न्यूज़), : बच्चों के लिए माता पिता ही उनके आइडल की तरह होते हैं और वे अधिकतर आदतें अपने पेरेंट्स को देखकर ही अपनाते हैं। हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उनका बच्चा पढ़ाई में सबसे बुद्धिमान बने और आगे रहे। बच्चों की परीक्षा शुरू होते ही उनसे ज्यादा स्ट्रेस में उनके पेरेंट्स आ जाते हैं। जिससे सबसे ज़्यादा असर बच्चे की परफॉरमेंस पर ही पड़ता है। सिर्फ बच्चों की परीक्षा को लेकर तनावग्रस्त होना किसी समस्या का सलूशन नहीं है। पेरेंट्स को यह समझना होगा कि आपको चिंतित देखकर आपका बच्चा तनाव और एंजायटी जैसे मनोवैज्ञानिक समस्याओं का शिकार हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि आप अपनी इन आदतों और व्यवहार पर खास ध्यान दें और उनमें सकारात्मक बदलाव लाएं।
कुछ माता – पिता गंभीर बने रहने के चक्कर में अपने बच्चों के प्रति अपने प्यार को नहीं दिखाते हैं। जिससे उनके और बच्चे के बीच दूरियां पैदा हो जाती हैं। जिससे बच्चा आपसे दूर होने लगेगा और मेमन की बातें मन में ही रखेगा। खासकर बच्चा ऐसे समय में खुद को अकेला समझेगा। याद रखें बचपन की यादों में अगर आप प्यार करने वाले माता – पिता बनेंगे, तो बुढापे तक उन्हें आपके प्रति स्नेह और प्रेम रहेगा। जैसे आपको बच्चो से प्यार चाहिए वैसे ही बच्चे को भी आपसे प्यार चाहिए।
याद रखें बच्चो की परीक्षा के दौरान आप बच्चों के साथ साथ खुद का टाइमटेबल भी बनाएं। यह स्वभाविक है कि हर बच्चे की आदत अलग होती है। कुछ बच्चों को देर रात तक पढ़ना पसंद होता है तो वहीं कुछ बच्चे सुबह उठकर पढ़ना पसंद करते हैं। तो ऐसे में आप खास ध्यान दें की आप बच्चो पर समय का प्रेशर न बनाएं बल्कि उन्हें जिस समय पढ़ने में कंफर्टेबल लगे उन्हें उसी समय पढ़ने दें। इसकी जगह आप अपने उठने और सोने का समय उनके हिसाब से बदल लें और कोशिश करें कि आप अपने बच्चों को तेज बोलकर पढ़ने और याद करने की आदत डलवाएं। इसके साथ ही बच्चों से कहें कि लिख लिख कर याद करने की कोशिश करें। इससे उनके लिखने की प्रैक्टिश भी हो जाएगी और जब एग्जाम के दौरान ज्यादा लिखना पड़े तो उन्हें तकलीफ भी नही होगी।
अगर आप केवल अपनी बात कहना ही जानते हैं और बच्चों की बात को समझने और सुनने का प्रयास नहीं करते हैं तो आपकी यह आदत बच्चो की मानसिक स्तिथि पर बुरा असर डाल सकती है और वे आपकी बातों को भी वैल्यू देना छोड़ सकते हैं। इसके लिए आप ज़्यादा से ज़्यादा बच्चो को सुनने की कोशिश करें और बच्चों की बातो को भी वैल्यू दें।
बच्चों को हर चीज के लिए हमेशा टोकने से वो चिड़चिड़े हो सकते हैं। इससे बच्चे जल्दी स्ट्रेस में आ जाते हैं इसलिए कोशिश करें कि आप उनसे प्यार से ज़्यादा बात करें, उन्हें हर चीज आराम से समझाएं। कुछ पेरंट्स गार्ड की तरह हर वक्त बच्चों पर निगरानी रखते हैं जिससे बच्चा अपने विचार और भावनाओ को व्यक्त नहीं कर पाते, लेकिन आप ऐसा बिलकुल न करें और बच्चों को फ्री छोड़े ताकि उन्हें भी खुल के सोचने का मौका मिले।
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