होम / लाइफस्टाइल एंड फैशन / 56 बार चाकुओं से गोदा गया था इस तवायफ का चेहरा…फिर भी इतिहास के पन्नो में आज भी जिंदा है इसकी आवाज के चर्चे?

56 बार चाकुओं से गोदा गया था इस तवायफ का चेहरा…फिर भी इतिहास के पन्नो में आज भी जिंदा है इसकी आवाज के चर्चे?

BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : November 17, 2024, 8:12 am IST
ADVERTISEMENT

संबंधित खबरें

56 बार चाकुओं से गोदा गया था इस तवायफ का चेहरा…फिर भी इतिहास के पन्नो में आज भी जिंदा है इसकी आवाज के चर्चे?

Tawaif Janki Bai: हमले के बाद, जानकी बाई ने अपने चेहरे को हमेशा घूंघट में छिपाने का फैसला किया।

India News (इंडिया न्यूज), Tawaif Janki Bai: भारत के मुगल काल और औपनिवेशिक युग में तवायफें संगीत, नृत्य और शायरी की अद्वितीय कला का प्रतीक थीं। इनका योगदान कला और संस्कृति के क्षेत्र में अद्वितीय था। ऐसी ही एक प्रसिद्ध तवायफ थीं जानकी बाई, जिन्हें उनके दर्दनाक अतीत और अद्वितीय आवाज के कारण ‘छप्पन छुरी’ के नाम से जाना जाता था।

कौन थीं जानकी बाई?

जानकी बाई इलाहाबाद की प्रसिद्ध तवायफ थीं। अपनी असाधारण आवाज और गायकी के कारण वे पूरे भारत में मशहूर थीं। उनका गाना सुनने के लिए बड़े-बड़े अमीर और राजघराने के लोग उनके कोठे पर आते थे। लेकिन वे हमेशा घूंघट में रहकर ही गाती थीं।

मुग़ल हरम में तवायफ़ों संग नवाब ही नहीं ये लोग भी करते थे घिनौना काम, जाने क्यों छिपा कर रखा गया ये राज?

छप्पन छुरी नाम क्यों पड़ा?

जानकी बाई के जीवन का सबसे दर्दनाक अध्याय उनके चेहरे पर हुए हमले से जुड़ा है।

जानकी बाई का एक प्रेमी उनसे जुनूनी रूप से प्यार करता था।
जब वह उन्हें पाने में असफल रहा, तो उसने गुस्से में उनके चेहरे पर चाकू से 56 बार हमला किया।
इस हमले से उनका चेहरा बुरी तरह खराब हो गया।
इसी दर्दनाक घटना के कारण जानकी बाई को ‘छप्पन छुरी’ कहा जाने लगा।

जानकी बाई का पर्दे में रहना

हमले के बाद, जानकी बाई ने अपने चेहरे को हमेशा घूंघट में छिपाने का फैसला किया।

वे अपने कोठे पर गाने के दौरान भी पर्दे में रहती थीं।
रीवा के राजा, जो उनकी आवाज के दीवाने थे, ने उनसे अपना चेहरा दिखाने की इच्छा व्यक्त की।
तब जानकी बाई ने राजा को अपने अतीत के बारे में बताया और चेहरा दिखाने से इनकार कर दिया।

इस तवायफ की आवाज के इस कदर दीवाने थे राजा-महाराजा भी…कि 19वी सदी में रखती थी 1 करोड़ की नेटवर्थ?

कला और सम्मान का प्रतीक

जानकी बाई का जीवन दर्द और संघर्ष से भरा था, लेकिन उन्होंने अपने गाने और कला के माध्यम से अपनी पहचान बनाई। उनका नाम आज भी तवायफों की उस परंपरा का हिस्सा है, जिसने भारतीय संगीत और नृत्य को एक नई ऊंचाई दी।

जानकी बाई की कहानी उनके साहस, संघर्ष और कला के प्रति समर्पण को दर्शाती है। उन्होंने अपने चेहरे की दुर्दशा को अपनी कला के आड़े नहीं आने दिया और अपनी आवाज के जरिए अमर हो गईं। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि संघर्षों के बावजूद, अपनी प्रतिभा को दुनिया के सामने कैसे पेश किया जा सकता है।

तवायफों को जिंदगी में देनी पड़ती थीं ये 5 बड़ी कुर्बानियां, आखिरी वाले के बारे में सुनकर झलक पड़ेंगे आंसू

Tags:

India newsindianewslatest india newstoday india newsइंडिया न्यूज

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT