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India News (इंडिया न्यूज़), India’s Largest Land Owner: भारत में जमीन की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं। विशेष रूप से दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में, जमीन खरीदना अब एक सपने जैसा हो गया है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2030 तक आवास की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है। इस समस्या से निपटने के लिए भारत को अतिरिक्त 40 से 80 लाख हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता होगी। यह समस्या न केवल आर्थिक विकास बल्कि सामाजिक स्थिरता के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन सकती है।
भारत में जमीन का सबसे बड़ा मालिक भारत सरकार है। फरवरी 2021 तक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार के पास 15,531 वर्ग किलोमीटर जमीन है। यह आंकड़ा सरकारी विभागों और एजेंसियों के पास मौजूद जमीन का कुल योग है।
भारत सरकार के स्वामित्व वाली जमीन का सबसे बड़ा हिस्सा भारतीय रेलवे के पास है। रेलवे न केवल यातायात और परिवहन का मुख्य साधन है, बल्कि इसके पास देश के हर कोने में बड़ी मात्रा में जमीन भी है। यह जमीन रेलवे स्टेशनों, रेलवे लाइनों और अन्य संबंधित बुनियादी ढांचों के लिए उपयोग की जाती है।
भारतीय रक्षा मंत्रालय और कोयला मंत्रालय भी जमीन के बड़े मालिक हैं। रक्षा मंत्रालय के पास सैन्य ठिकानों, प्रशिक्षण केंद्रों और अन्य सुविधाओं के लिए बड़ी मात्रा में जमीन है। कोयला मंत्रालय कोयला खदानों और ऊर्जा उत्पादन के लिए भूमि का प्रबंधन करता है।
भारत में जमीन के दूसरे सबसे बड़े मालिक के रूप में कैथोलिक चर्च ऑफ इंडिया का नाम आता है। इस संगठन के पास बड़ी संख्या में चर्च, स्कूल, कॉलेज और अस्पताल हैं। ये संस्थान न केवल धार्मिक बल्कि शैक्षणिक और सामाजिक उद्देश्यों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
वक्फ बोर्ड भारत में जमीन के तीसरे सबसे बड़े मालिक हैं। यह संस्था मस्जिदों, मदरसों और कब्रिस्तानों का संचालन करती है। वक्फ की जमीन का उपयोग मुख्य रूप से धार्मिक और सामुदायिक कार्यों के लिए किया जाता है।
2030 तक भारत में आवास की कमी एक गंभीर मुद्दा बन सकती है। बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण, और कृषि योग्य भूमि के घटते स्तर के कारण जमीन की मांग में भारी वृद्धि हो रही है।
भारत में जमीन की बढ़ती कीमतें और आवासीय जरूरतें एक गंभीर चुनौती हैं। सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों को मिलकर इस समस्या का समाधान ढूंढना होगा। वक्फ बोर्ड, कैथोलिक चर्च, और अन्य बड़े भूस्वामियों की भूमिका भी इस दिशा में महत्वपूर्ण हो सकती है। जमीन के बेहतर प्रबंधन और वितरण से न केवल आवासीय समस्याएं हल होंगी बल्कि आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
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