क्या है इसका इतिहास?
विश्व एड्स दिवस को पहली बार साल 1987 में मान्यता दी गई थी। इस दिन को मनाने का सीधा उद्देश्य राष्ट्रीय और राज्य सरकारों को अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और व्यक्तियों के बीच एड्स के बारे में जागरुगता बढ़ाना रहा। इस नोबल मिशन को सुविधाजनक बनाना भी काफी जरूरी था। ऐसे में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में विश्व स्वास्थ्य संगठन में दो सार्वजनिक सूचना अधिकारी, जेम्स डब्ल्यू बन्न और थॉमस नेट्टर ने विश्व एड्स दिवस की घोषणा की थी। साल 1996 से UNAIDS (HIV/AIDS पर संयुक्त संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम) इसे आयोजित करने और प्रमोट करने का काम लगातार कर रहा है। फिर 30 नवंबर, साल 2017 को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे एक दिन देते हुए, 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस को घोषित कर दिया था।
वर्ल्ड एड्स डे का क्या है थीम ?
अगर हम बात करें इस साल विश्व एड्स दिवस की थीम के बारें में तो इस बार का थीम ‘लेट कम्युनिटी लीड’ तय की गई है। यूएनएड्स के मुताबिक, इसका मतलब है कि यह समुदायों को उनकी नेतृत्व करने की भूमिकाओं में सक्षम बनाने के साथ ही उनका समर्थन करने के लिए कार्रवाई का आह्वान है। विश्व एड्स दिवस 2023 इस बात पर प्रकाश डालेगा कि, एड्स को समाप्त करने के लिए सामुदायिक नेतृत्व की पूरी क्षमता का उपयोग किया जाए।
वर्ल्ड एड्स डे का महत्व
बता दें कि, साल 2021 के आंकड़े बताते हैं कि, लगभग 3814 मिलियन लोग एचआईवी के साथ जी रहे थे, जिसमें से 2516 मिलियन एचआईवी के साथ ही डब्ल्यूएचओ अफ्रीकी क्षेत्र में हैं। UK में हर साल 4,139 से अधिक लोगों में HIV का निदान होता है और इस स्थिति के साथ रहने वाले कई लोगों के लिए भेदभाव अभी भी एक कठोर सच्चाई बनी हुई है। विश्व एड्स दिवस जरूरी है, क्योंकि यह जनता और सरकार को यह याद दिलाता है कि यह एक गंभीर समस्या है, जिसके लिए तत्काल जागरूकता और बेहतर शैक्षिक अवसरों की बेहद जरूरत है।