Marriage Trend India: नवंबर से दिसंबर के बीच किये गए इस सर्वे में 5,837 ऐसे लोग शामिल थे जिनकी पहले शादी हो चुकी थी. इन सब की उम्र लगभग 28 से 50 साल के बीच थी और उन्हें मेट्रो शहरों के साथ-साथ छोटे कस्बों से भी चुना गया था.
रिबन्स के फाउंडर और CEO रवि मित्तल ने इस विषय पर बात करते हुए कहा, ‘भारत में, दूसरी शादी को अक्सर एक समझौता माना जाता था. लेकिन अब हम जो बदलाव देख रहे हैं, वे चौंकाने वाले हैं. दूसरी शादी अब सिर्फ खालीपन भरने या बुढ़ापे के लिए साथी ढूंढने के बारे में नहीं है. यह लोगों के लिए उस प्यार को पाने के बारे में है जिसके वे सच में हकदार हैं.’
महिलाएं बढ़ा रही है कदम
सर्वे में यह भी पता चला कि टियर-1 शहरों में 35% से ज्यादा तलाकशुदा महिलाओं को दूसरी शादी के लिए बनाए गए मैचमेकिंग ऐप्स ज्यादा सही और आरामदायक लगते हैं. सर्वे डेटा से यह भी पता चलता है कि भले ही महिलाओं को ज्यादा चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन जब दूसरी शादी की बात आती है, तो वे पुरुषों की तुलना में अपनी उम्मीदों और भावनाओं के बारे में ज्यादा साफ और समझदार होती हैं.
पुरुष साथ चाहते हैं
30 से 40 साल के तलाकशुदा और अलग हो चुके पुरुषों ने बताया कि उनकी सबसे बड़ी चिंता सिर्फ सामाजिक फैसला या रिजेक्शन नहीं है, बल्कि वही पुरानी गलतियां दोहराने का डर है.
दूसरी शादी के लिए तैयार पांच में से तीन पुरुषों ने कहा कि वे अब सिर्फ रिश्ते में नहीं रहना चाहते, बल्कि सबसे ऊपर इमोशनल कम्पैटिबिलिटी को प्राथमिकता देते हैं. वे कमिटमेंट करने से पहले अपने जीवन के लक्ष्यों, विचारों और भावनाओं पर खुलकर चर्चा करना पसंद करते हैं.
शादी के बुरे अनुभव
इस सर्वे में शामिल 21% पुरुषों ने माना कि अपनी पहली शादी के बुरे अनुभवों के कारण, उन्हें अभी भी अपनी भावनाओं को खुलकर जाहिर करना मुश्किल लगता है. लेकिन तलाकशुदा लोगों के लिए खास तौर पर बनाए गए मैचमेकिंग प्लेटफ़ॉर्म ने उन्हें ऐसे लोगों से जुड़ने में मदद की है जो उनकी कमजोरियों को समझते हैं क्योंकि वे खुद भी ऐसे ही अनुभवों से गुजर चुके हैं.
टियर 1 और टियर 2 शहर
सर्वे के अनुसार, सोच में यह बदलाव दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे टियर-1 शहरों में ज्यादा साफ दिखता है. यहां लोग पहले के मुकाबले ज्यादा आसानी से दूसरी शादी को अपना रहे हैं और इस बारे में खुलकर बात कर रहे हैं. टियर-2 शहरों में, परिवार और समाज का दबाव अभी भी है, हालांकि दस साल पहले के मुकाबले यह काफी कम हो गया है.
दूसरे मौके का मतलब है साफ इरादे
टियर-1 और टियर-2 शहरों में रहने वाले कई लोगों के लिए, दूसरी बार प्यार में पड़ना एक बिल्कुल अलग अनुभव है. इस बार, वे अपनी पिछली शादी की तुलना में ज्यादा साफ समझ और नजरिए के साथ रिश्ते में आ रहे हैं. रिश्तों में सीमाएं तय करना बहुत जरूरी हो गया है, जिसमें 4 में से 3 लोग इसे प्राथमिकता मानते हैं. लगभग 41% लोग कहते हैं कि वे अब ऐसे पार्टनर की तलाश में नहीं हैं जो उनकी जिंदगी को पूरा करे, बल्कि ऐसे पार्टनर की तलाश में हैं जो उनके लक्ष्यों, सोच को भी समझे.