Mustard Oil Bengali Cuisine: सरसों का तेल हमारे शरीर और सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. खासकर इसे सर्दियों में तो खूब यूज किया जाता है. यह बंगाल के खाने का एक अभिन्न हिस्सा रहा है. बंगाल में खाना केवल पोषण का साधन नहीं है बल्कि यह एक सांस्कृतिक अभिव्यक्ति है. इसका तीखा, तेज़ स्वाद मछली, सब्जियों, और दालों में एक अलग ही स्वाद लाता है. इसका इस्तेमाल अनुष्ठानों और धार्मिक आयोजनों में किया जाता है. त्योहारों के दौरान दीप जलाने में भी इसका यूज करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इससे घर की नकारात्मकता दूर होती है.
सेहत के लिहाज से लोग इसका यूज इलाज के तौर पर भी करते हैं. सरसों के तेल को इसके औषधीय गुणों के लिए मूल्यवान माना जाता था. आयुर्वेद में सर्दी, खांसी, और मांसपेशियों के दर्द जैसे रोगों के इलाज में इसका इस्तेमाल करने के बारे में बताया गया है. ओमेगा-3 फैटी एसिड और एंटीबैक्टीरियल यौगिकों का एक अच्छा स्रोत होने के अलावा, सरसो ऑयल का उपयोग न केवल भोजन में बल्कि मालिश और स्किनकेयर के लिए भी किया जाता है.
बंगाली खाने की है शान
शानदार खाना और एक आदर्श जीवनशैली के लिए थोड़ी कड़वाहट, सादगी और खाना पकाने में माहिर व्यक्ति और उदार मूल्यों का स्पर्श जरूरी हैं. ये सब मुझे एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर के यूट्यूब वीडियो से मिला. वैसे तो मैं इन्फ्लुएंसर और उनके चैनल व पोस्ट का प्रशंसक नहीं हूं लेकिन कर्ली टेल्स के हालिया एपिसोड ने बंगाली व्यंजनों के लिए जो सराहनीय काम किया. मैं सराहना करता हूं. हाल ही के एक एपिसोड में होस्ट कामिया जानी ने अभिनेता दिब्येंदु भट्टाचार्य को आमंत्रित किया. इसके बाद उन्हें न केवल बंगाली व्यंजनों का बल्कि बंगाली जीवनशैली का भी संक्षिप्त परिचय मिला.
सरसों के तेल के प्रति हमारा प्रेम
जानी के अनुसार, हम अपना भोजन बारी-बारी से खाते हैं. घर पर कभी भी सिर्फ एक व्यंजन नहीं पकाते या परोसते. जब मैं स्कूल में थी, तब पहली बार एक संपन्न पंजाबी दोस्त के घर जाने पर मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि वहां मुझे चपातियां, एक रसीली सब्जी (ग्रेवी वाली सब्जी) और एक कटोरी दही परोसी गई. मुझे सबसे ज्यादा चिंता इस बात की थी कि कहीं उन्होंने ज्यादा खर्च तो नहीं कर दिया लेकिन फिर मुझे एहसास हुआ कि उत्तर भारतीय घरों में यह आम बात है. बंगाली घरों में तो सबसे गरीब व्यक्ति को भी चावल, दाल, तली हुई सब्जी शायद सिर्फ एक उबला हुआ आलू जिसे नमक और सरसों के तेल में मसलकर बनाया गया हो और मछली का एक छोटा टुकड़ा, जिसे या तो तला जाता है या सिर्फ हल्दी से बनी हल्की करी में पकाया जाता है, मिल जाता है.
खाना पकाने में सरसों का तेल
हम खाना पकाने में सरसों के तेल का इस्तेमाल करते हैं और इसे बहुत पसंद करते हैं. सरसों के तेल से खाना बनाते समय खासकर सब्ज़ियों में यह स्वाद को दबाए बिना तीखापन और चटपटापन लाता है. दरअसल, अगर आपको बताया न जाए कि खाना सरसों के तेल में पकाया गया है, तो आपको पता ही नहीं चलेगा. बहुत से लोग इस बात से अनजान हैं कि कश्मीरी खाना भी अक्सर सरसों के तेल में पकाया जाता है. जो बात ज्यादातर लोगों को नहीं पता वह यह है कि बंगाली लोग मैश किए हुए आलू या उबले अंडे पर कच्चा सरसों का तेल डालकर भी खाते हैं. अगर आपको पास्ता या ब्रेड पर जैतून का तेल डालने में कोई दिक्कत नहीं है, तो इससे भी हैरान होने की बात नहीं है. हमारे यहां टेटो या बिटर की भी एक अवधारणा है, जिसमें उबले हुए करेले को आलू के साथ मसलकर नमक डालकर चावल के साथ खाया जाता है. हमारे भोजन में लहसुन और प्याज का उपयोग बहुत कम होता है. प्याज का यूज कुछ सब्जियों में ही बहुत कम मात्रा में किया जाता है.
फायदे ही फायदे
स्किन के लिए सरसों का तेल काफी अच्छा माना जाता है. इससे स्किन सॉफ्ट, नमीयुक्त और ग्लोइंग रहती है. यह विटामिन-ई और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है. साथ ही सर्दियों में लोग इसे खाने और बालों में भी लगाने में यूज करते हैं. यह पाचन और पेट के की लिए भी काफी फायदेमंद है. सर्दी-खांसी में यह रामबाण इलाज के तौर पर काम करता है, क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है. सरसों का तेल फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाता है.
नोट- यहां दी गई सूचना सिर्फ जानकारी और शैक्षिक उद्देश्य के लिए है. किसी भी तरह से यहां पर दी सलाह को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें. किसी भी तरह की परेशानी होने पर हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी.