Live
Search
Home > IK News > शब्दों में ठहराव और अर्थ: नीलम सक्सेना चंद्रा की रचनात्मक यात्रा

शब्दों में ठहराव और अर्थ: नीलम सक्सेना चंद्रा की रचनात्मक यात्रा

Written By: Indianews Webdesk
Last Updated: December 31, 2025 16:31:23 IST

नई दिल्ली, दिसंबर 31: समकालीन हिंदी कविता के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुकीं प्रख्यात कवयित्री एवं लेखिका नीलम सक्सेना चंद्रा की कविता-पुस्तक ‘मेरी आँखों का महताब’ निरंतर पाठकों का स्नेह प्राप्त कर रही है। यह किसी पुस्तक की लोकप्रियता का संकेत नहीं होता, बल्कि यह उस रचना की आंतरिक शक्ति और पाठकों से उसके गहरे जुड़ाव का प्रमाण भी होता है। यह उपलब्धि इस बात को रेखांकित करती है कि आज भी संवेदनशील, सकारात्मक और जीवन से जुड़ा साहित्य अपनी जगह बना सकता है—भले ही समय कितना ही शोरगुल वाला क्यों न हो।

कविता-संग्रह की प्रकृति और विषय-वस्तु

‘मेरी आँखों का महताब’ मूलतः पचास नज़्मों का एक भावनात्मक और दार्शनिक संग्रह है, जिसमें जीवन के विविध रंग—दर्द, तन्हाई, संघर्ष, स्वप्न और उम्मीद—बेहद कोमल और आत्मीय भाषा में अभिव्यक्त किए गए हैं। यह पुस्तक जीवन के उन क्षणों को शब्द देती है, जिन्हें अक्सर हम महसूस तो करते हैं, पर व्यक्त नहीं कर पाते। यही कारण है कि पाठक इस संग्रह में अपने अनुभवों की प्रतिध्वनि सुन पाते हैं।

शीर्षक का प्रतीकात्मक अर्थ

पुस्तक का शीर्षक स्वयं एक सशक्त प्रतीक है—‘महताब’ यानी वह चाँद, जो अँधेरे में भी राह दिखाता है। यह प्रतीक पूरे संग्रह की आत्मा बन जाता है। नीलम सक्सेना चंद्रा की कविता यह स्वीकार करती है कि जीवन में अंधेरा है, पीड़ा है और संघर्ष है—पर वहीं आशा भी है, प्रकाश भी है। उनकी कविताएँ न तो यथार्थ से मुँह मोड़ती हैं और न ही पाठक को निराशा के गर्त में छोड़ती हैं।

प्रकाशन और लोकप्रियता की यात्रा

यह पुस्तक हालाँकि पूर्व में साहित्यिक मंचों पर प्रस्तुत की जा चुकी है और इसका विमोचन लिटफेस्ट 3.0, लिटरेरी वॉरियर्स ग्रुप द्वारा यशदा (YASHADA), पुणे में आयोजित कार्यक्रम में हुआ था, किंतु इसकी निरंतर लोकप्रियता यह सिद्ध करती है कि यह कृति किसी एक आयोजन या समय-सीमा तक सीमित नहीं रही। पाठकों ने इसे अपनाया है, पढ़ा है, साझा किया है—और यही साझा करने की प्रक्रिया इसे Bestseller की श्रेणी में बनाए रखती है।

लेखन-शैली और संवादात्मकता

नीलम सक्सेना चंद्रा की लेखनी की सबसे बड़ी विशेषता उनकी सरल, प्रवाहपूर्ण और संवादात्मक भाषा है। उनकी कविताएँ पाठक से ऊपर खड़े होकर बात नहीं करतीं, बल्कि उसके साथ बैठकर संवाद करती हैं। ‘मेरी आँखों का महताब’ की नज़्मों में दर्द है, लेकिन निराशा नहीं। हर कविता किसी न किसी रूप में आगे बढ़ने का संकेत देती है, ठहरकर सोचने का अवसर देती है।

“आँखों में मेरी महताब है, तो सहर से मेरा कोई फ़ासला नहीं”—

यह पंक्तियाँ पूरे संग्रह का दर्शन प्रस्तुत करती हैं। यहाँ महताब केवल एक बिंब नहीं, बल्कि एक मानसिक अवस्था है—एक ऐसी दृष्टि, जो अंधेरे में भी उजाले की संभावना देख सकती है।

लेखिका का साहित्यिक अवदान

नीलम सक्सेना चंद्रा हिंदी और अंग्रेज़ी—दोनों भाषाओं में समान रूप से सक्रिय और प्रतिष्ठित लेखिका हैं। अब तक उनके

  • 7 उपन्यास

  • 9 कहानी-संग्रह

  • 49 कविता-संग्रह

  • 16 बाल-साहित्य की पुस्तकें

प्रकाशित हो चुकी हैं। तीन हज़ार से अधिक रचनाएँ देश-विदेश की पत्रिकाओं और साहित्यिक जर्नल्स में स्थान पा चुकी हैं। वर्ष 2015 में लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में एक वर्ष में सर्वाधिक प्रकाशनों के लिए उनका नाम दर्ज किया गया।

नीलम सक्सेना

डिजिटल और मंचीय उपस्थिति

नीलम सक्सेना चंद्रा ने डिजिटल माध्यमों पर भी कविता को जीवंत बनाए रखा है। उनके प्रेरणादायी काव्य-पाठ और एकल लाइव कविता सत्रों को सोशल मीडिया पर 80 लाख से अधिक बार देखा जाना इस बात का प्रमाण है कि कविता आज भी व्यापक जनसमुदाय तक पहुँच सकती है।

उन्होंने SAARC, साहित्य अकादमी, जश्न-ए-अदब, Poets Across Borders, USA Radio जैसे राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर काव्य-पाठ किया है। इसके अतिरिक्त, वे दूरदर्शन, दूरदर्शन सह्याद्री, तथा The Hindu, Dainik Bhaskar, Amar Ujala, The New Indian Express जैसे प्रतिष्ठित माध्यमों में प्रकाशित और प्रसारित हो चुकी हैं। उनकी पाँच पुस्तकों का विमोचन NCPA, मुंबई में हुआ है।

पुरस्कार और सम्मान

उन्हें अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत किया गया है, जिनमें प्रमुख हैं:

  • भारत निर्माण साहित्य पुरस्कार

  • रवींद्रनाथ टैगोर अंतरराष्ट्रीय कविता पुरस्कार

  • प्रेमचंद पुरस्कार (रेल मंत्रालय द्वारा—दो बार)

  • सेतु अवॉर्ड

  • रेउल लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड

  • सोहनलाल द्विवेदी पुरस्कार

Forbes पत्रिका (2014) ने उन्हें भारत के लोकप्रिय लेखकों की सूची में शामिल किया। वर्ष 2021 में अमेरिका की संस्था NAMI द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में उनकी कविता को सातवाँ स्थान प्राप्त हुआ।

समकालीन साहित्य में महत्व

‘मेरी आँखों का महताब’ की यात्रा यह प्रमाणित करती है कि आज का पाठक संवेदनशील, आशावादी और जीवन से जुड़ा साहित्य चाहता है। यह पुस्तक उन पाठकों के लिए एक साथी बन चुकी है, जो अपने भीतर के अंधेरों में भी रोशनी ढूँढना चाहते हैं। यह कविता का वह रूप है, जो शोर नहीं मचाता, बल्कि भीतर ठहराव पैदा करता है।

आज के तीव्र सूचना-प्रवाह के समय में, किसी कविता-पुस्तक का बार-बार पढ़ा जाना यह दर्शाता है कि पाठक अब भी गहराई चाहता है। ‘मेरी आँखों का महताब’ उस पाठक की ज़रूरत को पूरा करती है, जो कविता में समाधान नहीं, बल्कि सहयात्रा ढूँढता है।

नीलम सक्सेना चंद्रा से जुड़ें

Website: www.neelamsaxenachandra.com
Facebook: Neelam Saxena Poet
Instagram: @neelamsaxenapoet
YouTube: Neelam Saxena Poet

(The article has been published through a syndicated feed. Except for the headline, the content has been published verbatim. Liability lies with original publisher.)

MORE NEWS

Home > IK News > शब्दों में ठहराव और अर्थ: नीलम सक्सेना चंद्रा की रचनात्मक यात्रा

शब्दों में ठहराव और अर्थ: नीलम सक्सेना चंद्रा की रचनात्मक यात्रा

Written By: Indianews Webdesk
Last Updated: December 31, 2025 16:31:23 IST

नई दिल्ली, दिसंबर 31: समकालीन हिंदी कविता के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुकीं प्रख्यात कवयित्री एवं लेखिका नीलम सक्सेना चंद्रा की कविता-पुस्तक ‘मेरी आँखों का महताब’ निरंतर पाठकों का स्नेह प्राप्त कर रही है। यह किसी पुस्तक की लोकप्रियता का संकेत नहीं होता, बल्कि यह उस रचना की आंतरिक शक्ति और पाठकों से उसके गहरे जुड़ाव का प्रमाण भी होता है। यह उपलब्धि इस बात को रेखांकित करती है कि आज भी संवेदनशील, सकारात्मक और जीवन से जुड़ा साहित्य अपनी जगह बना सकता है—भले ही समय कितना ही शोरगुल वाला क्यों न हो।

कविता-संग्रह की प्रकृति और विषय-वस्तु

‘मेरी आँखों का महताब’ मूलतः पचास नज़्मों का एक भावनात्मक और दार्शनिक संग्रह है, जिसमें जीवन के विविध रंग—दर्द, तन्हाई, संघर्ष, स्वप्न और उम्मीद—बेहद कोमल और आत्मीय भाषा में अभिव्यक्त किए गए हैं। यह पुस्तक जीवन के उन क्षणों को शब्द देती है, जिन्हें अक्सर हम महसूस तो करते हैं, पर व्यक्त नहीं कर पाते। यही कारण है कि पाठक इस संग्रह में अपने अनुभवों की प्रतिध्वनि सुन पाते हैं।

शीर्षक का प्रतीकात्मक अर्थ

पुस्तक का शीर्षक स्वयं एक सशक्त प्रतीक है—‘महताब’ यानी वह चाँद, जो अँधेरे में भी राह दिखाता है। यह प्रतीक पूरे संग्रह की आत्मा बन जाता है। नीलम सक्सेना चंद्रा की कविता यह स्वीकार करती है कि जीवन में अंधेरा है, पीड़ा है और संघर्ष है—पर वहीं आशा भी है, प्रकाश भी है। उनकी कविताएँ न तो यथार्थ से मुँह मोड़ती हैं और न ही पाठक को निराशा के गर्त में छोड़ती हैं।

प्रकाशन और लोकप्रियता की यात्रा

यह पुस्तक हालाँकि पूर्व में साहित्यिक मंचों पर प्रस्तुत की जा चुकी है और इसका विमोचन लिटफेस्ट 3.0, लिटरेरी वॉरियर्स ग्रुप द्वारा यशदा (YASHADA), पुणे में आयोजित कार्यक्रम में हुआ था, किंतु इसकी निरंतर लोकप्रियता यह सिद्ध करती है कि यह कृति किसी एक आयोजन या समय-सीमा तक सीमित नहीं रही। पाठकों ने इसे अपनाया है, पढ़ा है, साझा किया है—और यही साझा करने की प्रक्रिया इसे Bestseller की श्रेणी में बनाए रखती है।

लेखन-शैली और संवादात्मकता

नीलम सक्सेना चंद्रा की लेखनी की सबसे बड़ी विशेषता उनकी सरल, प्रवाहपूर्ण और संवादात्मक भाषा है। उनकी कविताएँ पाठक से ऊपर खड़े होकर बात नहीं करतीं, बल्कि उसके साथ बैठकर संवाद करती हैं। ‘मेरी आँखों का महताब’ की नज़्मों में दर्द है, लेकिन निराशा नहीं। हर कविता किसी न किसी रूप में आगे बढ़ने का संकेत देती है, ठहरकर सोचने का अवसर देती है।

“आँखों में मेरी महताब है, तो सहर से मेरा कोई फ़ासला नहीं”—

यह पंक्तियाँ पूरे संग्रह का दर्शन प्रस्तुत करती हैं। यहाँ महताब केवल एक बिंब नहीं, बल्कि एक मानसिक अवस्था है—एक ऐसी दृष्टि, जो अंधेरे में भी उजाले की संभावना देख सकती है।

लेखिका का साहित्यिक अवदान

नीलम सक्सेना चंद्रा हिंदी और अंग्रेज़ी—दोनों भाषाओं में समान रूप से सक्रिय और प्रतिष्ठित लेखिका हैं। अब तक उनके

  • 7 उपन्यास

  • 9 कहानी-संग्रह

  • 49 कविता-संग्रह

  • 16 बाल-साहित्य की पुस्तकें

प्रकाशित हो चुकी हैं। तीन हज़ार से अधिक रचनाएँ देश-विदेश की पत्रिकाओं और साहित्यिक जर्नल्स में स्थान पा चुकी हैं। वर्ष 2015 में लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में एक वर्ष में सर्वाधिक प्रकाशनों के लिए उनका नाम दर्ज किया गया।

नीलम सक्सेना

डिजिटल और मंचीय उपस्थिति

नीलम सक्सेना चंद्रा ने डिजिटल माध्यमों पर भी कविता को जीवंत बनाए रखा है। उनके प्रेरणादायी काव्य-पाठ और एकल लाइव कविता सत्रों को सोशल मीडिया पर 80 लाख से अधिक बार देखा जाना इस बात का प्रमाण है कि कविता आज भी व्यापक जनसमुदाय तक पहुँच सकती है।

उन्होंने SAARC, साहित्य अकादमी, जश्न-ए-अदब, Poets Across Borders, USA Radio जैसे राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर काव्य-पाठ किया है। इसके अतिरिक्त, वे दूरदर्शन, दूरदर्शन सह्याद्री, तथा The Hindu, Dainik Bhaskar, Amar Ujala, The New Indian Express जैसे प्रतिष्ठित माध्यमों में प्रकाशित और प्रसारित हो चुकी हैं। उनकी पाँच पुस्तकों का विमोचन NCPA, मुंबई में हुआ है।

पुरस्कार और सम्मान

उन्हें अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत किया गया है, जिनमें प्रमुख हैं:

  • भारत निर्माण साहित्य पुरस्कार

  • रवींद्रनाथ टैगोर अंतरराष्ट्रीय कविता पुरस्कार

  • प्रेमचंद पुरस्कार (रेल मंत्रालय द्वारा—दो बार)

  • सेतु अवॉर्ड

  • रेउल लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड

  • सोहनलाल द्विवेदी पुरस्कार

Forbes पत्रिका (2014) ने उन्हें भारत के लोकप्रिय लेखकों की सूची में शामिल किया। वर्ष 2021 में अमेरिका की संस्था NAMI द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में उनकी कविता को सातवाँ स्थान प्राप्त हुआ।

समकालीन साहित्य में महत्व

‘मेरी आँखों का महताब’ की यात्रा यह प्रमाणित करती है कि आज का पाठक संवेदनशील, आशावादी और जीवन से जुड़ा साहित्य चाहता है। यह पुस्तक उन पाठकों के लिए एक साथी बन चुकी है, जो अपने भीतर के अंधेरों में भी रोशनी ढूँढना चाहते हैं। यह कविता का वह रूप है, जो शोर नहीं मचाता, बल्कि भीतर ठहराव पैदा करता है।

आज के तीव्र सूचना-प्रवाह के समय में, किसी कविता-पुस्तक का बार-बार पढ़ा जाना यह दर्शाता है कि पाठक अब भी गहराई चाहता है। ‘मेरी आँखों का महताब’ उस पाठक की ज़रूरत को पूरा करती है, जो कविता में समाधान नहीं, बल्कि सहयात्रा ढूँढता है।

नीलम सक्सेना चंद्रा से जुड़ें

Website: www.neelamsaxenachandra.com
Facebook: Neelam Saxena Poet
Instagram: @neelamsaxenapoet
YouTube: Neelam Saxena Poet

(The article has been published through a syndicated feed. Except for the headline, the content has been published verbatim. Liability lies with original publisher.)

MORE NEWS