बोर्ड एग्जाम सर पर हैं, ऐसे में बच्चों का स्ट्रेस बढ़ना लाजिमी है. इससे पढ़ाई का समय चिंता और डिस्ट्रैक्शन में बदल जाता है. माता-पिता भी अक्सर बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर देने लगते हैं.
नींद न आना, गुस्सा आना, या घंटों तक फ़ोन चलाना बच्चों में स्ट्रेस के प्रमुख लक्षण हैं. इन हालातों में बच्चों को आपके साथ की ज़रूरत होती है. बच्चों को सपोर्ट करें और उनकी जरूरतों को समझें.
स्ट्रेस के शुरुआती संकेतों को पहचानें
चिड़चिड़ापन, अकेलापन, खराब नींद, या एकाग्रता में अचानक कमी; अगर बच्चे में ये लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो सतर्क हो जाएं. ये बच्चे के दिमाग के ओवरलोड होने के संकेत हैं, आलस के नहीं. कभी-कभी स्टूडेंट्स ज्यादा देर तक सोने लगते हैं और स्कूल, कोचिंग जाने से कतराने लगते हैं.
एग्जाम प्रेशर झेलने के लिए बच्चे को करें तैयार
बच्चे को मानसिक रूप से मजबूत बनाने की जिम्मेदारी माता-पिता की ही है. बच्चे से बात करें और उसे बताएं कि एग्जाम की टेंशन होना नॉर्मल है. उससे रोज़ बात करें. उससे उसकी चिंताओं पर बात करें. बच्चों को बताएं कि “टॉप स्कोर करने वालों को भी ऐसा महसूस होता है; मायने यह रखता है कि हम इसे कैसे हैंडल करते हैं।”
फोकस-फ्रेंडली रूटीन बनाएं
पढ़ाई के सेशन को 25-45 मिनट के हिस्सों में बांटें और 5-10 मिनट का ब्रेक लेने को कहें. बर्नआउट से बचने के लिए बच्चे से कहिये कि लगातार कई घंटों तक एक ही सब्जेक्ट न पढ़े. दीवार पर एक फिक्स्ड टाइमटेबल लगाएं. आखिरी मिनट में रूटीन में कोई बदलाव नहीं करें. बच्चे को नया पढ़ने के बजाय रिवीजन करने पर फोकस करने को कहें, और कम से कम एक घंटा खेलने के लिए जरूर निकालें.
स्ट्रेस कम करने की काम की तकनीकें
रोजाना 10 मिनट माइंडफुलनेस को शामिल करें: गाइडेड ब्रीदिंग ऐप्स इसमें बच्चे की मदद कर सकते हैं. सोने से पहले चाइल्ड पोज या पैरों को दीवार पर ऊपर करने जैसे योगा पोजीशन का अभ्यास तनाव कम करते हैं. फिजिकल मूवमेंट को बढ़ावा दें. रात के खाने के बाद 20 मिनट की फैमिली वॉक दिमाग को फ्रेश करती है. इन सबके अलावा बच्चे की डाइट का भी पूरा खयाल रखें. 8 घंटे की नींद जरूरी है, इसलिए रात भर जागकर पढ़ाई न करें.
सोच में बदलाव लाएं
एग्जाम को नए नजरिए से देखें. बच्चे को बताएं कि यह सिर्फ एक पेपर है, तुम्हारी काबिलियत नहीं. उन टॉपर्स की कहानियाँ शेयर करें जो एक बार फेल हुए थे, जिससे यह पता चले कि हार न मानना कितना जरूरी है. बच्चे के मार्क्स की किसी दूसरे से तुलना न करें.
यदि इन सब उपायों के बाद भी बच्चा स्ट्रेस में नजर आ रहा है, तो विशेषज्ञ की सलाह लें.