India News (इंडिया न्यूज़), Parliament LIVE, दिल्ली: आज यानि 11 अगस्त को संसद के मानसून सत्र का आज आखिरी दिन है। गुरुवार को लोकसभा में अविस्वास प्रस्ताव पर चर्चा हुई। प्रस्ताव गिर गया। पीएम मोदी ने प्रस्ताव का जवाब दिया। इसके बाद लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा से निलंबित करने का प्रस्ताव पास हुआ।भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 पर बोलते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कहते हैं कि इस कानून के तहत, हम राजद्रोह जैसे कानूनों को निरस्त कर रहे हैं…”; लोकसभा में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2023 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि मैं राघव चड्ढा को राज्यसभा की सेवा से तब तक निलंबित करता हूं जब तक राज्यसभा को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट प्राप्त नहीं हो जाती।
लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस विधेयक के तहत हमने लक्ष्य रखा है कि सजा का अनुपात 90% से ऊपर ले जाना है। इसीलिए, हम एक महत्वपूर्ण प्रावधान लाए हैं कि जो धाराएं 7 साल का प्रावधान करती हैं या अधिक जेल की सजा, उन सभी मामलों के तहत फोरेंसिक टीम का अपराध स्थल पर जाना अनिवार्य कर दिया जाएगा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में भारतीय संहिता सुरक्षा विधेयक, 2023 पर बोलते हुए कहा कि1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों के बनाए कानूनों के मुताबिक चलती थी। तीन कानूनों को बदल दिया जाएगा और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव आएगा। आपको बता दे कि फिलहाल यह बिल स्टैडिंग कमेटी को भेजा जाएगा।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी के निलंबन का मुद्दा उठाया। खड़गे ने कहा कि …उन्हें मामूली आधार पर निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने सिर्फ ‘नीरव मोदी’ कहा था। नीरव का मतलब शांत, मौन है। आपने उन्हें इस बात पर निलंबित कर दिया?…”
लोकसभा से कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी के निलंबन पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि मैंने उनसे (अधीर रंजन चौधरी) तब कहा था कि माफी मांगें और कम से कम खेद व्यक्त करें। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया… यह अब उनकी आदत बन गई है…यह स्पीकर को तय करना है।
लोकसभा से अधीर रंजन चौधरी के निलंबन पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि संविधान की धारा 105(1) के मुताबिक, हर सांसद को संसद में बोलने की आजादी है. अगर बहुमत की ताकत का दुरुपयोग करके किसी सांसद को निलंबित किया जाता है इस तरह, यह लोकतंत्र के लिए अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का उपयुक्त मामला है।
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