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इंडिया न्यूज़(दिल्ली):सरकार ने कहा है की इनकम टैक्स रिटर्न भरने की आखिरी तारीफ़ 31 जुलाई से बढ़ने वाली नहीं है,केंद्र सरकार उन लोगों को छूट देने पर विचार नहीं कर रही है जो 31 जुलाई की समय सीमा से पहले अपना आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने में विफल रहते हैं,इनकम टैक्स ने अपने ट्विटर पर लिखा की “प्रिय करदाताओं,अगर आपने अभी तक अपना आईटीआर दाखिल नहीं किया है तो याद रखे,निर्धारण वर्ष 2022-23 के लिए आरटीआर फाइल करना है 31 जुलाई, 2022 तक,#FileNow को खाली रखने का अतिरिक्त समय नहीं है.
आयकर रिटर्न में एक साफ ट्रैक रिकॉर्ड होने से ऋण प्राप्त करना आसान हो जाता है,समय पर आयकर रिटर्न दाखिल करने के अन्य लाभ भी हैं,जैसे दंड से बचना,कानूनी कार्रवाई,आसान ऋण अनुमोदन और अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए त्वरित वीजा.
आरटीआर 1 या सहज: यह आयकर रिटर्न फॉर्म उन व्यक्तियों के लिए है जिनकी एक वित्तीय वर्ष में कुल आय ₹ 50 लाख से कम है,इसमें वेतन/पेंशन से आय,एक गृह संपत्ति से लाभ (इसमें उन मामलों को शामिल नहीं किया गया है जहां पिछले वित्तीय वर्ष से नुकसान को आगे लाया गया है),अन्य स्रोतों से आय (लॉटरी और रेस हाउस जीतना शामिल नहीं है) और कृषि गतिविधियाँ से होने वाली आय ₹ 5,000 से अधिक न हो,ऐसे लोग आते है.
आईटीआर 2: यह उन व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) के लिए है जिनकी एक वित्तीय वर्ष में निम्नलिखित स्रोतों (आरटीआर 1) से कुल आय ₹ 50 लाख से अधिक है.
आईटीआर 3: इस फॉर्म का इस्तेमाल ऐसे व्यक्ति या एचयूएफ द्वारा किया जा सकता है जिनकी आय का स्रोत व्यवसाय या पेशे से उत्पन्न होता है.
आईटीआर 4: व्यक्ति,एचयूएफ और भागीदारी फर्म (एलएलपी के अलावा) और भारत के निवासी आईटीआर 4 के तहत रिटर्न दाखिल करने के लिए पात्र हैं यदि उनकी आय में धारा 44 एडी/44 एई के तहत अनुमानित आय योजना के अनुसार व्यावसायिक आय शामिल है,पेशेवर कमाई धारा 44 एडीए के तहत अनुमानित आय योजना के अनुसार हो और वेतन/पेंशन से आय ₹ 50 लाख से अधिक न हो.
आईटीआर 5: यह निम्नलिखित करदाताओं द्वारा भरा जाता है- फर्म, सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी),व्यक्तियों का संघ (एओपी),व्यक्तियों का निकाय (बीओआई),कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति (एजेपी),मृतक की संपत्ति,दिवालिया की संपत्ति, व्यापार ट्रस्ट और निवेश कोष.
आईटीआर 6: यह फॉर्म उन कंपनियों द्वारा भरा जाता है जो धारा 11 के तहत कर छूट का दावा करते हैं,यह खंड धर्मार्थ ट्रस्टों और धार्मिक संस्थानों के लिए रखी गई संपत्ति से अर्जित आय के लिए है,यहां ध्यान देने वाली महत्वपूर्ण बात यह है कि यह आईटीआर केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप से ही दाखिल किया जा सकता है.
आईटीआर 7: इसका उपयोग व्यक्तियों और कंपनियों द्वारा किया जाता है जिन्हें निम्नलिखित अनुभागों के तहत कर रिटर्न दाखिल करना आवश्यक है:139 (4ए), 139 (4बी), 139 (4सी), 139 (4डी), 139 (4ई) और 139 (4 एफ)
आटीआर फाइल करने में देरी पर ₹10,000 का जुर्माना लग सकता है,आईटीआर के माध्यम से एक व्यक्ति को वर्ष के दौरान आय और उस पर भुगतान किए जाने वाले करों के बारे में भारत के आयकर विभाग को जानकारी प्रस्तुत करनी होती है.
यदि किसी व्यक्ति की आय छूट की सीमा से अधिक है,तो उसे कर रिटर्न दाखिल करना होगा,नई कर व्यवस्था के तहत छूट की सीमा ₹ 2.5 लाख निर्धारित की गई है.
पुरानी व्यवस्था के तहत,60 वर्ष से कम आयु वालों के लिए छूट की सीमा ₹ 2.5 लाख है,60 से 80 वर्ष (वरिष्ठ नागरिक) के बीच के लोगों के लिए ₹ 3 लाख और 80 वर्ष (सुपर सीनियर सिटीजन) से अधिक आयु वालों के लिए ₹ 5 लाख हैं.
जहां नई व्यवस्था ने कई छूटों को समाप्त कर दिया है,वहीं कर स्लैब पुरानी व्यवस्था की तुलना में बहुत कम दरों की ओर इशारा करते हैं.
आयकर (I-T) स्लैब सिस्टम के आधार पर लगाया जाता है,जिसका अर्थ है कि आय के स्तर के अनुसार दरें बदलती रहती हैं,आय बढ़ने पर कर की दर बदल जाती है.
इस साल आईटीआर नियमों में हुआ है बदलाव
सरकार पिछले साल से 75 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को आईटीआर दाखिल करने से सशर्त राहत दे रही है,यह छूट केंद्रीय बजट 2021 में पेश की गई धारा 194P के कारण दी गई है.
धारा 194P के अनुसार,वरिष्ठ नागरिकों को आईटीआर दाखिल करने की आवश्यकता नहीं है,यदि वे भारत में रह रहे हैं और पिछले वर्ष के दौरान 75 वर्ष या उससे अधिक उम्र के थे.
बजट ने आकलन वर्ष के अंत से 24 महीने की एक विंडो भी पेश की,जिसमें एक संशोधित आईटीआर दाखिल करने के लिए एक निर्धारित आय की रिपोर्ट करने से चूक या पहले कर रिटर्न दाखिल करने में त्रुटि का पता चलता है,दो साल के लिए अनैतिक करों का भुगतान करने का अवसर भी इस बार है.
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