इंडिया न्यूज़ (दिल्ली): एबीवीपी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय इकाई के एक प्रतिनिधिमंडल ने यूजीसी चेयरमैन प्रो. एम जगदीश कुमार से मुलाकात की। इस प्रतिनिधिमंडल ने जेएनयू में प्रशासन द्वारा छात्रों को नॉन नेट फेलोशिप न दिए जाने के संबंध में यूजीसी से जारी किए फंड के विषय में जानकारी मांगी.
यूजीसी ने लिखित में जानकारी उपलब्ध कराई की इस वित्तीय वर्ष में अप्रैल से जून, 2022 तक, कुल 5 महीनों में ही अबतक 538.36 लाख रुपए नॉन नेट शोधवृत्ति हेतु जेएनयू को दिए जा चुके हैं. जब की विश्वविद्यालय में सालों से छात्रों को नॉन नेट फेलोशिप नही मिली है.
जबकि जेएनयू प्रशासन हर बार इसके जवाब में फंड न होने की झूठी बात कहता है। पिछले 17 दिनों से एबीवीपी जेएनयू फेलोशिप, हॉस्टल मरम्मत आदि में अनियमितताओं के चलते विश्वविद्यालय प्रशासन के विरुद्ध सत्याग्रह पर बैठा है.
बीते सोमवार को अपनी शोधवृत्ति और छात्रावृत्ति के विषय में सवाल पूछे जाने पर स्टाफ के लोगो ने छात्रों से अभद्रता की थी और 50 से अधिक सिक्योरिटी गार्ड्स ने छात्रों के साथ मारपीट की थी। जिसमे 15 से अधिक छात्रों को गंभीर चोटें आईं थी.
इस संबंध में दोनो पक्षों से थाने में मामला दर्ज कराया है। इस व्यहवार और अपनी मांगों को लेकर 24 अगस्त की शाम एबीवीपी ने जेएनयू में शांति पूर्ण न्याय मार्च किया और प्रशासन का पुतला दहन किया। जेएनयू में हॉस्टलों की हालत दिन-प्रतिदिन ख़राब होती जा रही है। इसके लिए यूजीसी ने 56 करोड़ का आवंटन किया है और 18 करोड़ जेएनयू के खाते में आ चुके हैं। फिर भी छात्रों की मांग को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन उदासीन है.
इस मुद्दे पर एबीवीपी जेएनयू इकाई अध्यक्ष रोहित कुमार ने कहा की “यह बहुत ही आश्चर्य और दुर्भाग्य की बात है की यूजीसी से लगातार जेएनयू को फंड दिया जा रहा है लेकिन प्रशासन लगातार झूठ बोल रहा है और छात्रों को सालों से फेलोशिप नही दे रहा है। इसके पीछे जेएनयू वीसी और रेक्टर की भ्रष्टाचार करने वाली सोच है। जब जेएनयू में आम छात्र त्रस्त होकर अपने फेलोशिप की मांग कर रहे है और सत्याग्रह पर बैठे है। तब रेक्टर सिक्योरिटी को आदेश देकर छात्रों को बेरहमी से पिटवाते हैं और जेएनयू वीसी आनंद से संसाकृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेती हैं।”
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