होम / अफगानिस्तान संकट सबसे अधिक चिंता का विषय

अफगानिस्तान संकट सबसे अधिक चिंता का विषय

India News Editor • LAST UPDATED : September 15, 2021, 1:26 pm IST
ADVERTISEMENT
अफगानिस्तान संकट सबसे अधिक चिंता का विषय

bricks

ब्रिक्स की प्राथमिकताओं में कहां है तालिबान?

रहीस सिंहवरिष्ठ पत्रकार

ब्रिक्स उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए प्रभावकारी आवाज है, क्योंकि इसकी करीब 20 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था है और एक बहुत बड़ा बाजार। 13वें ब्रिक्स समिट की अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि पिछले डेढ़ दशक में ब्रिक्स ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। आज हम विश्व की उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए प्रभावकारी आवाज हैं।

विकासशील देशों की प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भी यह मंच उपयोगी रहा है। इसमें कोई संशय नहीं है कि ब्रिक्स उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए प्रभावकारी आवाज है, क्योंकि इसकी करीब 20 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था है और एक बहुत बड़ा बाजार। लेकिन शायद प्रधानमंत्री को इस बात की चिंता है कि ब्रिक्स कहीं इसी से आत्मसंतुष्ट न हो जाए। इसलिए उन्होंने इस ओर भी ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि हमें सुनिश्चित करना है कि ब्रिक्स अगले 15 वर्षों में और परिणामदायी हो। ब्रिक्स का नई दिल्ली घोषणापत्र जिन प्राथमिकताओं को दशार्ता है वे वास्तव में ब्रिक्स सहकार और नई विश्वव्यवस्था के लिए जरूरी हैं।
ब्रिक्स बेशक अपने मूल सिद्धांत पर आगे बढ़ रहा है लेकिन वर्तमान विश्वव्यवस्था सीधी रेखा में नहीं चल रही है बल्कि उसके बहुत से आयाम हैं। ब्रिक्स में सहमति और सहकार की नितांत आवश्यकता है। लेकिन क्या ऐसा हो पाएगा? रूस और चीन क्या सच में उसी दिशा में चलने के लिए तैयार होंगे जिस दिशा में भारत चलना चाहता है? इस समय अफगानिस्तान संकट सबसे अधिक चिंता का विषय है। 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की तस्वीर और धुंधली हो गई।

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने विजय प्रशस्ति पढ़ी और आईएसआई प्रमुख फैज हमीद ने काबुल पहुंच कर पाकिस्तानपरस्त सरकार बनाने की कवायद की। पाकिस्तान से इससे अधिक अपेक्षा भी नहीं की जा सकती। लेकिन जो रूस और चीन ने किया, उसे किस नजरिये से देखा जाए, महत्वपूर्ण यह है। क्या वास्तव में तालिबानी अफगानिस्तान में खुली, समावेशी और व्यापक प्रतिनिधित्व वाली सरकार बनाने की योग्यता और मानसिकता रखते थे? क्या ऐसा हुआ? जिन 33 सदस्यों से मिलकर काबुल की सरकार बनी है उसमें से कम से कम 17 सदस्य संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित आतंकवादी हैं।

दरअसल यह सभी को मालूम है कि खुलापन, समावेशिता और व्यापक प्रतिनिधित्व तालिबान के सिलेबस में न कभी था और न होगा। अगर ऐसा हुआ तो तालिबान, तालिबान नहीं रह जाएगा। फिर तो वह एक सभ्य नागरिक की श्रेणी में आ जाएगा जबकि तालिबान आतंकी हैं। सवाल यह है कि मॉस्को और बीजिंग ने तालिबान की वकालत क्यों की? क्या यह वही रूस है जो तालिबान-अलकायदा से लड़ा था और बेइज्जत होकर अफगानिस्तान से विदा ली थी। आखिर वह कौन सी वजह है कि मॉस्को तालिबान पर प्यार लुटाता हुआ नजर आया? सिर्फ अमेरिकी विरोध या फिर चीनी दोस्ती? अथवा कुछ और? राष्ट्रपति पुतिन की इस बात से सहमत हुआ जा सकता है कि अफगानिस्तान का मौजूदा संकट देश पर ‘बाहर से विदेशी मूल्यों को थोपने की गैर-जिम्मेदाराना कोशिशों’ का प्रत्यक्ष परिणाम है। अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना तथा उसके सहयोगियों की वापसी से एक नया संकट पैदा हुआ है। लेकिन इसका यह मतलब तो नहीं होना चाहिए कि तालिबान काबुल पर काबिज हो जाएं। क्या वास्तव में तालिबान अफगान मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं? अफगानिस्तान एशियाई संस्कृति का संगम स्थल हुआ करता था जिसे तालिबान ने नेस्तनाबूद कर दिया। पुतिन का कहना है कि अफगानिस्तान के नागरिकों को यह परिभाषित करने का अधिकार होना चाहिए कि उनका देश कैसा दिखेगा।

लेकिन क्या तालिबानों के क्रूर और फासीवादी शासन में यह संभव हो सकता है? जो भी हो, तालिबान की काबुल विजय के बाद यह भी संभव है कि उत्तरी अफ्रीका, मध्य-पूर्व, मध्य एशिया, दक्षिण एशिया और पूर्वी एशिया में बिखरे हुए तमाम आतंकवादी संगठन रिकनेक्ट हों। ऐसा इसलिए क्योंकि अब तालिबान एक स्टेट की हैसियत प्राप्त कर चुका है जिसके पास सरकार है, संसाधन हैं और कूटनीतिक शक्ति भी। हालांकि भारत अपने निर्णय पर अडिग है और अपने विचार में स्पष्ट। ऐसे में ब्रिक्स देशों को भारत के नजरिये पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।

ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री ने 12वें ब्रिक्स समिट के दौरान ब्रिक्स फोरम से कहा था कि आज मल्टीलैटरलिज्म सिस्टम एक संकट के दौर से गुजर रहा है। ग्लोबल गवर्नेस के संस्थानों की क्रेडिबिलिटी और इफेक्टिवनेस पर सवाल उठ रहे हैं। इसके बाद भी ब्रिक्स देश, विशेषकर रूस और चीन गंभीर नहीं हुए। शायद इसलिए कि जो आतंकवाद का एपीसेंटर है वह चीन का आॅल वेदर फ्रेंड है। लेकिन आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष और उसी के साथ सदाबहार मैत्री एक साथ तो नहीं चल सकते। यदि ऐसा हो रहा है तो फिर आतंकवाद जैसे मुद्दे बार-बार इन फोरमों पर क्यों उठाए जाते हैं? इस पर रूस और चीन को गंभीरता से विचार करना होगा और स्वयं को बदलना पड़ेगा तभी ब्रिक्स जैसे मंच की सार्थकता सही अर्थो में साबित हो पाएगी, अन्यथा नहीं।

Tags:

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ड्रैगन ने फिर चली लोमड़ी चाल, पाकिस्तान के बाद भारत का यह भी पड़ोसी हुआ ‘कंगाल’, अब जिनपिंग के खिलाफ PM मोदी उठाएंगे ये कदम
ड्रैगन ने फिर चली लोमड़ी चाल, पाकिस्तान के बाद भारत का यह भी पड़ोसी हुआ ‘कंगाल’, अब जिनपिंग के खिलाफ PM मोदी उठाएंगे ये कदम
Sambhal Hinsa: जिला प्रशासन ने संभल हिंसा पर जारी की एक अहम अधिसूचना,सुरक्षा व्यवस्था पर कड़ी निगरानी
Sambhal Hinsa: जिला प्रशासन ने संभल हिंसा पर जारी की एक अहम अधिसूचना,सुरक्षा व्यवस्था पर कड़ी निगरानी
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर जो कर लिया इन 3 शक्तिशाली मंत्रो का जाप, 3 महीनों में बैकाबू हो उठेगा कूबेर खजाना!
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर जो कर लिया इन 3 शक्तिशाली मंत्रो का जाप, 3 महीनों में बैकाबू हो उठेगा कूबेर खजाना!
दिल्ली एनसीआर में बढ़ते पॉल्यूशन को लेकर प्रसासन का एक्शन, जाने क्या है ग्रेप 4 के नियम…
दिल्ली एनसीआर में बढ़ते पॉल्यूशन को लेकर प्रसासन का एक्शन, जाने क्या है ग्रेप 4 के नियम…
संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू, अडानी-मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष कर सकता है चर्चा की मांग, जानें किन बिलों को लाने की तैयारी में केंद्र सरकार
संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू, अडानी-मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष कर सकता है चर्चा की मांग, जानें किन बिलों को लाने की तैयारी में केंद्र सरकार
इस राजपूत राजा ने सबसे पहले मुगलों में की थी अपनी बटी की शादी, आमेर किला नहीं एक रहस्यमयी इतिहास! जाने क्या इसके पिछे की कहानी?
इस राजपूत राजा ने सबसे पहले मुगलों में की थी अपनी बटी की शादी, आमेर किला नहीं एक रहस्यमयी इतिहास! जाने क्या इसके पिछे की कहानी?
MP Weather Update: ठंड का बढ़ता प्रकोप, तपमान में तेजी से गिरावत
MP Weather Update: ठंड का बढ़ता प्रकोप, तपमान में तेजी से गिरावत
UP Weather Update: ठंडी हवा और कोहरे का प्रकोप, तापमान में जल्द बढ़ेगी गिरावट
UP Weather Update: ठंडी हवा और कोहरे का प्रकोप, तापमान में जल्द बढ़ेगी गिरावट
एक हो जाएंगे चाचा-भतीजा! महाराष्ट्र में हार पर छलका शरद पवार का दर्द, NCP और अजित पवार को लेकर अब ये क्या कह दिया?
एक हो जाएंगे चाचा-भतीजा! महाराष्ट्र में हार पर छलका शरद पवार का दर्द, NCP और अजित पवार को लेकर अब ये क्या कह दिया?
महाभारत में जब श्री कृष्ण के शंख से हील गया था पूरा ब्रम्हांड! वो राक्ष्स जिसके वजह से यमलोक में मच गया था हड़कंप, जानें क्या है उस शंख का नाम?
महाभारत में जब श्री कृष्ण के शंख से हील गया था पूरा ब्रम्हांड! वो राक्ष्स जिसके वजह से यमलोक में मच गया था हड़कंप, जानें क्या है उस शंख का नाम?
हिजबुल्लाह के हमलों से दहला इजरायल, नेतन्याहू के दूतों से चुन-चुनकर बदला ले रहा इस्लामिक संगठन, अब क्या यहूदी देश देगा जवाब?
हिजबुल्लाह के हमलों से दहला इजरायल, नेतन्याहू के दूतों से चुन-चुनकर बदला ले रहा इस्लामिक संगठन, अब क्या यहूदी देश देगा जवाब?
ADVERTISEMENT