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इंडिया न्यूज, नई दिल्लीः
Amazing Story : हमारे वैज्ञानिकों के लिए अध्ययन बहुत दिलचस्प विषय हैण् उन्हें उम्मीद है कि इसके अध्ययन से वे मानव के विकासक्रम को भी समझ सकेंगेण् खुद मस्तिक के उद्भव का भी वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं जिसमें सबसे बड़ा सवाल यही है कि यह मस्तिष्क एक अतिबुद्धिमान मस्तिष्क के रूप में कैसे विकसित हुआ। करीब तीन हजार साल पहले मानव मस्तिष्क का आकार छोटा हो गया थाए पर उसकी वजह अभी तक पता नहीं चल सकी थी थीण् चींटियों पर हुए अध्ययन के आधार पर हुए नए शोध में अब उसकी वजह पता चली है।
माना जा रहा है कि यह अध्ययन मानव विकास को समझने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता हैण् चीटिंयों का अध्ययन करने पर शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि दिमाग का आकार क्यों घट बढ़ सकता है। दिमाग के बढ़ने और सिकुड़ने की पीछे की वजह भी पता लगाई है।
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दिमाग के विकास को कारण और प्रभावों को समझने से हमें मानवता को समझने में मदद मिलेगी। अभी तक यह साफ तौर पर पता लग चुका है कि मानव विकास के इतिहास में मस्तिष्क का आकार बढ़ता ही रहा थाण् वहीं इस तथ्य को हमेशा उतनी स्वीकार्यता नहीं मिली है कि प्लेइस्टोसीन काल में मानव का मस्तिष्क का आकार कम हो गया था।
यह बदलाव वास्तव में कब हुआ था यह अभी तक ठीक से पता नहीं था। इस अध्ययन के सहलेखक और डार्थमाउथ कॉलेज के डॉ जेरेमी डिसिल्वा ने बताया कि आज के मानव के बारे में चौंकाने वाला तथ्य यह है कि हमारा दिमाग प्लेइस्टोसीन पूर्वजों के दिमाग की तुलना में छोटा हैण् ऐसा क्यों है कि यह मानवशास्त्रियों के लिए रहस्य का विषय था।
शोधकर्ताओं ने बदलाव के बिंदु को पता लगाने के लिए मानव खोपड़ी और 985 जीवाश्मों के आंकड़ों के समूह का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि मानव का मस्तिष्क प्लेइस्टोसीन काल में 21 लाख साल और 15 लाख साल पहले आकार में बड़ा हुआ था लेकिन तीन हजार साल पहले होलोसीन काल में यह छोटा हो गया था यह पिछला अनुमान ज्यादा आगे का समय है। (Amazing Story)
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