India News (इंडिया न्यूज), Apple and Tesla: आपने कई बार सुना होगा कि चीन निर्माण के मामले में एक फैक्ट्री है। अब तक ऐसा ही हो रहा था। इस कारण ही जो काबिल देश थे उनके यहां इंवेस्टर्स नहीं पहुंच रहे थे। लेकिन कहते हैं ना वक्त कभी भी बदल सकता है। कुछ ऐसा ही हुआ चीन के साथ भी। कोरोना ने आकर ऐसी तबाही मचाई की ना केवल सैकड़ों लोगों की जिंदगियां बल्कि बड़े- बड़े देशों की अर्थव्यवस्था भी चरमरा गई है। इसका असर ऐसा हुआ कि फैक्ट्री बंद होने लगी। सरकार की कोविड पॉलिसी ने दुनिया की तमाम कंपनियों का प्रोडक्शन पर असर डालना शुरू कर दिया। जिस कारण ही अमेरिका और यूरोपीय कंपनियों ने अपनी स्ट्रैटिजी में बदलाव करना शुरू कर दिया। इस बदलाव के तहत उन्होंने ऐसे देशों को पकड़ना शुरू कर दिया जो, चीन का दूसरा ऑप्शन बन सके। माना जा रहा है जिसमें भारत नंबर वन पर आ गई है। पहले एपल, फिर फॉक्सकॉन अब टेस्ला भी भारत की मार्केट में मजबूत पकड़ बनाना चाह रहे हैं।
इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह ये है कि दुनिया में भारत में मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट बहुत कम है। इस रेस में वियतनाम भी पीछे नहीं है। वह भी चीन को टक्कर देने के लिए आगे बढ़ रहा। वर्ल्ड ऑफ स्टैटिक्स ने ट्वीट किया है। इसमें 50 देशों के नाम वाली लिस्ट को जारी किया है। इस लिस्ट को यूएस न्यूज और वर्ल्ड रिपोर्ट के हवाले से तैयार किया गया है। इसी के साथ टॉप 10 देशों में भारत और चीन के अलावा बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया कंबोडिया, इंडोनेशिया जैसे देशों के नाम शामिल है। इसके साथ ही जान लेते हैं उन 10 देशों के बारे में जहां पर मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट कम है।
जितनी तेजी से चीन से एक-एक कर के दुनिया भर की कंपनियां दूसरे देशों की ओर रुख कर रही है। इससे साफ पता चलता है कि दुनिया की बड़ी इकोनॉमीज का चीन से मन उठ रहा है।
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