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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
भारतीय मोटर वाहन उद्योग (Automotive Industry) वैश्विक मोटर वाहन उद्योग की मूल्य श्रृंखला का हिस्सा होने के कारण इन रुझानों से अलग नहीं रह सकता। जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण नियंत्रण, सड़क दुर्घटनाओं को कम करना और कुशल परिवहन, भारत सरकार की प्राथमिकताएं हैं। हमें इन परिवर्तनों को स्वीकार करने और भविष्य के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है। वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन और इसका प्रतिकूल प्रभाव तेजी से संकट का रूप लेता जा रहा है। दुनिया भर की सरकारें मोटर वाहन उद्योग को विनियमित कर रही हैं और इसे स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं।
मोटर वाहन उद्योग इन चुनौतियों को तेजी से स्वीकार कर रहा है और बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहन तथा डिजिटल व चालक रहित वाहनों को अपनाने की ओर बढ़ रहा है। बड़ी संख्या में लोगों की एकसाथ यात्रा – एक और बदलाव है जिसे मोटर वाहन उद्योग से जुड़े ओईएम अपना रहे हैं। इसके अलावा, वाहन और पैदल यात्री सुरक्षा भी मोटर वाहन उद्योग की मुख्य प्राथमिकताएं हैं।
भारत सरकार मोटर वाहन उद्योग को एक प्रमुख (चैंपियन) उद्योग के रूप में देखती है। हम मोटर वाहन उद्योग और मोटर वाहन कल-पुर्जा आपूर्ति उद्योग के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम इसे पसंद करते हैं या नहीं झ्र यह अलग बात है, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहन, डिजिटल रूप से आपस में जुड़े वाहन तथा औसत के आधार पर प्रति वाहन अधिक इलेक्ट्रॉनिक्स कल-पुर्जों का उपयोग अनिवार्य हैं, जिन्हें मोटर वाहन उद्योग को अपनाना होगा।
हम मानते हैं कि भारतीय बाजार वर्तमान में इन प्रौद्योगिकियों के उपयोग में थोड़ा पीछे है। इस कारण हमारी लागत ज्यादा है तथा हमारी क्षमता कम है। यदि हम अभी इस अंतर को दूर नहीं करते हैं, तो हमें अगले दशक के मोटर वाहन उद्योग से जुड़ा निवेश प्राप्त नहीं होगा। साथ ही, हमारी उन्नत मोटर वाहन उद्योग प्रौद्योगिकी की मूल्य श्रृंखला कमजोर बनी रहेगी और हम मोटर वाहन क्षेत्र के अगले बड़े अवसर से चूक जाएंगे।
उन्नत मोटर वाहन प्रौद्योगिकी (एएटी) में प्रतिस्पर्धा का निर्माण एक दीर्घकालिक संरचनात्मक परिवर्तन होगा। लेकिन उस बदलाव की शुरूआत के लिए उत्प्रेरक की जरूरत होगी। हमारा मानना है कि मोटर वाहन उद्योग से जुड़ी पीएलआई योजना, मोटर वाहन ओईएम और आपूर्तिकर्ता उद्योग में नई क्षमताओं के निर्माण के लिए उत्प्रेरक सिद्ध होगी।
मोटर वाहन उद्योग से जुड़ी पीएलआई योजना का उद्देश्य एएटी में नए निवेश को आकर्षित करना है। एएटी केवल इलेक्ट्रिक वाहनों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मोटर वाहन इलेक्ट्रॉनिक्स, सेंसर, हरित तकनीक, सुरक्षा प्रौद्योगिकियां भी शामिल हैं, जिनका अनुप्रयोग बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ-साथ आंतरिक दहन इंजन-आधारित वाहनों में भी हो सकता है। निवेश से भारत में एएटी की बिक्री और उत्पादन में वृद्धि होगी।
इन क्षेत्रों में मौजूद लागत-अंतर को कवर करने के लिए एएटी बिक्री में वृद्धि को आधार मानते हुए, पीएलआई प्रोत्साहन प्रदान करेगा। नीति का उद्देश्य भारत में ओईएम और मोटर वाहन कल-पुर्जा आपूर्तिकतार्ओं द्वारा बड़े पैमाने पर निवेश को प्रोत्साहित करना है। इसके अलावा, पीएलआई भारत में मोटर वाहन उद्योग इकोसिस्टम द्वारा एएटी के हस्तांतरण और इन्हें अपनाये जाने को सुनिश्चित करेगा।
पात्र प्रतिभागियों में से प्रत्येक को मोटर वाहन पीएलआई का हिस्सा बनने के लिए आवेदन करने की आवश्यकता होगी, साथ ही इस बारे में विस्तृत योजना प्रस्तुत करनी होगी कि वे निवेश की शर्तों को और उत्पादन/राजस्व वृद्धि योजनाओं को कैसे प्राप्त करेंगे। सबसे आकर्षक निवेश और विकास प्रतिबद्धता वाली कंपनियों को मूल्यांकन की पारदर्शी प्रक्रिया के आधार पर प्राथमिकता दी जाएगी। योग्य प्रतिभागियों को एएटी उत्पादों की बिक्री में वृद्धि होने पर 8-18 प्रतिशत की दर से प्रोत्साहन मिलेगा।
हम उम्मीद करते हैं कि मोटर वाहन पीएलआई के परिणामस्वरूप लगभग 42,500 करोड़ रुपये का नया निवेश होगा, जिससे उत्पादन राजस्व में लगभग 2,31,500 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी। योजना की 5 वर्षों की अवधि के दौरान 7.5 लाख से अधिक लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसरों का सृजन होगा। पीएलआई से ऐसी आधारशिला तैयार करने में मदद मिलेगी, जिसके जरिये भारत को मोटर वाहन मूल्य श्रृंखला के अंतर्गत एक नए और तेजी से उभरते उपक्षेत्र (सेगमेंट) का लाभ मिलेगा।
पीएलआई तभी सफल हो सकता है, जब उद्योग जगत के अग्रणी प्रतिनिधि खुले दिमाग से योजना के संदर्भ और अभिप्राय को समझें। इस बात को समझें कि यह कैसे पूरे उद्योग और राष्ट्र को लाभ पहुंचा सकता है और भारत को भविष्य के लिए तैयार होने में मदद कर सकता है। हम आपसे योजना के विवरण का अध्ययन करने का अनुरोध करते हैं।
आपको यह तय करना चाहिए कि आप इसे सफल बनाने के लिए कैसे योगदान दे सकते हैं तथा इस प्रक्रिया के दौरान किस प्रकार लाभ प्राप्त कर सकते हैं। सरकार, उद्योग तथ घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों को इस योजना को सफल बनाने के लिए ‘टीम इंडिया’ के रूप में मिलकर काम करना चाहिए। आइए भविष्य की जरूरतों के लिए अपने आप को तैयार करें।
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