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Ayurveda and Yoga: The Pride of India's Traditions आयुर्वेद और योग: भारत की परंपराओं का गौरव

India News Editor • LAST UPDATED : September 20, 2021, 1:51 pm IST
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Ayurveda and Yoga: The Pride of India's Traditions आयुर्वेद और योग: भारत की परंपराओं का गौरव

सर्बानंद सोणोवाल
जलमार्ग मंत्री

sarbanand sonowal

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भारतीय चिकित्सा पद्धति सहस्राब्दी पुरानी है और यह समग्र स्वास्थ्य प्रदान करती है। स्वास्थ्य प्रतिमान में परिवर्तन ने पिछले कुछ वर्षों में आयुष प्रणालियों (अर्थात् आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी) में सबकी रुचि एक बार फिर से बहुत बढ़ी है। स्वास्थ्य देखभाल में बहुलवादी दृष्टिकोण के प्रोत्साहन से तथा राज्य के संरक्षण ने सभी को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की दिशा में आयुष की प्रगति को बल दिया है।
अपनी मूल शक्तियों को बनाए रखते हुए, आयुष ट्रांसडिसिप्लिनरी और ट्रांसलेशनल दृष्टिकोण के साथ नैदानिक साक्ष्यों को उजागर कर रहा है। 2014 में स्थापित आयुष मंत्रालय ने माननीय प्रधान मंत्री के ‘नए भारत’ के दृष्टिकोण को साकार करने में आयुष की भूमिका को बढ़ाया है। फामार्कोपिया जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में हो रहे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सहयोग भारतीय पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों की तेजी से बढ़ती स्वीकृति का संकेत है। यह समूचे आयुष क्षेत्र को एकाधिक तरीकों से प्रभावित करने वाला है।

फामार्कोपिया कमीशन फॉर इंडियन मेडिसिन एण्ड होम्योपैथी (पीसीआईएमएच) और अमेरिकन हर्बल फामार्कोपोइया (एएचपी) के बीच हाल ही में हुए करार (एमओयू) से इसकी पुष्टि होती है। ऐसी ही अनेक प्रमुख प्रमुख पहलों में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में आयुष की भूमिका शामिल है। आयुष मंत्रालय ने महामारी के प्रभाव को कम करने में आयुष प्रणालियों की क्षमता का दोहन करते हुए कई अनुसंधान एवं विकास तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी पहलें की हैं। सरकार ने प्रतिरक्षा में सुधार के उपायों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने और आम जनता के लिए आसानी से सुलभ घरेलू उपचार की सलाह देने के लिए ‘आयुष फॉर इम्युनिटी’ जैसे विभिन्न दिशानिर्देश, सलाह और अभियान शुरू किए हैं।
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली जैसे संस्थानों को आयुष दिशानिदेर्शों के अनुसार कोविड-19 के हल्के से मध्यम मामलों के प्रबंधन के लिए समर्पित कोविड स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया । मंत्रालय ने आयुष पर साक्ष्य-आधारित अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए कई संगठनों के साथ साझेदारी की। मंत्रालय ने आईसीएमआर, डीबीटी, सीएसआईआर, एम्स सहित प्रमुख संगठनों के वैज्ञानिकों, पल्मोनोलॉजिस्ट, महामारी विज्ञानियों, फामार्कोलॉजिस्ट आदि से मिलकर एक अंतर-अनुशासनात्मक आयुष आर एंड डी टास्क फोर्स का गठन किया और ‘कोविड-19 के प्रबंधन के लिए आयुर्वेद और योग पर राष्ट्रीय नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल’ जारी किया।

देश भर के 152 केंद्रों पर कोविड-19 में 127 से अधिक शोध अध्ययन शुरू किए गए। इनमें से कुल 90 अध्ययन पूरे हो चुके हैं, और 15 लेख प्रकाशित हो चुके हैं, जबकि 20 प्रीप्रिंट भी प्रकाशित हो चुके हैं। इन अध्ययनों ने कोविड के लिए आयुष दवाओं की रोगनिरोधी क्षमता के संदर्भ में बहुत आशाजनक परिणाम दिखाए हैं। आयुष-64 जैसी आयुष औषधि के संदर्भ में यह याद रखने वाली बात है कि स्टैंडअलोन या देखभाल के मानक के सहायक के रूप में इस दवा के प्रयोग ने बेहतर परिणाम दिए हैं।

क्लीनिकल परीक्षणों में हल्के से मध्यम कोविड -19 रोगियों में शीघ्र नैदानिक सुधार के लिए, शीघ्र नकारात्मक आरटी-पीसीआर परिणाम, अस्पताल में रहने की अवधि में कमी, बीमारी के गंभीर चरण की ओर बढ़ने और जटिलताओं में प्रगति में रोकथाम हुई है, और जीवन की गुणवत्ता में सुधार दिखा है। मंत्रालय ने अस्पताल के बाहर रहकर इलाज कराने वाले कोविड रोगियों के लाभ के लिए पॉलीहर्बल दवाओं आयुष-64 और (सिद्ध की) काबासुरा कुडीनीर के वितरण के लिए एक व्यापक राष्ट्रव्यापी अभियान भी शुरू किया। दिल्ली पुलिस के 80,000 फ्रंटलाइन कर्मियों की कोविड-19 के खिलाफ प्रतिरक्षा बढ़ाने और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए नाक में लगाने के लिए अनु तैल, काढ़ा (हर्बल चाय), ‘संशमणि’ टैबलेट (गिलोय से बनी) युक्त ‘आयुरक्ष किट’ दी गई और इसने दिखाया कि इतना अधिक जोखिम होने के बावजूद केवल 48 प्रतिशत कर्मी ही वायरस से संक्रमित हुए।

इसके अलावा, आयुष मंत्रालय द्वारा विकसित आयुष संजीवनी मोबाइल ऐप ने लगभग 1.5 करोड़ उत्तरदाताओं में कोविड-19 की रोकथाम में आयुष सलाह और उपायों की प्रभावशीलता, स्वीकृति और उपयोग के प्रभाव का मूल्यांकन करते हुए आंकड़े जुटाए। इससे पता चला कि आबादी के एक अच्छे अनुपात ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसका उपयोग किया है। 85.1% उत्तरदाताओं ने कोविड -19 की रोकथाम के लिए आयुष उपायों के उपयोग की सूचना दी, जिनमें से 89.8% उत्तरदाताओं ने आयुष गाइडलाइन को आजमाने से लाभान्वित होने पर सहमति व्यक्त की। मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड -19 का सामना करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में आयुष के एकीकरण के आकलन के लिए पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन आॅफ इंडिया के सहयोग से एक अध्ययन करने के लिए तकनीकी समझौता भी किया है। मंत्रालय ने जनता को कोविड-19 के प्रबंधन में आयुष आधारित समाधानों की जानकारी देने के लिए एक समर्पित सामुदायिक सहायता हेल्पलाइन नंबर 14443 भी शुरू किया है। केंद्रीय बजट 2021-22 में आयुष का हिस्सा ?2122.08 करोड़ से बढ़कर ?2,970.30 करोड़ (यह 40% की वृद्धि दशार्ता है) हुआ, इसने जो हौसला बढ़ाया है, उससे समूचा आयुष क्षेत्र लाभ उठा सकेगा। आयुष मंत्रालय की अनेक बड़ी पहलों के कारण कोविड काल ही में आयुष उद्योग में भी महत्वपूर्ण विस्तार हुआ दिखता है।

इस क्षेत्र में 44% की वृद्धि देखी गई है। कोविड -19 के प्रकोप के बाद से कुछ विशिष्ट आयुष उत्पादों की मांग में 500 से 700 प्रतिशत की जबरदस्त वृद्धि देखी गई है। इसमें गुडूची घन वटी, अनु तैल, महासुदर्शन घन वटी, तुलसी जैसे प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले उत्पाद शामिल हैं, जबकि च्यवनप्राश उत्पादों में 700 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है और अश्वगंधा के निर्यात में पिछली अवधि की तुलना में तीन गुना वृद्धि हुई है। ये आंकड़े जनता के बीच आयुष प्रणालियों की व्यापक मान्यता और सार्वजनिक स्वीकृति को रेखांकित करते हैं।

यह भी सभी भारतीयों के लिए गर्व की बात है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपना ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन स्थापित करने के लिए भारत को चुना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक डॉ. टेडरॉस ने 13 नवंबर 2020 को 5वें आयुर्वेद दिवस के उपलक्ष्य में एक वीडियो संदेश दिया और आयुष्मान भारत के तहत सार्वभौमिक कवरेज और स्वास्थ्य संबंधी उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए साक्ष्य-आधारित पारंपरिक औषधियों के प्रचार के लिए भारत के प्रधान मंत्री की प्रतिबद्धता की प्रशंसा की। योग ने हाल के वर्षों में जीवनशैली के हिस्से के रूप में और कल्याणकारी स्वास्थ्य प्रणाली के रूप में दुनिया में अपनी छाप छोड़ा है। इसी का परिणाम है कि 27 नवंबर, 2020 को राष्ट्रीय योग खेल महासंघ (एनवाईएसएफ) के अन्तर्गत योग को एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। बदलती हुई जीवनशैली की जरूरतों और योग के क्षेत्र में उभर रही बेहतर संभावनाओं के कारण हाल के समय में योग की डिग्री भी मुख्यधारा की अन्य तमाम डिग्रियों की तरह प्रचलित होने लगी है।

इसका एक प्रमाण है 2013 में शुरू हुआ गुजरात का लकुलिश योग विश्वविद्यालय, जिसमें प्रवेश लेने वालों की संख्या में वर्ष 2018 में तीन गुना वृद्धि देखी गयी।योग के अभ्यास को डिजिटल रूप से प्रचारित करने के लिए मंत्रालय ने ‘नमस्ते योग ऐप’ भी जारी किया है जो लोगों को योग से संबंधित जानकारी, योग कार्यक्रमों और योग कक्षाओं का डिजिटल रूप से लाभ लेने में सक्षम बनाता है। हाल ही में जारी किया गया योग-ब्रेक ऐप भी समय की कमी से जूझ रहे कामकाजी लोगों के लिए बहुत काम का है। इस ऐप के माध्यम से पांच मिनट में चुनिंदा योगाभ्यास से व्यक्ति स्वयं को तनाव-मुक्त कर सकता है, फिर से ऊजार्वान महसूस कर सकता है और अपने काम पर केन्द्रित करने के लिए तैयार हो सकता है।

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