शहनाज हुसैन, नई दिल्ली :
Beauty Precautions in Spring बसन्त ऋतु आते ही तापमान में बढोतरी के साथ ही गर्माहट आनी शुरू हो जाती है। बसन्त ऋतु में हम सर्दियों की बजाय खुले आसमान में ज्यादा समय बिताते हैं तथा हमारी दिनचर्या की चहल-पहल बढ़ जाती है। बसन्त ऋतु में मौसम में शुष्क हवा तथा तापमान में बढ़ोतरी से त्वचा के जलन तथा अन्य सौदर्य समस्यायें उभर जाती है। मौसम में बदलाव के साथ ही हमें अपनी सौंदर्य आवश्यकताओं को बदलकर बदलते मौसम के अनुरूप ढालना चाहिए ताकि हमारी त्वचा तथा बालों को पर्याप्त देखभाल सुनिश्चित रखी जा सके।
वास्तविकता यह है कि हम हर मौसम में सुन्दर दिखना चाहते है। त्वचा को सौंदर्य बनाए रखने के लिए त्वचा की प्रकृति, मौसम के मिजाज तथा इसकी पोषक जरूरतों के प्रति निरन्तर सजग रहना पड़ता है। बसन्त ऋतु शुरू होते ही आप यह महसूस करते हैं कि आपकी त्वचा रूखी तथा पपडीदार बन गई है। इस मौसम में त्वचा में नमी की कमी की वजह से आपकी त्वचा में रूखे लाल चक्कते भी पड़ जाते है। बसन्त ऋतु में सर्दियां खत्म होते ही आपके अपनी त्वचा की आर्द्रता को बराबर बनाए रखने की आवश्यकता होती है। अगर आपकी त्वचा अत्याधिक शुुष्क है तथा इसमें रूखे लाल चक्त्ते पड़ रहे है तो आप तत्काल रसायनिक साबुन का प्रयोग करना बन्द कर दीजिए।
आप साबुन की बजाय सुबह-शाम कलीनजर का उपयोग कर सकते है। त्वचा को प्रतिदिन क्लीजिंग के साथ ही त्वचा को पोषाहार भी प्रदान कीजिए। घरेलू आर्युवैदिक उपचार के तौर पर आप त्वचा पर तिल के तेल की मालिश कर सकते है। वैकल्पिक तौर पर आप दूध में कुछ शहद की बूंदे डालकर इसे त्वचा पर लगाकर 10-15 मिनट तक लगा रहने दीजिए तथा बाद में इसे ताजे स्वच्छ जल से धो डालिए। यह उपचार सामान्य तथा शुष्क दोनों प्रकार की त्वचा के लिए उपयोगी है। यदि आपकी त्वचा तैलीय है तो 50 मिली लीटर गुलाब जल में एक चम्मच शुद्ध गलीसरीन मिलाईए। इस मिश्रण को बोतल में डालकर इसे पूरी तरह मिला कर इस मिश्रण को चेहरे पर लगा लीजिए। आपको यह अहसास होगा कि गलिसरीन तथा गुलाब जल से त्वचा में पर्याप्त आर्द्रता बनी रहती है तथा त्वचा में ताजगी का अहसास होता है।
आप तैलीय त्वचा पर भी शहद का लेप कर सकते है। शहद प्रभावशाली प्राकृतिक आर्द्रता प्रदान करके त्वचा को मुलायम तथा कोमल बनाता है। वास्तव में आप बसन्त ऋतु के दौरान रोजाना 15 मिनट तक शहद का लेपन अपने चेहरे पर करके उसे स्वच्छ ताजे पानी से धो सकते है तथा इससे त्वचा पर सर्दियों के दौरान पडे़ विपरित प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। बसन्त ऋतु आते ही त्वचा में एलर्जी की समस्या आम देखने को मिलती है जिसमें त्वचा में खारिश, चक्कते तथा लाल धब्बे देखने में मिलते है। बसन्त ऋतु में वातावरण में वायु तथा जल प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है।
जिसका त्वचा पर सीधा प्रभाव पड़ता है इन परिस्थितियों में ‘‘ओवर क्रीम’’ सौछर्य प्रसाधन काफी मददगार साबित होते है, चन्दन क्रीम को त्वचा को संरक्षण तथा रंगत रखने में अत्यन्त उपयोगी माना जाता है इससे फोडे़ फन्सी तथा अन्य एलर्जी को शान्त रखने में मदद मिलती है। इससे त्वचा में खारिश को नियन्त्रित रखने में भी मदद मिलती है। लेकिन यदि त्वचा में खारिश ज्यादा हो तो डाक्टर को सलाह आवश्यक लीजिए। चन्दन अत्याधिक गुणकारी होता है तथा सभी प्रकार की त्वचा के लिए उपयोगी माना जाता है। यह प्रभावकारी एंटीसैफटिक होता है तथा त्वचा की नमी बनाए रखने की क्षमता को भी बढ़ाता है।
त्वचा के रोगों खासकर फोड़े, फुन्सी लाल दाग तथा चकते आदि में तुलसी भी अत्याधिक उपयोगी माना जाता है। तुलसी के औषधीय गुणों की वजह से इसे प्राचीन काल में ही पूजा जाता है। आधुनिक वैज्ञानिक अनुसन्धानों में यह पाया गया है कि तुलसी हवा को शुद्ध करती है तथा त्वचा को शान्त, शौम्य तथा चिकत्सिक लाभ प्रदान करता है। शायद इसी वजह से प्राचीन समय से ही तुलसी को घर के आंगन में उगाया जाता है।
त्वचा की खाज, खुजली तथा फंसियों में चन्दन पेस्ट का लेपन कीजिए। चन्दन पेस्ट में थोड़ा सा गुलाब जल मिलाकर उसे प्रभावित त्वचा पर लगाकर आधा घंटा बाद ताजे स्वच्छ जल से धो डालिए। चन्दन का सुगन्धित तेल भी इसमें अत्याधिक लाभकारी साबित होता है। दो या तीन बूंद चन्दन सुगन्धित तेल को 50 मिली लीटर गूुलाब जल में मिलाइए तथा इसे प्रभावित क्षेत्र पर लगाइए। त्वचा की खारिश में एपल सिडर विनेगर काफी मददगार साबित होता है। इससे एंटीसैफटिक तथा एंटी फंगल गुण विद्यमान होते है जिससे गर्मी की जलन तथा बालों को रूसी की समस्या को निपटने में अहम मदद मिलती है। एपल सिडर विनेगर की कुछ बूंदों को काटनवूल की मदद से खारिश वाले हिस्से पर लगाइए। यदि आपको एपल सिडर विनेगर मार्किट में उपलब्ध नहीं हो रहा तो इसकी जगह पर विकल्प के तौर पर रसोई में प्रयोग किए जाने वाले सिरके का उपयोग भी कर सकती है।
नीबूं की पत्तियों को चार कप पानी में हल्की आंच पर एक घण्टा उबालिए। इस मिश्रण को टाईट जार में रात्रि भर रहने दीजिए। अगली सुबह मिश्रण से पानी निचोड़ कर पत्तियों का पेस्ट बना लीजिए तथा इस पेस्ट को प्रभावित त्वचा पर लगा लीजिए नीम में आर्गेनिक सल्फर कम्पाउंड विद्यमान होते है जिसकी चिकित्सक गुणों की वजह से त्वचा को विशेष लाभ मिलता है। त्वचा में मुलतानी मिट्टी की अत्याधिक शंातकारी साबित होती है। एक चम्मच मुलतानी मिट्टी को गुलाब जल में मिलाकर इस पेस्ट को प्रभावित क्षेत्र में लगाकर 15-20 मिनट बाद धो डालिए। त्वचा की खारिश में वाईकार्बोनेट सोडा भी अत्याधिक प्रभावशाली साबित होता है। बायोकार्बोनेट सोड़े तथा मुलतानी मिट्टी एवं गुलाब-जल का मिश्रण बनाकर पैक बना लें तथा इसे खारिश, खुजली चकते तथा फोड़े फन्सियों पर लगा कर 10 मिनट बाद ताजे स्वच्छ जल से धो डालिए तथा इससे त्वचा को काफी राहत मिलेगी।
लेखिका अन्र्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सौंदर्य विशेषज्ञ है तथा हर्बल क्वीन के रूप में लोकप्रिय है।
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