इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Benefits of Kulthi Dal: कुलथी एक प्रकार की दाल है, जिसे अंग्रेजी में हार्स ग्राम के नाम से जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम मैक्रोटिलोमा यूनिफ्लोरम है। इसका रंग गहरा भूरा होता है और देखने में मसूर की दाल की तरह लगती है। दक्षिण भारत के कुछ प्रमुख व्यंजनों जैसे रसम आदि बनाने के लिए इसे प्रयोग में लाया जाता है।
इस दाल को कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा व तमिलनाडु के अलावा छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भी उगाया जाता है। यह औषधि के रूप में फायदेमंद मानी जाती है। इसे दक्षिण भारत की महत्वपूर्ण फसल माना गया है।
चिकित्सा जगत में कुलथी की दाल को एक विशेष दर्जा प्राप्त है, क्योंकि इस पर किए गए अध्ययनों ने इसके कई औषधीय गुणों को उजागर किया है।
कुलथी दाल से संबंधित एक शोध में वजन कम करने के लिए कुलथी दाल को लाभकारी बताया गया है। इसके पीछे इसमें मौजूद फाइबर तत्वों को जिम्मेदार माना जा सकता है । वजन घटाने के लिए कुलथी दाल के सूप का सेवन किया जा सकता है।
पथरी के लिए कुलथी का इस्तेमाल लंबे समय से किया जा रहा है। कुलथी दाल एंटीआॅक्सीडेंट और शरीर से गंदगी बाहर निकालने वाले गुणों से समृद्ध होती है, जो किडनी से पथरी को बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं। शायद यही वजह है कि इसे किडनी स्टोन के इलाज के लिए पारंपरिक और वैकल्पिक दवा का दर्जा प्राप्त है।
इसमें अच्छी मात्रा में फाइबर मौजूद होता है। वहीं, फाइबर एलडीएल यानी खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने और एचडीएल यानी अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने का काम कर सकता है। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि बढ़े हुए कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने में कुलथी की दाल सहायक हो सकती है।
इस मामले में भी कुलथी की दाल में मौजूद फ्लेवोनॉयड की भूमिका देखी जा सकती है। फ्लेवोनॉयड कारगर एंटी-अल्सर की तरह काम कर सकता है। यह अल्सर से उबरने में मदद कर सकता है । साथ ही अल्सर जैसी स्थितियों में भी फाइबर अहम भूमिका निभा सकता है।
कुलथी दाल की फ्लेवोनॉइड जैसे तत्वों से भरपूर होती है, जिस कारण यह एंटी-डायरिया के रूप में काम कर सकती है। इसके अलावा, कुलथी दाल में मौजूद फाइबर अहम भूमिका निभा सकता है। फाइबर पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए एक जरूरी पोषक तत्व है, जो डायरिया से निजात दिलाने में मदद कर सकता है
कुलथी दाल में मौजूद फाइबर कोलेस्ट्रॉल को कम कर हार्ट अटैक के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकता है। इसके अलावा, शोध में यह भी बनाया गया है कि कुलथी दाल में फेनोलिक एसिड, फ्लेवोनॉइड और टैनिन मौजूद होते हैं, जो हृदय संबंधी समस्याओं से बचाव कर सकते हैं।
बुखार और सर्दी के लिए इस दाल का प्रयोग पारंपरिक दवाई के रूप में सदियों से किया जा रहा है। कुलथी दाल न सिर्फ सर्दी-बुखार से निजात दिलाने का काम करती है, बल्कि गले के संक्रमण को दूर करने का काम भी कर सकती है।
कुलथी की दाल फाइबर से समृद्ध होती है, जो कब्ज से छुटकारा दिलाने का काम कर सकती है। फाइबर स्टूल को मुलायम बनाता है और मल त्याग की प्रक्रिया को सरल बना सकता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि कब्ज की समस्या में कुल्थी की दाल के फायदे देखे जा सकते हैं।
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