India News (इंडिया न्यूज), Bihar News : बिहार में नवंबर 2022 यानि जब से नई सरकार का गठन हुआ है, तब से लेकर अब तक का क्राइम ग्राफ बहुत कुछ कह रहा है। आंकड़े कहते हैं कि महागठबंधन की सरकार के गठन के बाद से पूरे प्रदेश में अपराध की घटना में वृद्धि हुई है।
मुजफ्फरपुर में 10 साल के छात्र के अपहरण से लोगों में खौफ का मामला है। स्कूल वैन से घर के पास उतरते ही अपराधियों ने बच्चे को अगवा कर लिया है। पुलिस के पास मौजूद सीसीटीवी फुटेज में साफ दिख रहा है कि दो बाइक सवार घर के पास से बच्चे को अगवा कर ले जा रहे है।
अगवा की खबर से पूरे इलाके में दशहत का माहौल है । परिवार वालों के मुताबिक अभी तक फिरौती के लिए कोई कॉल आया है। पुलिस के बड़े अधिकारी मौका ए वारदात का मुआयना कर रहे हैं। पिता के मुताबिक हर रोज करीबन 3 बजे स्कूल वैन उस बच्चे को घर के पास छोड़ जाता था। जिसके बाद बच्चा खुद घर आता था, पर सोमवार को 3:30 बजे तक बच्चा जब घर नहीं लौटा तो परिवार के लोगों को परेशानी हुई। और सभी ने मिलकर उसकी तलाश शुरू कर दी। स्कूल में कॉल करने पर पता चला की ड्राइवर ने उस बच्चे को 3 बजे ही घर के पास उतारा था।
परिजनों ने पुलिस को इसकी सूचना दी। पुलिस सीसीटीवी फुटेज का आधार पर बदमाशों की तलाश में जुट हुई है। लोकल क्रिमिनल्स से पूछताछ भी की जा रही है । परिवार के लोगों से यह भी पूछा गया है कि उनका किसी से दुश्मनी तो नहीं है या कभी कोई धमकी तो नही मिली थी।
इस घटना के बाद बीजेपी एक बार फिर आरोप लगाने लगी है कि लालू जी एक्टिव हो गए हैं और नीतीश जी डिएक्टिव हो गये है । लोगो ने भी ये कहना शुरू कर दिया है की बिहार में जब से नीतीश और लालू की सरकार चल रही है हर रोज गोलीबारी, लूट ,अपहरण, पत्रकारों की हत्या, दलितों की हत्या के वारदात बढ़ रहे हैं।गृहमंत्री अमित शाह ने भी कुछ दिन पहले लालू नीतीश की सरकार पर प्रहार करते हुए कहा था की बिहार फिर से जंगल राज की और जा रहा है। उन्होंने बिहार के गिरती कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए थे।
हाल ही में 11 अक्टूबर को ही 17 साल की नाबालिक का अपहरण हुआ ,घटना के कई दिन बीत जाने के बाद भी नाबालिक की बरामदगी नहीं हो पाई। डॉक्टर संजय कुमार के अपहरण लोग भूले नहीं हैं। कई महीने बीत जाने के बाद भी सुराग नहीं मिल पाया। बिहार में शिक्षक का बेटा हो,राह चलती कोई लड़की हो,मुजफ्फरपुर के डॉक्टर का बेटा हो, या कोई सरकारी कर्मचारी। इसकी सूची लंबी होती जा रही है। अपराधी बेखौफ होते जा रहे है और प्रशासन कोई सुराग तक नहीं मिल पा रही है।
नब्बे के दशक के बिहार में भी प्रदेश का हाल कुछ ऐसा ही था। उस वक्त लोगों का प्रशासन से विश्वास ही उठ गया था। ऐसा नहीं है कि इन दिनों ये वारदात सिर्फ एक जिले में हो रहे है। बल्की यह घटना बेगूसराय,सासाराम, नवादा, मोतिहारी, बेतिया यानी बिहार का कोई भी ऐसा हिस्सा नहीं है जो अब अछूता बच्चा हो। वैसे पुलिस इस मामले में गिरफ्तारी भी कर है। और इससे निपटने का दावा भी कर रही है। लेकिन जिस तरह से बिहार में अपराध के मामले बढ़ रहे हैं। ये सच में चिंता का विषय बन रहा है।
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