इंडिया न्यूज, मुंबई (bow-arrow): महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे शुक्रवार को पहली बार इस्तीफा देने के बाद जनता के सामने आए। उन्होंने अपने संबोधन में यह साफ किया कि कोई भी ‘धनुष-बाण’ के चिन्ह को शिवसेना से नहीं ले सकता। खास बात यह है कि राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद अटकलें लगाई जाने लगी थी कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट शिवसेना के चुनाव चिन्ह पर दावा कर सकती है।
वहीं, बगावत के समय गुवाहाटी में ठहरे विधायकों ने बालासाहब के नाम से नई पार्टी बनाने की भी बात कही थी। शुक्रवार को ठाकरे ने पार्टी के नेताओं का साथ देने के लिए धन्यवाद दिया तथा कहा कि यह पहली बार नहीं है जब पार्टी ने इस तरह की बगावत का सामना किया है। ठाकरे ने कहा कि विधायक आते और जाते हैं, लेकिन पार्टी का वजूद खत्म नहीं होता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘धनुष-बाण के चिन्ह को लेकर कोई संदेह नहीं है। यह शिवसेना का है और हमेशा रहेगा।’ हालांकि, इसपर फैसला भारत के निर्वाचन आयोग को लेना है। यह मामला अभी आयोग के सामने नहीं पहुंचा है।
विधायकों के बाद ठाणे और नवी मुंबई से पार्षदों के पक्ष बदलने की खबर आई थी। दोनों क्षेत्रों में बड़ी संख्या में पार्षदों ने सीएम शिंदे के लिए समर्थन जताया था। इस पर ठाकरे ने कहा कि जो पार्षद एकनाथ शिंदे के साथ हैं, वे उनके साथ जुड़ रहे हैं। जो लोग शिवसेना की मदद से बड़े बने हैं, वे छोड़कर चले गए, लेकिन जिन लोगों ने शिवसेना को बड़ा बनाया वे अभी भी साथ हैं।
इस दौरान ठाकरे ने बागी विधायकों पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि आप लोग उनके साथ बैठे हैं, जिन्होंने ठाकरे परिवार का अपमान किया है।’ खास बात यह है कि विधायकों के बाद पार्टी के सांसदों की भी पक्ष बदलने की संभावना जताई जा रही है। बागियों में शामिल गुलाबराव पाटील ने दावा किया था कि 18 में से 12 सांसद फैसले ले सकते हैं।
ठाकरे ने राज्य में चुनाव की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि मैं उन लोगों को आज विधानसभा चुनाव की चुनौती देता हूं। अगर हमने गलत किया है, तो लोग हमें घर भेज देंगे। और अगर आपको यही करना जरूरी था, तो ऐसा ढाई साल पहले करना चाहिए था। यह सम्मान के साथ हुआ होता। ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं होती।’
शिवसेना सुप्रीमो ने कहा कि धमकियों के बावजूद जो 15-16 विधायक मेरे साथ रहे, उन पर मुझे गर्व है। यह देश सत्यमेव जयते पर चलता है असत्यमेव जयते पर नहीं। उन्होंने कहा कि 11 जुलाई को आने वाला सुप्रीम कोर्ट का फैसला न केवल शिवसेना के भविष्य का फैसला करेगा, बल्कि भारतीय लोकतंत्र का भी फैसला करेगा। शीर्ष अदालत 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा और तत्पश्चात इस पर अपना फैसला देगा।
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