रोहित रोहिला, Punjab News। Punjab Excise Policy : पंजाब मंत्रीमंडल (Punjab Cabinet) ने सूबे की नई आबकारी नीति को मंजूरी दे दी है। जिससे 9647.85 करोड़ रुपए का राजस्व आने की संभावना है। यह बीते वित्त वर्ष की अपेक्षा 40 प्रतिशत अधिक होगा। यह फैसला पंजाब सिविल सचिवालय (Punjab Civil Secretariat) में मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhagwant Maan) की अध्यक्षता में हुई मंत्रीमंडल की मीटिंग (cabinet meeting) के दौरान लिया गया। इस नीति से सरकार द्वारा दूसरे राज्यों से पंजाब में शराब तस्करी (alcohol smuggling) करने के मामलों को भी रोकने में मदद मिलेंगी।
इसके अलावा पंजाब के लोगों को भी पहले की अपेक्षा सस्ती शराब और बीयर करने में मदद मिलेगी। इस नई आबकारी नीति के तहत नियमों की सख्ती से पालन करते हुए एवं नई तकनीकियों को अपनाकर शराब तस्करी को रोकने पर जोर दिया गया है।
आबकारी नीति (Punjab Excise Policy) का उद्देश्य साल 2022-23 में 9647.85 करोड़ रुपए सरकारी खजाने में जमा करना है। जीएसटी आने के बाद सूबें की सरकार को आबकारी और सेस एवं कुछ दूसरे टेक्स से ही कमाई होती है। यह नीति एक जुलाई 2022 से 31 मार्च 2023 तक 9 महीनों के समय के लिए लागू रहेगी। शराब (Liquor) की कीमतें अब लगभग पड़ोसी राज्यों के बराबर होंगी।
कैबिनेट ने आबकारी विभाग (Punjab Excise Department) के साथ पहले तैनात पुलिस के अलावा दो और विशेष बटालियनें आबकारी विभाग को अलाट करने की भी सहमति दी है जिससे एक्साईज ड्यूटी की चोरी पर प्रभावशाली तरीके से नजर रखी जा सके। इससे पंजाब में पड़ोसी राज्यों से होती शराब की तस्करी को रोकने में मदद मिलेगी।
नई आबकारी नीति का उद्देश्य शराब कारोबार में लगे माफिया के गठजोड़ को तोड़ना है। इस मुताबिक शराब निमार्ता, थोक विके्रता और परचून विक्रेताओं के बीच एक-दूसरे से दूरी बनेगी। इस नीति से यह सभी पूरी तरह अलग इकाई के तौर पर काम करेंगे और इन कारोबारों के बीच कोई सांझा हिस्सेदार नहीं होगा।
नई आबकारी नीति (Punjab Excise Policy) ई-टेंडरिंग के निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग के द्वारा 177 ग्रुपों को अलाट करके शराब के कारोबार का असली सामर्थ्य का पता लगाने का उद्देश्य निर्धारित करती है। एक ग्रुप का आम आकार लगभग 30 करोड़ होगा और पंजाब में 6378 ठेके होंगे।
पीएमएल (PML) को छोड़कर हर किस्म की शराब की आबकारी ड्यूटी थोक कीमत की एक प्रतिशत के हिसाब से वसूली जाएगी। उसी तर्ज पर आईएफएल (IFL) की मूल्यांकन की गई फीस भी थोक कीमत के एक प्रतिशत के हिसाब से वसूली जाएगी ।
राज्य में पूंजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए और रोजगार के मौके बढ़ाने के लिए इस नीति में नए डिस्टिलरी लाइसेंस (distillery license) और ब्रियूवरी लाइसेंस का भी प्रस्ताव रखा गया है। इसके अलावा माल्ट स्प्रिट के उत्पादन के लिए नया लाइसेंस भी लाया गया है। इससे फसलीय विभिन्नता को बढ़ावा मिलेगा और किसानों को अपनी उपज की बढ़िया कीमत मिलेगी।
पंजाब सरकार को हर साल पडौसी राज्यों से होने वाली शराब तस्करी से करोड़ों रुपये का चूना लगता है। पुलिस एवं आबकारी विभाग की टीमें शराब तस्करी करने वालों को कई बार दबोचती भी है लेकिन पूरी तरह से खत्म नहीं कर पाई है।
इसकी मुख्य वजह यही मानी जाती है कि पंजाब की अपेक्षा उसके पडौसी राज्यों में एक साधारण अंग्रेजी ब्रांड के दाम में ही 250 से 300 रुपये का फर्क है। ऐसे में दूसरे राज्यों से सस्ती दरों पर शराब को लाकर पंजाब में बेचा जाता था। जिससे सरकार को शराब से मिलने वाला टेक्स नहीं मिल पाता था।
पंजाब के बार्डर इलाकों से लगे जिलों से शराब तस्करी की ज्यादा घटनाएं होती है। पंजाब की सीमाएं चंडीगढ़ हरियाणा, हिमाचल और राजस्थान के अलावा जम्मू कश्मरी से सटी हुई है।
पंजाब की अपेक्षा हरियाणा ओर चंडीगढ़ में शराब के दामों में काफी फर्क था। जिसकी वजह से शराब तस्कर यहां से शराब खरीदकर पंजाब के शहरों में सप्लाई करते थे।
अगर बार्डर पर पुलिस की तैनाती हो तो यह तस्कर गांवों के रास्तों से होकर पंजाब की सीमाओं में प्रवेश कर जाते थे। लेकिन अब दो और बटालियन मिलने के बाद ऐसे शराब तस्करों पर नकेल कसी जा सकेंगी।
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