India News (इंडिया न्यूज़),Vandna Sirohi, Chandrayaan-3: भारत ने चांद पर देश का तिरंगा लहराया है। हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत पर पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है। चंद्रयान-3 मिशन को पूरी तरह से सफल होने में आखिरी के 15-17 मिनट बहुत ही महत्वपूर्ण थे। पूरी दुनिया की नजरें चंद्रयान -3 के सॉफ्ट लैंडिंग पर टिकी हुई थी। यह समय चुनौतीपूर्ण भी था क्योंकि 2019 में चंद्रयान-2 आखिरी समय में अपने टारगेट से चूक गया था। लेकिन इस बार भारत की तैयारी में किसी गलती की गुंजाइश नहीं थी। नतीजतन 15-17 मिनट जिसे ISRO के वैज्ञानिक टेरर मिनट कहते हैं इसके लिए बहुत महत्वपूर्ण तैयारी की गई थी।

क्या थीं सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान चुनौतियाँ ?

लैंडिंग के समय लैंडर की रफ्तार को नियंत्रित रखना। पिछली बार चंद्रयान-2 की रफ्तार अधिक होने के कारण लैंडर क्रैश कर गया था।
लैंडर उतरते समय सीधा रहे, जिससे रोवर को निकलने में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत न हो
-लैंडर को समतल जगह पर उतारना क्योंकि असमतल स्थान पर लैंड करने से लैंडर के साथ-साथ रोवर को भी काम करने में दिक्कत आ सकती थी।

चांद के वातावरण से जुड़ी जानकारियां लैंडर को भेजेंगे

इन 15-17 मिनट में हमारे वैज्ञानिकों ने जिस कौशल का परिचय दिया है वो भारत की ताकत को दर्शाता है। अब चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड करने के बाद चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान अगले दो हफ्ते तक वहां से डाटा इसरो को भेजेंगे। रोवर के पेलोड्स में जो उपकरण लगे हैं, वे चांद से जुड़ा डाटा भेजेंगे। ये चांद के वातावरण से जुड़ी जानकारियां लैंडर को भेजेंगे। प्रज्ञान चांद के मौसम का हाल पता करेगा। इसमें ऐसे पेलोड लगाए गए हैं, जो चांद की सतह के बारे में बेहतर जानकारी मिल सकेगी। ये इयॉन्स और इलैक्ट्रॉन्स की मात्रा को भी पता लगाएगा। जैसे-जैसे प्रज्ञान आगे बढ़ेगा, चांद की सतह पर भारतीय तिरंगा और इसरो लोगो बनता चला जाएगा।प्रज्ञान इन जानकारियों को जुटाकर लैंडर तक पहुंचाएगा। यानि अब भारत चाँद के रहस्यों से पर्दा उठाने को तैयार है।

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